दो लड़कियों ने 7 साल पहले की एक दूसरे से शादी, अब चाहकर भी नहीं मिल रहा तलाक | russia… – भारत संपर्क

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दो लड़कियों ने 7 साल पहले की एक दूसरे से शादी, अब चाहकर भी नहीं मिल रहा तलाक | russia… – भारत संपर्क
दो लड़कियों ने 7 साल पहले की एक-दूसरे से शादी, अब चाहकर भी नहीं मिल रहा तलाक

लेसबियन कपल को रूस में नहीं मिल तलाक

रूस के शहर सेंट पीटर्सबर्ग में एक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने एक समलैंगिक जोड़े की तरफ से दायर तलाक के मामले को खारिज कर दिया है. तर्क दिया है कि देश के कानून के तहत इसका कोई औचित्य ही नहीं है. वो इसलिए क्योंकि रूस का कानून सिर्फ एक पुरुष और एक महिला के बीच हुई शादी को ही मान्यता देता है. दूसरा अगर देश के बाहर किसी ने शादी की भी है तो उसे वैध तभी माना जाएगा जब वे रूसी कानून का उल्लंघन नहीं करते हो. रूसी जोड़े का तलाक दो वजहों से नहीं हो पाया. एक वजह तो समलैंगिक शादी रही और दूसरी यह कि शादी रूस के बाहर हुई थी जो नियम कायदे पर खरी नहीं उतरती.

7 साल पहले की थी दो लड़कियों ने शादी

तो ये बात 7 साल पहले 2017 की है. दो लड़कियों ने एक-दूसरे से शादी की. नाम दोनों के हैं- एकातेरिना और एलिसैवेटा. इन्होंने शादी डेनमार्क के कोपेनहेगन में की थी. वो वक्त भी आया जब शादी टूट गई और एकातेरिना ने तलाक के लिए अर्जी दायर की क्योंकि उसके साथी ने यानी एलिसैवेटा ने तलाक देने से इनकार कर दिया. फिर वो कोर्ट पहुंचे जहां चाहकर भी तलाक नहीं मिल पा रहा है इन्हे.

रूस में नहीं मान्य है समलैंगिक शादी

रूस में समलैंगिक विवाह की मान्यता एलजीबीटीक्यू कार्यकर्ताओं के लिए वर्षों से एक बहुत बड़ा मुद्दा रही है. विदेशों में ऐसे देशों में यूनियनें बनाई गई हैं जो उन्हें सक्षम बनाती हैं लेकिन घरेलू स्तर पर मान्यता प्राप्त नहीं हैं. हालाँकि, समलैंगिक जोड़ों ने विभिन्न तकनीकी खामियों का इस्तेमाल करके रूस में अपने रिश्ते को मान्यता दिलाने की बार-बार कोशिश की है. पिछले कुछ सालों में, रूस ने एलजीबीटी विचारधारा के प्रसार का मुकाबला करने के मकसद से धीरे-धीरे अपने कानून को कड़ा कर दिया है.

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LGBTQ का आंदोलन करना है गैरकानूनी

2013 में, इसने नाबालिगों के बीच इस तरह के प्रचार प्रसार को गैरकानूनी घोषित कर दिया. फिर 2022 में इस कड़े कानून के दायरे में वयस्कों भी आ गए. पिछले साल 2023 के नवंबर में, रूस की सुप्रीम कोर्ट ने “अंतर्राष्ट्रीय एलजीबीटी सार्वजनिक आंदोलन” को एक चरमपंथी समूह घोषित कर दिया और फैसला सुनाया कि यह सामाजिक और धार्मिक कलह पैदा कर रहा है. 2024 के मार्च महीने की शुरुआत में, “अंतर्राष्ट्रीय एलजीबीटी सार्वजनिक आंदोलन” को न्याय मंत्रालय की प्रतिबंधित संगठनों की लिस्ट में जोड़ा गया था.

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