फर्जी तबादला आदेश लेकर जॉइन करने पहुंचीं दो शिक्षिकाएं, डीईओ…- भारत संपर्क



बिलासपुर।
शिक्षा विभाग में एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है, जहां दो महिला शिक्षिकाएं फर्जी तबादला आदेश के सहारे नई जगह पर पदस्थ होने पहुंच गईं। बिलासपुर जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) कार्यालय में जब आदेशों की जांच की गई, तो वे फर्जी पाए गए। इसके बाद दोनों शिक्षिकाओं के तबादला आदेशों को निरस्त कर दिया गया और उन्हें वापस पुराने स्कूल में जॉइन करने को कहा गया।
जांजगीर-चांपा में पदस्थ शिक्षिका ज्योति दुबे और सूरजपुर की श्रुति साहू हाल ही में फर्जी तबादला आदेश लेकर बिलासपुर DEO कार्यालय में जॉइनिंग देने पहुंचीं। प्रारंभिक जांच में ही आदेश संदिग्ध लगे, और जब इन्हें मंत्रालय से पुष्टि के लिए भेजा गया, तो ये फर्जी निकले। इसके बाद बिलासपुर के DEO ने तत्काल कार्रवाई करते हुए तबादला आदेश को निरस्त कर दिया और दोनों शिक्षिकाओं को वापस अपने पूर्व पदस्थापना स्थल पर रिपोर्ट करने का निर्देश दिया।
दोनों शिक्षिकाओं ने इस कार्रवाई के खिलाफ हाई कोर्ट की शरण ली और अलग-अलग याचिकाएं दायर कीं। कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने स्पष्ट किया कि तबादला आदेश पूरी तरह फर्जी है और किसी अधिकृत प्रक्रिया से पारित नहीं किया गया था। इसके चलते उसे रद्द कर दिया गया और शिक्षिकाओं को रिलीव कर दिया गया।
हालांकि, शिक्षिकाओं ने कोर्ट से पूर्व कार्यस्थल पर पुनः जॉइनिंग के लिए 10 दिन का समय देने की मांग की, जिसे राज्य सरकार की ओर से कोई आपत्ति नहीं जताई गई। इसके बाद जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की एकलपीठ ने परिस्थिति को देखते हुए दोनों को 10 दिन की मोहलत दी है।
फर्जी आदेशों की जड़ में बड़ा नेटवर्क?
स्कूल शिक्षा विभाग में हुए इस फर्जीवाड़े ने पूरे विभाग को सकते में डाल दिया है। अवर सचिव आर.पी. वर्मा के नाम से जारी किए गए इन आदेशों की फाइलें हूबहू सरकारी प्रारूप में तैयार की गई थीं। आदेश क्रमांक एफ3-27/2025/20 के साथ “आगामी आदेश तक पदस्थ” जैसे शब्दों का उपयोग भी सरकारी शैली में किया गया।
खास बात यह रही कि यह फर्जी आदेश 1 मार्च को जारी किया गया था, जो कि शनिवार का अवकाश था। इस पर जब संदेह हुआ तो संबंधित अधिकारियों ने मंत्रालय से पुष्टि की, जिससे फर्जीवाड़ा उजागर हो गया।
अवर सचिव वर्मा ने रायपुर के राखी थाना में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ FIR दर्ज करवाई है। मामले में अब पुलिस जांच से यह स्पष्ट होगा कि इस फर्जीवाड़े के पीछे कौन लोग हैं और कितने शिक्षक इससे प्रभावित हुए हैं। जानकारी के मुताबिक, करीब आधा दर्जन शिक्षकों के ऐसे ही फर्जी ट्रांसफर आदेश जारी हुए हैं।
यह मामला न केवल शिक्षा विभाग में अनुशासनहीनता को उजागर करता है, बल्कि प्रशासनिक प्रक्रिया की निगरानी की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है। फर्जी दस्तावेजों के सहारे पदस्थापना की कोशिशें अगर समय रहते पकड़ में न आतीं, तो यह व्यवस्था में बड़ी सेंध साबित हो सकती थी। अब पूरा मामला पुलिस जांच के अधीन है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है।
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