‘कल आप कहेंगे ताजमहल भी आपका है’, वक्फ बोर्ड पर क्यों भड़क गया MP हाई कोर्ट… – भारत संपर्क

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‘कल आप कहेंगे ताजमहल भी आपका है’, वक्फ बोर्ड पर क्यों भड़क गया MP हाई कोर्ट… – भारत संपर्क

वक्फ बोर्ड पर क्यों भड़का MP हाई कोर्ट?
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में वक्फ बोर्ड से जुड़े एक मामले में जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया की कोर्ट में 26 जुलाई को एक अहम सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने वक्फ बोर्ड के वकील उकर्ष अग्रवाल से कहा कि कल के दिन आप ताजमहल और लाल किले से लेकर जितनी भी ऐतिहासिक इमारतें हैं सब को वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी घोषित कर देंगे. दरअसल जस्टिस अहलूवालिया ने वकील से पूछा था कि यह ऐतिहासिक इमारत वक्फ बोर्ड की कैसे हो गई? इस पर वह जवाब नहीं दे पाए, जिस पर कोर्ट ने एएसआई के पक्ष में फैसला सुनाया है.
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बुरहानपुर की तीन ऐतिहासिक इमारतों बीवी की मस्जिद, आदिल शाह और बेगम सूजा के मकबरों को वक्फ बोर्ड की संपत्ति मानने से इनकार कर दिया. हाईकोर्ट में आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया यानी एएसआई की ओर से वक्फ बोर्ड की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी. याचिका में कहा गया था की मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड द्वारा जारी की गई अधिसूचना में बुरहानपुर की मुगल बादशाह शाहजहां की बहू का मकबरा सहित अन्य दो इमारतों को बोर्ड ने अपनी संपत्ति बताया है.
‘आप ताजमहल भी ले लो, लाल किला भी ले लो’
जबकि प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 के तहत ऐतिहासिक इमारत का संरक्षण एएसआई यानी की आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पास ही है, ऐसे में बोर्ड की अधिसूचना निराधार है. हाईकोर्ट ने एएसआई के तर्कों को सुनने के बाद कहा कि मुगल बादशाह शाहजहां की बहू का मकबरा वक्फ बोर्ड की संपत्ति नहीं हैं. प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 के तहत आने वाली संपत्तियों पर वक्फ बोर्ड हक नहीं जता सकता. जस्टिस अहलूवालिया ने वक्फ बोर्ड वकील उकर्ष अग्रवाल को काफी फटकार लगाई और पूछा की यह वक्फ की प्रॉपर्टी कैसे हो गई? कल को किसी भी सरकारी दफ्तर को वक्फ की प्रॉपर्टी कह देंगे तो वह हो जाएगा क्या? आप ताजमहल भी ले लो, लाल किला भी ले लो, कौन मना कर रहा है? प्यार से सवाल समझ नहीं आते हैं आपको, किसी भी प्रॉपर्टी को आप वक्फ की प्रॉपर्टी डिक्लेयर कर दोगे.
किसके पक्ष में आया फैसला?
इसके साथ ही जस्टिस अहलूवालिया को वक्फ बोर्ड के वकील साकेत अग्रवाल ने बताया की 1989 में प्रॉपर्टी वक्फ बोर्ड को घोषित की गई थी. इस पर जस्टिस अहलूवालिया ने कहा कि 1989 में वक्फ बोर्ड को इसकी ऑनरशिप कैसे डिक्लेयर की गई? कौन इसका ऑनर था? किसी को नहीं मालूम 1989 के नोटिफिकेशन से पहले किसकी थी ये प्रॉपर्टी, किसी को कुछ नहीं मालूम. मन आया और वक्फ प्रॉपर्टी डिक्लेयर कर दी गई. वहीं जस्टिस अहलूवालिया ने वक्फ बोर्ड द्वारा जारी की गई अधिसूचना रद्द करते हुए आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पक्ष में फैसला सुनाया. पूरे मामले में वक्फ बोर्ड की तरफ से अधिवक्ता उकर्ष अग्रवाल ने पैरवी की तो वहीं एएसआई की तरफ से कौशलेंद्र नाथ पेठिया ने कोर्ट में पक्ष रखा था.

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