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अमृत सरोवर मिशन के तहत हो रही जल संरक्षण की कवायद,जिले के 97 स्थानों में सरोवर बनाने की मिली स्वीकृति

कोरबा। जिले में अमृत सरोवर मिशन के तहत अब तक 121 सरोवरों का निर्माण किया गया है। जल संरक्षण के लिए 97 और स्थानों में भी सरोवर के लिए स्थल चिन्हित किया गया है। वर्षा जल संरक्षण से किसानों के खेतों में सिंचित रकबा में विस्तार होगा। मनरेगा से ग्रामीणों को रोजगार भी मिलेगा। मानसून के बाद नए सरोवरों का निर्माण होगा। आजादी के 75वीं वर्षगांठ पर केंद्र सरकार ने आजादी का अमृत महोत्सव मनाया। रोजगार गारंटी योजना के तहत अमृत सरोवर योजना लॉन्च की। इस योजना से कोरबा जिले में 121 अमृत सरोवर का निर्माण हुआ। अच्छी बारिश से प्रत्येक सरोवरों में 16 लाख 16 हजार क्यूबिक मीटर जल संरक्षण हुआ है। इसे देखते हुए रोजगार गारंटी के तहत अमृत सरोवर के तर्ज पर जिला पंचायत ने 97 नए जलाशयों के निर्माण करने की योजना बनाई है, जिसे शासन से स्वीकृति भी मिल चुकी है। नए सरोवर के अस्तित्व में आने से जिले में इनकी संख्या 218 हो जाएगी। नए सरोवर के निर्माण से ग्रामीणों को एक तरफ जहां रोजगार मिलेगा, वहीं दूसरी ओर 16 हजार किसानों के 7,900 हेक्टेयर कृषि रकबा को सिंचाई की सुविधा भी मिलेगी। कोरबा में पिछले 2 सालों में तलाब निर्माण में 88 हजार मजदूरों को रोजगार मिला है। नए वित्तीय वर्ष की शुरूआत से ही अब मजदूरी की दर 243 रुपए हो गई है। अमृत सरोवर योजना के तहत गांव लेपरा, तानाखार, कापूबहरा, नगोई, मांगामार, लबेद, रंजना देवलापाठ में प्रति सरोवर 1,600 क्यूबिक मीटर जल संरक्षण बढ़ने से सिंचाई के अलावा निस्तारी सुविधा भी मिल रही है।अब 97 अतिरिक्त जलाशय के निर्माण से जल संरक्षण की क्षमता में अतिरिक्त वृद्धि के साथ सिंचाई का रकबा भी बढ़ेगा। नए सरोवर के निर्माण के पहले जिला पंचायत में विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है, जिसके अनुसार सरोवर बनने से 2800 हेक्टेयर रकबा की मिट्टी क्षरण रुकेगा। 6.47 लाख क्यूबिक मीटर भूमिगत जल स्त्रोत संरक्षित होगा। इससे आसपास के कुएं, हैंडपंप सहित अन्य जल स्त्रोत भी संरक्षित होंगे। बड़े पैमाने पर ग्राउंड वाटर लेवल रिचार्ज होगा। जल संरक्षण से कृषि रकबा में भी विस्तार होगा। धान के अलावा ग्रीष्म फसल में गेहूं, दहलन व तिलहन का भी पैदावार ले सकेंगे। जलाशय के लिए ऐसे स्थानों का चिन्हाकन किया गया है। जहां वर्षा जल संरक्षण से न केवल किसानों को सिंचाई सुविधा मिलेगी बल्कि निस्तारी सुविधा की भी मिलेगी।
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कोरबा का सिंचित रकबा महज 10 से 12 फीसदी
छत्तीसगढ़ का सबसे ऊंचा बांध कोरबा जिले में मौजूद है। मिनीमाता बांगो परियोजना से जो नहर निकलते हैं। वह सीधे जांजगीर और रायगढ़ जिलों की तरफ चले जाते हैं। कोरबा का सिंचित रकबा महज 10 से 12 फीसदी है, जिसके कारण जिले के किसानों के खेत प्यासे ही रह जाते हैं। अच्छी बरसात नहीं होने पर खेतों में अच्छी पैदावार नहीं हो पाती। जिला पंचायत की जलाशय निर्माण वाली योजना से सिंचित रकबा बढ़ेगा और किसानों के खेतों के प्यास भी बुझेगी। कई बार रोजगार गारंटी से तालाब गहरीकरण, तालाब निर्माण के काम तो होते हैं, लेकिन उनमें पानी नहीं भर पाता। कई बार तालाब के निर्माण सिर्फ कागजों पर ही हो पाते हैं, इसलिए जलाशय का निर्माण हो और इसमें पानी भर जाए, तब यह एक मल्टीपरपज परियोजना की तरह काम करेगा।

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