क्या होता है ‘आम मनोरथ’? मुकेश अंबानी से है ये खास कनेक्शन |…- भारत संपर्क

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क्या होता है ‘आम मनोरथ’? मुकेश अंबानी से है ये खास कनेक्शन |…- भारत संपर्क
क्या होता है 'आम मनोरथ'? मुकेश अंबानी से है ये खास कनेक्शन

मुकेश अंबानी और आम मनोरथ का कनेक्शन

एशिया के सबसे अमीर इंसान और अरबपति उद्योगपति मुकेश अंबानी भारत के सबसे बड़े आम उत्पादक भी हैं. जामनगर के रिलायंस रिफाइनरी कॉम्प्लेक्स में उन्होंने धीरूभाई अंबानी लाखीबाग आमराई बनाया है, जो करीब 600 एकड़ में फैला है. यहां पैदा होने वाला अधिकतर आम एक्सपोर्ट होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यहां पैदा होने वाले आम से जुड़ी एक परंपरा ‘आम मनोरथ’ बड़े धूमधाम से अंबानी परिवार मनाता है. इसका संबंध भगवान श्रीकृष्ण के श्रीनाथ जी रूप से भी है. चलिए आपको बताते हैं इस परंपरा की पूरी कहानी…

ये तो हम सभी जानते हैं कि मुकेश अंबानी और उनका परिवार काफी धार्मिक है. इतना ही नहीं वह राजस्थान स्थित श्रीनाथ जी का अनन्य भक्त भी है. मुकेश अंबानी अक्सर अपने परिवार के साथ श्रीनाथ जी में पूजा-अर्चना करने जाते रहे हैं. इसी मंदिर से जुड़ी एक परंपरा को अंबानी परिवार अपने एंटीलिया में भी मनाता है.

एंटीलिया के कृष्ण मंदिर में होता है ‘आम मनोरथ’

मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया में एक बड़ा सा श्रीकृष्ण मंदिर है. इसी मंदिर में हर साल अंबानी परिवार ‘आम मनोरथ’ मनाता है. मुकेश अंबानी की पत्नी नीता अंबानी खुद इससे जुड़ी तैयारियों पर बारीक नजर रखती हैं. ‘आम मनोरथ’ के उत्सव में भगवान श्रीकृष्ण के श्रीनाथजी स्वरूप को आम की पहली पैदावार का भोग लगाया जाता है.

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इसमें एंटीलिया के मंदिर को आम से सजाया जाता है. यहां तक कि आम से ही झूमर तक बनाए जाते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस उत्सव के लिए आम रिलायंस के जामनगर वाले बाग से ही लाए जाते हैं. इस उत्सव को लेकर एक शानदार लोककथा का भी जिक्र मिलता है.

भगवान श्रीकृष्ण को बहुत पसंद थे आम

‘आम मनोरथ’ को लेकर भगवान श्रीकृष्ण के बचपन से जुड़ी एक लोककथा है. इस कथा के मुताबिक एक बार भगवान श्रीकृष्ण गोकुल में अपने आंगन में खेल रहे थे, तभी वहां एक गरीब आम बेचने वाली आई. आम बेचने वाली गोपी की आवाज सुनकर भगवान श्रीकृष्ण अपनी अंजुलि (दोनों हाथों की हथेली को जोड़कर बनाई गई मुद्रा) में अनाज भरकर उस गोपी की और दौड़े, लेकिन वहां तक पहुंचते-पहुंचते उनके हाथ में थोड़ा ही अनाज बचा.

इसके बाद उन्होंने गोपी से अनाज के बदले आम देने को कहा, तब गोपी ने उनकी मासूमियत को देखते हुए उस थोड़े से अनाज के बदले जितने आम भगवान श्रीकृष्ण के दोनों हाथों में आ सकते थे, उन्हें दे दिए. फिर वह गोपी उन थोड़े से अनाज को लेकर चली गई और जब यमुना किनारे पहुंची, तब उसे अपनी टोकरी भारी लगी. इसके बाद उसने जब टोकरी को सिर से उतारकर देखा तो अनाज के वह सारे दाने रत्न-आभूषण में बदल चुके थे. इसी कहानी को लेकर ‘आम मनोरथ’ का त्यौहार मनाया जाता है.

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