Uttar Pradesh: पहले जिलाध्यक्ष, फिर प्रदेश अध्यक्ष और उसके बाद होगा कैबिनेट… – भारत संपर्क

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Uttar Pradesh: पहले जिलाध्यक्ष, फिर प्रदेश अध्यक्ष और उसके बाद होगा कैबिनेट… – भारत संपर्क

पीएम मोदी, सीएम योगी, जेपी नड्डा
देश के सबसे पोलिटिकल पोटेंशियल वाले राज्य उत्तर प्रदेश में बीजेपी फिलहाल असमंजस में घिरी हुई है. संगठन से लेकर सरकार तक बड़े बदलाव होने है. उत्तर प्रदेश में बीजेपी को जिलाध्यक्षों का चुनाव करना है, प्रदेश अध्यक्ष का भी चयन होना है और सरकार में कैबिनेट का विस्तार भी होना है. लिहाजा, संगठन से लेकर सरकार तक में चर्चाओं का बाजार गर्म है. जिलों में जिलाअध्यक्ष की कुर्सी के लिए रस्साकशी चल रही है, तो भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष कौन बनेगा इसको लेकर भी कयासबाजी जारी है. इतना ही नहीं कहा जा रहा है कि इन दोनों प्रक्रियाओं को पूरी करने के बाद योगी कैबिनेट में भी फेरबदल होना है.
सूत्रों की मानें तो कुछ चेहरे कैबिनेट से बाहर होंगे तो कुछ नए चेहरे को भी कैबिनेट में जगह मिल सकती है. उसके बाद मौजूदा कैबिनेट में शामिल मंत्रियों के विभागों में भी बदलाव होगा. लिहाजा, असमंजस की स्थिति सरकार में भी बनी हुई है. अब तक जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक उत्तर प्रदेश में पहले जिलाध्यक्षों की नियुक्ति होगी. उसके बाद ही प्रदेश अध्यक्ष का चयन होगा और फिर सरकार कैबिनेट में बदलाव किया जाएगा.
प्रदेश अध्यक्ष का फैसला होली के बाद
आपको बता दे कि उत्तर प्रदेश में जिला अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया है. लिस्ट केंद्रीय नेतृत्व को भेज दी गई है. हालांकि खबर यह भी है कि केंद्रीय नेतृत्व ने महिला और उम्र को आधार बनाकर लिस्ट में कुछ बदलाव के लिए सूची वापस भेजी थी. इसके बाद इस आधार पर बदलाव कर दोबारा सूची केंद्रीय नेतृत्व को भेज दी गई है. जानकार मानते हैं की पार्टी नहीं चाहती कि जिलों में पार्टी की कमान संभालने वालों की होली खराब हो. लिहाजा, उम्मीद की जा रही है की होली से पहले जिलाअध्यक्षों की सूची जारी हो सकती है. लेकिन, प्रदेश अध्यक्ष का फैसला होली के बाद ही होगा.
कहा जा रहा है कि भाजपा संगठन की टीम को मजबूत करना चाहती है. ऐसे चेहरों को मौका देना चाहती है जिसका असर 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर पड़े इसीलिए जिला अध्यक्षों के साथ ही अध्यक्ष के अध्यक्ष देरी हो रही है.
पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी का नाम आगे
अब बात उत्तर प्रदेश में भाजपा की बागडोर संभालने वाले अध्यक्ष की करते हैं. कहा जा रहा है कि पार्टी जाती है और क्षेत्रीय आधार पर एक ऐसे चेहरे को चुनना चाहती है जो 2027 में सरकार की वापसी की गारंटी भी बने. वैसे तो यूपी की सियासी गलियारों में कई सारे नाम की चर्चा है लेकिन दौड़ में सबसे आगे ब्राह्मण चेहरे के तौर पर पूर्वांचल के बस्ती से आने वाले पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी का नाम आगे है. हरीश द्विवेदी के बारे में कहा जाता है कि वह संघ के भी करीबी है भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष होने के नाते संगठन में भी उनकी पकड़ है युवा है और कई राज्यों के प्रभारी के तौर पर भी काम कर चुके हैं.
इसके बाद ब्राह्मण चेहरे के तौर पर ही नाम दिनेश शर्मा का भी चर्चाओं में है तो उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री भी रह चुके हैं संगठन के राष्ट्रीय टीम में उपाध्यक्ष भी रहे हैं. दिनेश शर्मा ने सदस्यता अभियान के प्रभारी के तौर पर भी काम किया और इस दौरान भाजपा विश्व की नंबर एक पार्टी बनी सरकार और संगठन में भी उनको लेकर नकारात्मक सोच नहीं है.
इसके साथ ही ओबीसी चेहरे के तौर पर केंद्रीय मंत्री बी एल वर्मा बाबूराम निषाद और धर्मपाल सिंह का भी है. धर्मपाल सिंह वर्तमान भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं ओबीसी चेहरे के तौर पर संघ संगठन और सरकार में अच्छी पकड़ मानी जाती है. हालांकि इससे पहले भी यह प्रदेश अध्यक्ष के दौड़ में शामिल रह चुके हैं.
कई मंत्रियों के कामकाज से सीएम योगी भी असंतुष्ट
हालांकि, इन चर्चाओं में एक नाम रेखा वर्मा का भी है लेकिन माना जा रहा कि जिस तरीके से बीजेपी ने दिल्ली की कमान एक महिला रेखा गुप्ता को दी है उसके बाद से उत्तर प्रदेश में किसी महिला को प्रदेश अध्यक्ष जिम्मेदारी शायद ही दी जाए. जानकारी अभी कहते हैं कि उत्तर प्रदेश एक बड़ा राज्य है और ऐसे में सबसे बड़ी पार्टी की उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी किसी महिला को देने से दिक्कतें हो सकती हैं.
भाजपा हमेशा अपने फैसलों से चौंकाती है. इस बार भी उम्मीद की जा रही है की पार्टी की बागडोर उत्तर प्रदेश में किसी ऐसे चेहरे को दी जा सकती है जो चर्चाओं से बाहर हो. जहां तक बात योगी सरकार के मंत्रीमंडल विस्तार की सूत्रों की माने जिलाध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष की प्रकिया के बाद उत्तर प्रदेश मंत्री फ़ेरबदल हो सकता हैं. संगठन में और कुछ संगठन से सरकार में किए जाएंगे. ये फेरबदल 2027 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए क्षेत्रीय और जातीय समीकरण को मजबूत करेगी.
यूपी में उपचुनाव में बंपर जीत के बाद लंबे समय से योगी मंत्रिमंडल में विस्तार की चर्चाएं भी हैं. चर्चा हैं कि कई मंत्रियों के कामकाज से न तो भाजपा संगठन संतुष्ट हैं ,न ही मुख्यमंत्री योगी संतुष्ट हैं. बेहतर परफॉमेंस ना देने वाले मंत्री हटाए जा सकते हैं और कुछ मंत्रियों के विभागों में बदला जा सकता . मंत्रिमंडल विस्तार में नए चेहरे शामिल किए जा सकते हैं और कुछ को संगठन भेजा जा सकता है.

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