महाभारत-गीता का अनुवाद, इंग्लैंड से पढ़ाई…जानें कौन थे PM मोदी के सलाहकार…

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महाभारत-गीता का अनुवाद, इंग्लैंड से पढ़ाई…जानें कौन थे PM मोदी के सलाहकार…
महाभारत-गीता का अनुवाद, इंग्लैंड से पढ़ाई...जानें कौन थे PM मोदी के सलाहकार बिबेक देबरॉय?

पीएम मोदी के सलाहकार बिबेक देबरॉय नहीं रहेImage Credit source: Twitter/@narendramodi

देश के जाने-माने अर्थशास्त्री और पीएम मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय अब नहीं रहे. वह 69 साल के थे. पीएम मोदी ने उनके निधन पर शोक जताते हुए लिखा है, ‘डॉ. बिबेक देबरॉय एक प्रखर विद्वान थे, जो अर्थशास्त्र, इतिहास, संस्कृति, राजनीति, अध्यात्म और अन्य विविध क्षेत्रों में पारंगत थे. अपने कामों के माध्यम से उन्होंने भारत के बौद्धिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी. सार्वजनिक नीति में अपने योगदान के अलावा उन्हें हमारे प्राचीन ग्रंथों पर काम करने और उन्हें युवाओं के लिए सुलभ बनाने में भी आनंद आता था’. आइए जानते हैं कि बिबेक देबरॉय आखिर कौन थे, कितने पढ़े लिखे थे और उनकी उपलब्धियां क्या-क्या हैं?

महाभारत-गीता का किया था अनुवाद

बिबेक देबरॉय कई किताबें लिख चुके थे. इसके अलावा उन्होंने महाभारत से लेकर भगवद गीता, रामायण और वेद का सरल भाषा में अनुवाद भी किया था, ताकि लोगों को उन्हें समझने में दिक्कत न हो. उनकी इन्हीं सभी उलब्धियों की वजह से साल 2015 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया था.

कितनी और कहां-कहां से की थी पढ़ाई?

25 जनवरी 1955 को मेघालय के शिलांग में जन्मे बिबेक देबरॉय की शुरुआती पढ़ाई पश्चिम बंगाल के नरेंद्रपुर स्थित रामकृष्ण मिशन विद्यालय से हुई थी और उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वह कोलकाता चले गए. वहां उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया और उसके बाद इकोनॉमिक्स से ही मास्टर्स की भी डिग्री ली. फिर वह दिल्ली आ गए और यहां दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई की. उनकी पढ़ाई का ये सिलसिला यहीं नहीं थमा.

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बिबेक देबरॉय को ट्रिनिटी कॉलेज स्कॉलरशिप मिला और वह आगे पढ़ने के लिए इंग्लैंड के यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज पहुंच गए. रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह पीएचडी करने के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी गए थे, लेकिन वहां से उन्होंने एमएससी (MSc) की डिग्री ली और वापस भारत आ गए.

भारत वापस आते ही बन गए लेक्चरर

इंग्लैंड से पढ़ाई करके जब बिबेक देबरॉय भारत आए तो जहां से वह खुद पढ़े थे,वहीं पर बतौर लेक्चरर पढ़ाने लगे. उन्होंने साल 1979 से 1983 तक कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में पढ़ाया. फिर वह गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन ट्रेड यानी आईआईएफटी (IIFT) में कुलाधिपति यानी चांसलर भी बने. इसके अलावा उन्होंने और भी कई जगहों पर बड़े पदों पर काम किया, जिसमें रेल मंत्रालय की हाई पावर कमेटी के चेयरमैन का पद भी शामिल है. उन्होंने ही पीएम मोदी को ये सलाह दी थी कि रेलवे के लिए संसद में अलग से बजट पेश करने की जरूरत नहीं है.

आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बने

साल 2015 में बिबेक देबरॉय नीति आयोग के स्थायी सदस्य बने थे. इसके बाद साल 2017 में उन्हें प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद का चेयरमैन बनाया गया था. ये कमेटी पीएम को आर्थिक मामलों पर सलाह देती है.

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