बिलासपुर सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में जल्द शुरू होंगी यूरोलॉजी-…- भारत संपर्क


रायपुर/बिलासपुर।
कुमार साहब स्व. श्री दिलीप सिंह जूदेव शासकीय सुपरस्पेशलिटी अस्पताल (सिम्स) बिलासपुर को पूरी तरह संचालित करने की दिशा में गुरुवार को रायपुर के शंकर नगर स्थित स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के निवास कार्यालय में प्रबंध कार्यकारिणी की महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में अस्पताल की मौजूदा स्थिति, मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं और भविष्य की योजनाओं पर विस्तृत चर्चा की गई।
बैठक में स्वास्थ्य मंत्री ने स्पष्ट किया कि अस्पताल में अब सिर्फ ओपीडी सेवा पर निर्भरता खत्म होगी। मरीजों को जल्द ही आईपीडी (इनडोर पेशेंट सेवा) आईसीयू-आईसीसीयू और 8 मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर की सुविधाएं भी मिलने लगेंगी। इसके लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की भर्ती और नर्सिंग स्टाफ की नियुक्ति की प्रक्रिया तेज करने का निर्णय लिया गया।

₹200 करोड़ की लागत से बना अत्याधुनिक अस्पताल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्टूबर 2024 में इस 11-मंजिला अस्पताल का वर्चुअल लोकार्पण किया था। 240 बेड की क्षमता वाले इस अस्पताल में 70 बेड केवल आईसीयू और आईसीसीयू के लिए आरक्षित हैं। यहां अत्याधुनिक सीटी स्कैन, एमआरआई, डिजिटल एक्स-रे, कलर डॉपलर व टीएमटी मशीन जैसी हाईटेक सुविधाएं स्थापित की गई हैं। डॉक्टरो की कमी से जूझ रहे इस अभी तक केवल ओपीडी सेवाएं ही शुरू हो पाई हैं, जबकि ऑपरेशन थिएटर, आईपीडी और ब्लड बैंक जैसे विभाग बंद हैं। इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने इसके कमियों को दूर करने आवश्यकता अनुसार उपकरण व संसाधन उपलब्ध करवाने वित्तीय सहायता के लिए स्वशाशी समिती रायपुर मेडिकल कॉलेज व सिम्स मेडिकल कॉलेजों से राशि दिया और कमियों को दूर कर तत्काल सुविधाएं प्रारम्भ करने के निर्देश दिए।
बैठक में हुए अहम फैसले

बैठक में सुपरस्पेशलिटी अस्पताल स्वशासी समिति के पदेन अध्यक्ष स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के साथ स्वशासी समिति के सदस्य डॉक्टर धर्मेंद्र कुमार दास , द्वारिकेश पांडे, सिम्स के डीन डॉ. रमनेश मूर्ति, कोनी सुपर स्पेसियालिटी अस्पताल अधीक्षक डॉ. बी.पी. सिंह, सिम्स के डॉ अर्चना सिंह व डॉ मधुमिता मूर्ति आदि मौजूद रहे। सभी ने अस्पताल की तात्कालिक जरूरतों को सूचीबद्ध किया। इसमें—
न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, यूरोलॉजी और पल्मनोलॉजी जैसे प्रमुख विभागों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की फुल टाइम व पार्ट टाइम नियुक्ति का प्रस्ताव शासन को भेजने कहा ।
नए चिकित्सा उपकरणों की तत्काल खरीद,
पर्याप्त नर्सिंग व तकनीकी स्टाफ की भर्ती,
मरीजों की सुविधा के लिए पंजीकरण काउंटर और ओपीडी सिस्टम को और आसान बनाने जैसे प्रस्ताव शामिल थे।
पूरे संभाग के मरीजों को मिलेगा लाभ

बैठक में तय किया गया कि अस्पताल को एक रेफरल सेंटर की तरह विकसित किया जाएगा, जिससे बिलासपुर ही नहीं बल्कि सरगुजा व रायगढ़ संभाग और आसपास के ग्रामीण इलाकों के मरीजों को भी हाईटेक इलाज मिल सकेगा। स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल ने कहा, “सुपरस्पेशलिटी अस्पताल को प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा केंद्र के रूप में विकसित करना सरकार की प्राथमिकता है। इसके संचालन में आ रही सभी दिक्कतें दूर की जाएंगी और मरीजों को संपूर्ण इलाज की सुविधा बिना देर के मिलेगी।”
जल्द दिखेंगे बदलाव
बैठक के बाद अधिकारियों ने दावा किया कि अगले कुछ हफ्तों में यूरोलॉजी वार्ड और फिर डायलिसिस ,ऑपरेशन थिएटर से लेकर ब्लड बैंक और आईपीडी सेवाओं को शुरू कर दिया जाएगा। वहीं, वित्तीय आवंटन के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा ताकि उपकरणों की कमी तुरंत दूर की जा सके।
अस्पताल के व्यवस्थाओं का जायजा लेने और सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल को उच्चतम श्रेणी पर ले जाने के लिए अन्य प्रदेशों के मेडिकल कॉलेजों का भ्रमण कर शासन को अवगत कराने और विश्व स्तरीय सुविधाओं के क़्वालिटी कंट्रोल के लिए लेब को एनएबीएल और अस्पताल को एनएबीएच करने का निर्देश दिए।
पृष्ठभूमि
इस अस्पताल को दिलीप सिंह जूदेव के नाम पर बनाया गया है। इसकी कुल लागत ₹200 करोड़ है। यहां 11 मंजिला भवन, 8 मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर, अत्याधुनिक डायग्नोस्टिक सेंटर, ब्लड बैंक और 24×7 आपातकालीन सेवाओं का ढांचा तैयार है। लेकिन स्टाफ की कमी और वित्तीय स्वीकृतियों में देरी की वजह से इसका संचालन अधूरा पड़ा हुआ था।
बैठक में लिए गए निर्णयों के बाद उम्मीद है कि सुपरस्पेशलिटी अस्पताल अगले कुछ महीनों में पूरी तरह कार्यरत होगा और पूरे उत्तरी छत्तीसगढ़ को अत्याधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराएगा।
Post Views: 1