बच्चों को अनुशासन सिखाने के लिए अपनाए जाते हैं ‘हिंसक’ तरीके, UNICEF की 100 देशों की… – भारत संपर्क

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बच्चों को अनुशासन सिखाने के लिए अपनाए जाते हैं ‘हिंसक’ तरीके, UNICEF की 100 देशों की… – भारत संपर्क
बच्चों को अनुशासन सिखाने के लिए अपनाए जाते हैं 'हिंसक' तरीके, UNICEF की 100 देशों की स्टडी में खुलासा

40 करोड़ बच्चें होते हैं हिंसा का शिकार

माता पिता अपने बच्चों को खुश रखने के लिए ज्यादातर बार उनकी हर जिद्द पूरी कर देते हैं. पर कई बार इससे बच्चें जिद्दी तो हो ही जाते हैं साथ ही अनुशासन में रहना भी भूल जाते है. तब कई माता पिता डांट फटकार और मार पिटाई का सहारा लेते हैं. लेकिन इस रवैये को यूनिसेफ ने गलत ठहराया है. यूनिसेफ का कहना है कि दुनियाभर में पांच साल से कम उम्र के लगभग 40 करोड़ बच्चों के माता पिता अनुशासन सिखाने के लिए हिंसा का इस्तेमाल करते हैं. नतीजन इसका सीधा असर बच्चों के विकास पर पड़ता है. वो अपने प्रियजनों से कम लगाव महसूस करता है.

इस उम्र के 60 प्रतिशत ऐसे बच्चे हैं जिन्हें कंट्रोल करने के लिए माता पिता हिंसक तरीके अपनाते हैं. यूनिसेफ ने 2010 से 2023 तक इकट्ठा किए गए 100 देशों के डेटा के बाद ही ये अनुमान लगाया है. यूनिसेफ के मुताबिक मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार में किसी बच्चे पर चिल्लाना, या शारीरिक शोषण के दौरान उन्हें “बेवकूफ” या “आलसी” कहना शामिल हो सकता है. इसमें किसी बच्चे को झकझोरना, मारना या पीटना, या चोट के बिना शारीरिक दर्द या परेशानी देने जैसे काम शामिल है.

कई माता पिता शारीरिक दंड के पक्ष में

संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने कहा कि उन लगभग 40 करोड़ बच्चों में से लगभग 30 करोड़ को शारीरिक दंड का अनुभव होता है. भले ही अधिक से अधिक देश बच्चों को शारीरिक दंड देने पर प्रतिबंध लगा रहे हैं लेकिन पांच साल से कम उम्र के लगभग 50 करोड़ बच्चों को ऐसी प्रथाओं के खिलाफ कानूनी रूप से संरक्षित नहीं किया गया है.

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यूनिसेफ के अनुसार, चार में से एक से अधिक मां या जिम्मेदार वयस्क मानते हैं कि उनके बच्चों को उचित रूप से शिक्षित करने के लिए शारीरिक दंड बहुत जरूरी है. यूनिसेफ का कहना है कि जब बच्चों को घर पर शारीरिक या मौखिक दुर्व्यवहार का शिकार होना पड़ता है, या जब वे अपने प्रियजनों से सामाजिक और भावनात्मक देखभाल से वंचित होते हैं, तो यह उनके आत्म-मूल्य और विकास की भावना को कमजोर कर सकता है. अच्छा पालन-पोषण ही बच्चों को सुरक्षित महसूस करने, सीखने, कौशल बनाने और उनके आसपास की दुनिया में नेविगेट करने में मदद कर सकता है.

5 साल से कम उम्र के बच्चों के पास खिलौने नहीं…

11 जून को पहला अंतर्राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है. इसे देखते हुए पहली बार, यूनिसेफ ने बच्चों को खेलने में सक्षम कैसे बनाया जाए इस पर भी अपनी बात रखी है. 85 देशों के आंकड़ों के अनुसार, चार साल की उम्र में हर दो में से एक बच्चा उस व्यक्ति के साथ नहीं खेल सकता है जो घर पर उनकी देखभाल करता है.

आठ में से एक बच्चा इससे कम उम्र का है. पाँच वर्ष की आयु के बच्चों के पास बिल्कुल भी खिलौने नहीं हैं. दो से चार वर्ष की आयु के लगभग 40 प्रतिशत बच्चों को घर पर सार्थक बातचीत नहीं मिलती है और 10 में से एक के पास भावनात्मक विकास, जैसे पढ़ना, कहानी सुनाने वाला कोई नहीं है. यूनिसेफ ने कहा है कि पहले अंतर्राष्ट्रीय खेल दिवस पर, हमें एकजुट होना चाहिए और बच्चों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने और सकारात्मक, पोषण और चंचल देखभाल को बढ़ावा देने के लिए फिर से प्रतिबद्ध होना चाहिए.

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