हिंद महासागर में क्या कर रहे हैं चीन के तीन जासूसी जहाज? | CHINA 3 SPY SHIP INDIAN… – भारत संपर्क

चीन के हिंद महासागर में जहाज तैनात करने की खबरें पहले भी आती रही है. जहां पहले दो जहाज तैनात करने की खबर आई थी, लेकिन अब जानकारी मिली है कि चीन ने अपने तीन जहाज हिंद महासागर में तैनात कर दिए है. एक अंडमान द्वीप समूह के पास जोकि बंगाल की खाड़ी के मध्य में है, दूसरा मालदीव और तीसरा मॉरीशस में पोर्ट लुइस के पास.
जानकारी के अनुसार कम से चीन ने सर्वेक्षेण और निगरानी के लिए कम से कम तीन जहाज हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में तैनात कर रखे हैं, जो कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की मैपिंग के जरिए 2025 तक वाहक टास्क फोर्स (carrier task force patrols) गश्त शुरू करने के पीएलए नौसेना (चीन की नौसेना) के मकसद के हिस्से के रूप में है.
पहला जहाज अंडमान द्वीप के पास तैनात
चीन का जहाज जियांग यांग होंग 01 Xiang Yang Hong 01 अंडमान द्वीप समूह जो कि (बंगाल की खाड़ी के मध्य) से 600 मील पर है जोकि उन जहाज का परीक्षण कर रहा है जो लगभग 12 किलोमीटर की गहराई पर रह सकते है. हालांकि बताया जा रहा है कि चीन की इस जासूसी का मकसद तीन महीने तक समुद्र तल की मैपिंग करना और भविष्य में पनडुब्बी ऑपरेशन के लिए समुद्र संबंधी डेटा एकत्र करना है. XYH 01 7-8 मार्च की रात को बंगाल की खाड़ी में दाखिल हुआ और अभी भी इस क्षेत्र में तैनात है.
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दूसरा जहाज मालदीव में तैनात
चीनी का दूसरा जहाज जियांग यांग होंग 03 (Xiang Yang Hong 03) मालदीव में तैनात है जो कि 350 मील तक समुद्री अवलोकन और हाइड्रोग्राफिक सर्वे कर रहा है. हालांकि चीन इन तैनात जहाजों को जासूसी करने और भविष्य के सैन्य अभियानों की तैयारी के लिए इस्तेमाल ना करे, यही वजह है कि भारतीय नौसेना अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में इन चीनी जहाजों की गतिविधियों की निगरानी कर रही है.
तीसरा जहाज मॉरीशस में तैनात
तीसरा निगरानी जहाज दा यांग हाओ (Da Yang Hao) मॉरीशस में पोर्ट लुइस से 1200 मील दक्षिण में है और 45वीं पीएलए एंटी-पाइरेसी एस्कॉर्ट फोर्स राजधानी के दक्षिण पश्चिम में 550 मील की दूरी पर काम कर रही है. पीएलए की 46थान्टी-पाइरेसी टास्क फोर्स (46thanti-piracy task force)अदन की खाड़ी में काम कर रही है, हालांकि चीनी जहाजों द्वारा किसी सोमालियाई समुद्री डाकू को रोकने या किसी हौथी मिसाइल को निष्क्रिय करने की कोई खबर नहीं है. यह देखते हुए कि भारत को आने वाले सालों में चीन से समुद्री दबाव का सामना करना पड़ेगा, भारतीय नौसेना को इन चीजों को रोकने के लिए पानी के नीचे ड्रोन और लंबी सहनशक्ति वाली पनडुब्बियां हासिल करनी होंगी.