‘रोज मम्मी को मारते थे, तंग आकर दे दी जान’… बेटे की गवाही पर पिता को 10 स… – भारत संपर्क

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‘रोज मम्मी को मारते थे, तंग आकर दे दी जान’… बेटे की गवाही पर पिता को 10 स… – भारत संपर्क

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में जज रवि कुमार दिवाकर ने एक अहम फैसला सुनाते हुए 11 साल के मासूम की गवाही में 10 साल कैद की सजा आरोपी पति को सुनाई है. मासूम बेटे ने कोर्ट में गवाही के दौरान बोला था कि पापा रोज मम्मी को मारते-पीटते थे. इससे तंग आकर मम्मी ने अपनी जान दे दी. पत्नी को प्रताड़ित कर आत्महत्या के लिए मजबूर करने के मामले में दोषी पति को अपर सत्र न्यायाधीश ने 10 साल की कैद की सजा सुनाई है. साथ ही उस पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
आरोपी पति कोर्ट में सजा सुनकर रो पड़ा. कोर्ट से आरोपी को जेल भेज दिया है. वहीं जज रविकुमार दिवाकर ने अपने फैसले में अहम बातों का जिक्र किया है. उन्होंने कहा कि युवाओं और शादीशुदा महिलाओं से आग्रह है कि जीवन में चाहे कैसी भी परिस्थितियां आएं उनका डटकर मुकाबला करें.
दहेज के लिए करते थे प्रताड़ित
दरअसल, बरेली के थाना सुभाषनगर के मढ़ीनाथ के रहने वाली कामिनी सक्सेना की ओर से एक मुकदमा दर्ज कराया गया था. जिसमें कहा गया था कि छह नवंबर 2011 को पुत्री वंदना का विवाह बारादरी थाना क्षेत्र के संजयनगर के रहने वाले विकास उपाध्याय से हुआ था. विवाह के बाद विकास और ससुरालवाले दहेज के लिए वंदना को आए दिन बुरी तरह से पीटते थे. वंदना के दो बच्चे आयुष्मान और रितिका भी हैं. संतान होने के बाद ससुराल वालों का उत्पीड़न और बढ़ गया और 29 अगस्त 2023 को वंदना ने देर रात कॉल कर अपने परिजनों से कहा कि उसे ससुराल से ले जाओ. जिसके बाद परिजनों ने कहा कि सुबह आते हैं, आप परेशान न हो और 30 अगस्त 2023 को उसकी ससुराल से आरती ने कॉल कर बताया कि वंदना की मृत्यु हो गई है. मायके वाले वहां पहुंचे तो पड़ोसियों ने बताया कि वंदना की हत्या कर दी गई है.
कोर्ट ने सुनाई 10 साल की सजा
वहीं पूरे मामले में पुलिस ने एक माह बाद रिपोर्ट दर्ज की और आरोपी विकास को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. वहीं पूरे मामले में विवेचक ने 15 फरवरी 2024 को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की. अभियोजन की ओर से न्यायालय में 8 गवाह व 13 साक्ष्य पेश किए गए. जिसमें मासूम बेटा भी गवाह था. बेटे ने कोर्ट में बयान दिया और कहा कि पापा रोज मम्मी को मारते-पीटते थे. इससे तंग आकर मम्मी ने अपनी जान दे दी. न्यायालय ने विकास को दोषी पाते हुए 10 साल की सजा सुनाई है और 50 हजार का जुर्माना लगाया है.
जज ने की ये अपील
वहीं कोर्ट के फैसले में जज रवि कुमार दिवाकर ने कहा कि युवाओं और शादीशुदा महिलाओं से आग्रह है कि जीवन में चाहे कैसी भी परिस्थितियां आएं. उनका डटकर मुकाबला करें. किसी भी हालत में भगवान के दिए जीवन को समाप्त न करें जीवन एक तपस्या है. छोटी-छोटी परेशानी से डरने की जरूरत नहीं है. रात कितनी ही काली क्यों न हो उसके बाद सुबह जरूर होती है. इसलिए युवा अपने जीवन को एकदम समाप्त न करें. जज रवि कुमार दिवाकर अपने अहम फैसलों के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने कई फैसलें सुनाते हुए रामायण का भी जिक्र किया है.

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