क्या हैं NIRF रैंकिंग के मानक, कैसे किसी कॉलेज या यूनिवर्सिटी को मिलती है टॉप…

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क्या हैं NIRF रैंकिंग के मानक, कैसे किसी कॉलेज या यूनिवर्सिटी को मिलती है टॉप…
क्या हैं NIRF रैंकिंग के मानक, कैसे किसी कॉलेज या यूनिवर्सिटी को मिलती है टॉप रैंक? जानें पूरी डिटेल

NIRF Ranking 2024 की लिस्ट 12 अगस्त को जारी की गई.

नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) 2024 की लिस्ट जारी कर दी गई है. रैंकिंग लिस्ट केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से 12 अगस्त को जारी की गई. इस बार भी आईआईटी मद्रास ने सभी कैटेगरी में टाॅप किया है. वहीं इंजीनियरिंग श्रेणी में भी आईआईटी मद्रास ने देश में पहली रैंक प्राप्त की है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु को दूसरा स्थान मिला है. आइए जानते हैं कि NIRF रैंकिंग के मानक क्या हैं, कब और कैसे किसी यूनिवर्सिटी व कॉलेज को टाॅप रैंक दी जाती है.

देश के उच्च शिक्षा संस्थानों को NIRF-2024 में 13 कैटेगरी में सूचीबद्ध किया गया है. इन कैटेगरी में ओवरऑल, यूनिवर्सिटी, मैनेजमेंट, लॉ, मेडिकल, इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर, कॉलेज, फार्मेसी, डेंटल, एग्रीकल्चर और संबंधित क्षेत्र, रिसर्च इंस्टीट्यूट और इनोवेशन को शामिल किया गया है. NIRF रैंकिंग में इन सभी कैटेगरी के तहत आने वाले उच्च शिक्षा संस्थानों को जगह दी गई है. ओवरऑल कैटेगरी में 2019 से 2023 तक आईआईटी मद्रास लगातार अव्वल बना हुआ है. इंजीनियरिंग कैटेगरी में यह संस्थान 2016 से 2023 तक यह संस्थान पहले स्थान पर बरकार रहा.

कौन जारी करती है NIRF रैंकिंग?

उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षा और मुद्दों की गुणवत्ता बताने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) तैयार किया जाता है. इसके लिए अलग-अलग कैटेगरी बनाई जाती है. कॉलेज, यूनिवर्सिटी और अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों को इन कैटेगरी में शामिल कर अलग-अलग मानकों पर उनका मूल्यांकन किया जाता है. इस बार उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए 13 कैटेगरी तय की गई थी.

क्या हैं रैंकिंग के मानक?

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की एक कोर समिति ने रैंकिंग के लिए पांच मानक तय किए हैं. शिक्षा संस्थानों को पढ़ाई, लर्निंग एंड रिसोर्सेज, रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रैक्टिस, आउटरीच एंड इंक्लूजिविटी, पीआर पर्सेप्शन और ग्रेजुएशन आउटकम्स जैसे कई मानकों पर परखा जाता है. इसके तहत कोर समिति द्वारा तय मानकों के आधार पर रैंकिंग के लिए एक मैट्रिक्स सेट बनाया जाता है. रैंकिंग के हर एक पैरामीटर के लिए वेटेज तय है.

हर एक पैरामीटर के सब हेड में स्कोर देकर इससे जुड़े डेटा का अध्ययन और निरीक्षण होता है फिर हर पैरामीटर के सब हेड को मिले अंकों को जोड़कर, हर पैरामीटर का स्कोर गिना जाता है. सभी पैरामीटर को मिले वेटेज पर स्कोर दिया जाता है. अंत में सभी शिक्षा संस्थानों को मिले अंकों के आधार पर रैंकिंग तय होती है.

किस मानक के लिए कितना वेटेज?

समिति की सिफारिश पर अलग-अलग मानक (पैरामीटर) के लिए अलग-अलग वेटेज तय हैं. टीचिंग, लर्निंग और रिसोर्स के लिए अंक 100 और वेटेज 0.30 है. इसी तरह से रिसर्च और प्रोफेशनल प्रैक्टिस के लिए भी मार्क्स 100, वेटेज 0.30 है. आउटरीच एंड इन्क्लूजिविटी के मार्क्स 100 और वेटेज 0.10 है. ग्रेजुएशन आउटकम के मार्क्स 100, वेटेज 0.20 और पीआर पर्सेप्शन के मार्क्स 100, वेटेज 0.10 है.

कैसे तय होती है टाॅप रैंकिंग?

किसी भी शिक्षा संस्थान की रैंकिंग से वहां पढ़ाई की गुणवत्ता को आंकना आसान हो जाता है. सभी मानकों पर जो संस्थान खरा उतरता है और निरीक्षण में जिसे सभी मुद्दों पर पूरे नंबर मिलते हैं. वह ओवरऑल कैटेगरी में पहला स्थान हासिल करता है. वहीं अलग-अलग 13 कैटेगरी के लिए भी अलग-अलग टाॅप संस्थान चुने जाते हैं. इससे छात्र-छात्राओं के लिए यह तय करना आसान हो जाता है कि किस संस्थान में दाखिला लेना है.

कब शुरू हुई थी रैंकिंग की शुरुआत?

NIRF रैंकिंग की शुरुआत साल 2016 में हुई थी. हालांकि तब इसमें केवल चार कैटेगरी के शिक्षण संस्थानों को शामिल किया गया था. अब इसे बढ़ाकर 13 कैटेगरी कर दिया गया है. पहली बार यानी साल 2016 में जहां देश भर के 3565 शिक्षा संस्थानों ने रैंकिंग में हिस्सा लिया था. वहीं 2023 की रैंकिंग के लिए 8686 शिक्षा संस्थानों ने जोर-आजमाइश की थी.

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