रतनपुर के सिद्ध शक्तिपीठ महामाया मंदिर में निर्विरोध चुनाव,…- भारत संपर्क


यूनुस मेमन

रतनपुर। आंचल का सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल सिद्ध शक्तिपीठ श्री महामाया देवी मंदिर में पिछले लंबे समय से चल रहे विवादों के बीच रविवार को निर्विरोध चुनाव संपन्न हुआ। चुनाव प्रक्रिया शांतिपूर्ण माहौल में पूरी हुई और इसमें नई कार्यकारिणी का गठन किया गया। खास बात यह रही कि अधिकांश पुराने पदाधिकारी दोबारा चुने गए, जिससे मंदिर प्रबंधन में निरंतरता बनी रहेगी।
अध्यक्ष पद पर फिर भरोसा आशीष सिंह ठाकुर पर
नई कार्यकारिणी में अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी एक बार फिर आशीष सिंह ठाकुर को सौंपी गई। निर्विरोध चुने जाने के बाद उन्होंने कहा कि महामाया मंदिर ट्रस्ट सभी श्रद्धालुओं और स्थानीय नागरिकों को साथ लेकर मंदिर और आसपास की सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए कार्य करेगा। उन्होंने धार्मिक आयोजनों को भव्यता के साथ संपन्न करने और सभी वर्गों की सहभागिता सुनिश्चित करने का संकल्प भी व्यक्त किया।
नई कार्यकारिणी इस प्रकार है

- आशीष सिंह ठाकुर – अध्यक्ष
- मोतीचंद जायसवाल – उपाध्यक्ष
- सतीश शर्मा – उपाध्यक्ष
- अरूण शर्मा – प्रधान पुजारी, मैनेजिंग ट्रस्टी
- रितेश जूनेजा – कोषाध्यक्ष
- सैलेन्द्र जायसवाल – सहसचिव
- बृजमोहन अग्रवाल – ट्रस्टी
- मनराखन लाल जायसवाल – ट्रस्टी
- बजरंग लोहिया – ट्रस्टी
- सुनील सोनथलिया – ट्रस्टी
- धर्मेन्द्र चंदेल – ट्रस्टी
- अनिल खण्डेलवाल – ट्रस्टी
- शरद दुबे – ट्रस्टी
- संतोष शुक्ला – ट्रस्टी
- शक्ति सिंह ठाकुर – ट्रस्टी
- विनोद गोरख – ट्रस्टी
- राजकुमार खुशलानी – ट्रस्टी
- मनोहर लाल चंदेल – ट्रस्टी
- चेतन धर शर्मा – ट्रस्टी
- गोपाल गुप्ता – ट्रस्टी
- कपिल देव पाण्डेय – ट्रस्टी
विवादों के बाद एकजुटता का संदेश
मंदिर प्रबंधन से जुड़े जानकारों के अनुसार, पिछले कुछ समय से ट्रस्ट में प्रशासनिक और प्रबंधन संबंधी विवाद चल रहे थे। लेकिन इस बार निर्विरोध चुनाव होने से एकजुटता का संदेश गया है। नई टीम के गठन के साथ ही श्रद्धालुओं को उम्मीद है कि मंदिर के विकास कार्यों में तेजी आएगी और यहां आने वाले भक्तों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
रतनपुर का श्री महामाया देवी मंदिर न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश में आस्था का केंद्र माना जाता है। नवरात्र के अवसर पर यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और मां महामाया के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। नई कार्यकारिणी के गठन से मंदिर में धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को और गति मिलने की संभावना है।
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