ड्रीमलाइनर जैसे प्लेन का पायलट बनने के लिए कौन सी डिग्री की होती है जरूरत?…


प्लेन का पायलट बनने के लिए कहां से लेनी होती है ट्रेंनिंग
गुजरात के अहमदाबाद स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास गुरुवार को एयर इंडिया बोइंग 787 ड्रीमलाइनर (फ्लाइट AI171) हादसे का शिकार हो गया. इस प्लेन में 230 यात्री और 12 क्रू मेंबर सवार थे. इस दुखद घटना ने एक बार फिर पायलट प्रशिक्षण और विमानन सुरक्षा को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई है. आइए इसी कड़ी में समझने की कोशिश करते हैं कि प्लेन का पायलट बनने के लिए कौन सी डिग्री चाहिए होती है. डिग्री प्राप्त करने के लिए कौन सी ट्रेनिंग से गुजरना हाेता है. अनुभव कितना जरूरी होता है. कमर्शियल पायलट का लाइसेंस कैसे मिलता है. कौन से संस्थान पायलट बनने की ट्रेनिंग देते हैं. ये ट्रेनिंग कैसे मिलती है.
कमर्शियल पायलट बनने की प्रक्रिया
कमर्शियल पायलट बनना एक लंबी, कठिन और जिम्मेदारी भरी प्रक्रिया है. इसमें शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुभव के कई चरण शामिल हैं. भारतीय नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) और अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) के दिशानिर्देशों के अनुसार, यह प्रक्रिया कई चरणों में पूरी होती है, लेकिन पायलट बनने के लिए किसी भी अभ्यर्थी के पास ये तीन पात्रता आवश्यक रूप से होनी चाहिए.
- पायलट बनने के लिए कितनी चाहिए एजुकेशन: कमर्शियल पायलट बनने के लिए अभ्यर्थियों को 12वीं कक्षा (10+2) में भौतिकी, गणित और अंग्रेजी के साथ कम से कम 50% अंक प्राप्त करने होते हैं. अंग्रेजी की अनिवार्यता जरूरी है, क्योंकि यह विमानन की वैश्विक भाषा है. इसके साथ ही अभ्यर्थी की उम्र कम से कम 17 साल होनी चाहिए.
- फिटनेस भी उतनी ही है जरूरी: पायलट बनने की ट्रेनिंग शुरू करने से पहले अभ्यर्थियों को DGCA द्वारा अनुमोदित क्लास एक मेडिकल सर्टिफिकेट अनिवार्य रूप से देना होता है, जिसमें दृष्टि, सुनने की क्षमता, हार्ट हेल्थ और मानसिक स्थिरता की जांच होती है. यह टेस्ट हर 6-12 महीने में दोहराया जाता है. कुछ एयरलाइंस में कॉकपिट डिजाइन के कारण न्यूनतम लंबाई (लगभग 5 फीट 2 इंच) की जरूरत हो सकती है.
- दो तरह की ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है: पायलट ट्रेनिंग के लिए दो तरह की अभ्यर्थियों को दो तरह की ट्रेनिंग लेनी होती है, जिसमें सैद्धांतिक (ग्राउंड स्कूल) और व्यावहारिक (फ्लाइट ट्रेनिंग) शामिल है. ये दोनों ही ट्रेनिंग 2 से 3 साल तक चलती है.
तीन तरह के पायलट लाइसेंस
पायलट की कठिन ट्रेनिंग के बाद किसी भी अभ्यर्थी को पायलट का लाइसेंस मिलना आसान नहीं होता है. इसके लिए अनुभव के पैमाने से गुजरना होता है. इसी कड़ी में किसी भी पायलट को चरणबद्ध तरीके से तीन तरीके से लाइसेंस दिए जाते हैं, जिसमें प्राइवेट पायलट लाइसेंस (PPL) और कमर्शियल पायलट लाइसेंस (CPL) एयरलाइन ट्रांसपोर्ट पायलट लाइसेंस शामिल है.
प्राइवेट पायलट लाइसेंस
प्राइवेट पायलट लाइसेंस को पहला चरण माना जा सकता है. इसमें अभ्यर्थियों को छोटे सिंगल-इंजन विमानों को उड़ाना सिखाया जाता हैं. DGCA के अनुसार, इसमें न्यूनतम 40 घंटे की उड़ान, मौसम विज्ञान और नेविगेशन की पढ़ाई शामिल होती है. PPL प्राप्त करने में 6-12 महीने लगते हैं.

कमर्शियल पायलट के लिए कितना अनुभव जरूरी
कमर्शियल लाइसेंस के लिए 200 घंटे की उड़ान जरूरी
कर्मशियल लाइसेंस प्राप्त कर कोई भी पायलट यात्री विमानों काे उड़ा सकता है, लेकिन ये सफर तय करना बेहद ही कठिन होता है. कमर्शियल पायलट लाइसेंस के लिए अभ्यर्थी के पास 200 घंटे की उड़ान का अनुभव होना चाहिए, जिसमें मल्टी-इंजन विमान प्रशिक्षण, रात में उड़ान और इंस्ट्रूमेंट रेटिंग (IR) अनुभव शामिल है. इस लाइसेंस को प्राप्त करने में 2 से 3 साल लग जाते हैं. वहीं लाइसेंस के लिए DGCA की तरफ से आयोजित लिखित, मौखिक और फ्लाइट टेस्ट को पास करना होता है.
एयरलाइन ट्रांसपोर्ट पायलट लाइसेंस (ATPL)
एयरलाइन ट्रांसपोर्ट पायलट लाइसेंस को इस कैटेगरी का टॉप लाइसेंस माना जाता है, जिसे हासिल करने के बाद बड़े विमानों का कैप्टन बना जा सकता है. इसके लिए 1500 घंटे की उड़ान और मल्टी-क्रू कोऑपरेशन (MCC) कोर्स की जरूरत होती है. ATPL हासिल करने में 8 से 12 साल लग सकते हैं. स्पेशल प्लेन जैसे बोइंग 787, जो अहमदाबाद हादसे में शामिल था उड़ाने के लिए 4-8 सप्ताह का सिम्युलेटर और ऑन-जॉब प्रशिक्षण लिया जाता है.
खर्च और प्रशिक्षण संस्थान
भारत में PPL और CPL हासिल करने की लागत 25-50 लाख रुपये हो सकती है, जबकि विदेशी स्कूलों में यह 50 लाख से 1 करोड़ रुपये तक हो सकती है. भारत के प्रमुख फ्लाइट स्कूलों में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी (IGRUA), रायबरेली और नेशनल फ्लाइंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (NFTI), गोंदिया शामिल हैं.
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