धूमा में हुआ गौमाता की महिमा पर विशाल सत्संग, वृंदावन से…- भारत संपर्क



बिलासपुर के धूमा में रविवार को एक दिवसीय प्रवास पर पधारे वृंदावनधाम के प्रसिद्ध संत गौवत्स श्री राधामोहन स्वामी जी महाराज ने गौमाता की महिमा और भगवान भक्ति पर एक अत्यंत मार्मिक व प्रेरणास्पद सत्संग प्रवचन दिया। यह सत्संग स्थानीय गौशाला परिसर में आयोजित किया गया, जिसमें नगर और आसपास के क्षेत्र से भारी संख्या में श्रद्धालु और गौभक्त शामिल हुए।
अपने प्रवचन में महाराज श्री ने कहा कि भगवान की भक्ति बाल्यकाल से ही आरंभ करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस घर में गौमाता का निवास होता है, वहां संपूर्ण सकल संपदा की प्राप्ति होती है। महाराज जी ने बताया कि भारतभूमि ही एकमात्र ऐसा पावन देश है, जहां खेतों में गिरने वाले गौमूत्र और गोबर जैसे पवित्र तत्वों से माता सीता जैसी भूमिजा कन्या प्रकट होती हैं।
गौमाता की महिमा पर प्रकाश डालते हुए स्वामी जी ने कहा कि गाय का स्थान सनातन धर्म में अत्यंत उच्च है, और वेद-पुराण, उपनिषद, सभी शास्त्र गौमाता के गुणों का गुणगान करते हैं। उन्होंने बताया कि भगवान स्वयं इस धरा पर गोकुल और वृंदावन में अवतरित होकर गौसेवा का संदेश देते हैं, और गिरिराज पर्वत को उठाकर प्रकृति और गौसंरक्षण का महत्व बताते हैं।

स्वामी जी ने यह भी कहा,
“गोवर्धनधारी की दुलारी गौ मां, ऋषि-मुनियों, संतों की प्यारी गौ मां,
मानव पर सदा उपकारी गौ मां।”
उन्होंने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि जो व्यक्ति अपने पूर्वजों व स्वयं का कल्याण चाहता है, उसे गौसेवा को जीवन का अनिवार्य अंग बना लेना चाहिए, क्योंकि कोई भी मनुष्य गौमाता के ऋण से कभी उऋण नहीं हो सकता। उन्होंने बताया कि आज भी मनुष्य दूध, दही, घी, पनीर, पंचगव्य, पंचामृत, गोबर और गौमूत्र जैसे गव्य पदार्थों से लाभान्वित होता है।
गौकथा वाचक श्री गोपाल कृष्ण रामानुज दास जी महाराज ने भी अपने संबोधन में कहा कि गौमाता ही एकमात्र ऐसी देवी हैं जिनके मल (गोबर) की पूजा होती है, और गोबर को प्रथम पूज्य गणेश और गौरी के रूप में प्रतिष्ठित किया जाता है। गौमूत्र को गंगाजल तुल्य पवित्र माना गया है।
इस अवसर पर धूमा ग्राम के कई सम्मानित गौसेवक भी उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से श्री शत्रुघ्न कृष्ण, पं. सांतनु कृष्ण, निरज पटेल, उत्तम पटेल, अमन, शशिकांत, राहुल, निलेश्वर, दीप, रोशन, राकेश पटेल, तरुण एवं ग्राम सरपंच विवेक पटेल सम्मिलित थे।

सत्संग के समापन पर गौमाता की आरती की गई, जिसके पश्चात उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया। कार्यक्रम की संपूर्ण व्यवस्था स्थानीय युवाओं व गौसेवकों द्वारा की गई, जिसकी सभी ने सराहना की।
यह सत्संग न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक प्रेरणा का स्रोत बना, बल्कि गौसंवर्धन और प्रकृति संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर जनजागरण का माध्यम भी सिद्ध हुआ।
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