क्या है गुलियन बेरी सिंड्रोम और इसके लक्षण- Guillain-Barré Syndrome-…
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पुणे में गुलियन बेरी सिंड्रोम (Guillain-Barré Syndrome) से 100 से ज्यादा लोग बीमार हो गए हैं। इससे शरीर की मांसपेशियां अक्षम होने लगती हैं, उनके हाथ–पैर सुन्न होने लगते हैं। जिससे मरीज का चलना–फिरना और कोई भी काम करना मुश्किल हो जाता है।
सर्दी का यह मौसम भारत में अच्छी खबर लेकर नहीं आया है। अभी hmpv वायरस का डर खत्म नहीं हुआ था कि महाराष्ट्र के पुणे में एक रेयर डिसॉर्डर ने दस्तक दे दी है। इस डिसॉर्डर का नाम है- गुलियन-बेरी सिंड्रोम (Guillain-Barré Syndrome)। यह एक न्यूरॉलॉजिकल डिसऑर्डर है। इसका असर सबसे ज्यादा हमारी नसों पर होता है। पुणे में अब तक 101 लोग इस डिसॉर्डर से पीड़ित हो चुके हैं। इनमें से 16 लोग वेंटिलेटर सपोर्ट देनी पड़ रही है। सिंड्रोम के शिकार मरीजों में 68 पुरुष और 33 महिलाएं हैं।
गुलियन बेरी सिंड्रोम अब तक (gbs outbreak)
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, पुणे में (GBS) गुलियन-बेरी सिंड्रोम (Guillain-Barré Syndrome) के मामले अब 101 हो गए हैं। इसमें 68 पुरुष और 33 महिलाएं शामिल हैं। इनमें से 16 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। इसके अलावा, पुणे नगर निगम और रैपिड रिस्पांस टीम (RRT) सिन्हगड रोड के प्रभावित इलाकों में लगातार निगरानी रख रही हैं।
इसके अलावा, पुणे के स्थानीय प्रशासन के अनुसार, अब तक 25,578 घरों का सर्वे किया जा चुका है। इनमें से 15,761 घर पुणे नगर निगम क्षेत्र में हैं, जबकि 3,719 घर चिंचवड नगर निगम क्षेत्र में सर्वे किए गए हैं।
क्या है गुलियन-बेरी सिंड्रोम (What is Guillain-Barré Syndrome)
गुलियन-बेरी सिंड्रोम (Guillain-Barré Syndrome या GBS) एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अपनी ही नर्व सेल्स पर हमला करना शुरू कर देता है। यह एक तरह से शरीर का ऑटो इम्यून डिसॉर्डर है। यह सबसे ज्यादा शरीर की बाहरी नसों को प्रभावित करता है, जिससे नसों से संदेश सही तरीके से दिमाग तक नहीं पहुंच पाते और शरीर में कमजोरी, बॉडी पार्ट्स सुन्न हो जाना और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
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गुलियन-बेरी सिंड्रोम के कारण (How does Guillain-Barré Syndrome Spread)
रेयर तरह के इस सिंड्रोम (Gbs) का असल कारण अभी तक अज्ञात है। ऐसा हम नहीं, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन कहता है लेकिन आमतौर पर ये किसी वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन के बाद होता है।
1. वायरल इंफेक्शन
फ्लू, या सर्दी-ज़ुकाम के बाद ये सिंड्रोम अक्सर देखा जाता है। अमेरिका की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार ये सिंड्रोम (Guillain-Barré Syndrome) कोविड के कुछ मरीजों में भी पाया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे मरीज जो गुलियन-बैरे सिंड्रोम की जद में थे, उनमें सार्स कोविड 2 (कोविड का ही एक वायरस) पाया गया था।
2. बैक्टीरियल इंफेक्शन
यह सिंड्रोम बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण (guillain barré syndrome causes) भी होता है। खासकर आंतों या फेफड़ों के इन्फेक्शन की वजह से। यह बहुत हद तक सर्द मौसम में देखा जाता है। जब ठंडी हवाएं हमारे फेफड़ों में इन्फेक्शन का कारण बन जाती हैं। इसके अलावा कभी कभी कुछ खाने की अचहेजें भी हमारी आंतों को इन्फेक्शन दे सकती हैं, जिसकी वजह से ये वायरस जन्म लेता है।
3. टीके
WHO की एक रिपोर्ट कहती है कि ये सिंड्रोम (Guillain-Barré Syndrome) कुछ खास तरह के टीके लगने के बाद भी ट्रिगर हो सकता है। हालांकि ऐसा रेयर ही होता है।
क्या हैं गुलियन बेरी सिंड्रोम के लक्षण (Guillain-Barré Syndrome symptoms)
इस खास तरह के इस सिंड्रोम के लक्षण हर व्यक्ति में अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ आम लक्षण हैं जो अक्सर दिखाई देते हैं-
![Guillain-Barré Syndrome](https://images.healthshots.com/healthshots/hi/uploads/2025/01/27133407/Guillain-Barre-Syndrome-%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%AE%E0%A4%AA%E0%A4%9F%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%B8.jpg)
- शरीर के अंगों में सुन्नता और कमजोरी
- शरीर के अलग-अलग हिस्सों में जैसे हाथ, पैर, या चेहरे में झनझनाहट
- मांसपेशियों में ऐंठन या दर्द
- मरीज को सांस लेने में मुश्किलगुलियन-बैरे सिंड्रोम
- चलते वक्त संतुलन में कमी और चलने में मुश्किल
गुलियन बेरी सिंड्रोम का उपचार कैसे किया जाता है (Treatment of Guillain-Barré Syndrome)
गुलियन-बेरी सिंड्रोम (Guillain-Barré Syndrome) का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन कुछ उपचार हैं जिनसे लक्षणों को कम किया जा सकता है और रोगी की स्थिति बेहतर हो सकती है
1. इम्यूनोग्लोबुलिन थेरेपी (guillain barré syndrome pune Treatment)
इस सिंड्रोम (Guillain-Barré Syndrome) का यह आम उपचार है जिसे डॉक्टर चुनते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, इलाज की इस प्रक्रिया में मरीज को प्लाज्मा की शक्ल में एंटीबॉडीज दी जाती हैं, जो किसी स्वस्थ मरीज से ली जाती हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि मरीज के शरीर में इन एंटीबॉडीज की मदद से इम्यून सिस्टम को मजबूत करने की ताकत आ सके।
2. प्लाज्मा फेरिसिस (Plasmapheresis)
अमेरिका की नेनशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरॉलॉजी की रिपोर्ट के अनुसार, इलाज की इस प्रक्रिया में मरीज के खून में प्लाज्मा के उस पदार्थ को हटाया जाता है, जो शरीर के इम्यून सिस्टम को नुकसान पहुंचा रहे हों।
![Guillain-Barré Syndrome](https://images.healthshots.com/healthshots/hi/uploads/2025/01/27133630/New-Project-87.jpg)
ऐसा करने के बाद शरीर पर इम्यून सिस्टम के हमले रुक जाते हैं और मरीज को गंभीर नुकसान का खतरा टल जाता है। अक्सर ऐसा इलाज डॉक्टर तब चुनते हैं जब मरीज का खतरा गंभीर हो। जैसे नर्वस सिस्टम के डैमेज होने के नाते दिमाग का काम प्रभावित होने लगना और स्ट्रोक का खतरा मंडराना।
3. फिजिकल थेरेपी
कई बार मरीज की मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने और चलने-फिरने में मदद करने के लिए फिजिकल थेरेपी की मदद ली जाती है। इसमें व्यायाम जैसी चीजें शामिल होती हैं। मरीज के शारीरिक रूप से हरकत करने से उनका ब्लड सर्कुलेशन मजबूत होता है और नसें भी ठीक होती हैं।
4. ऑक्सीजन सपोर्ट
अगर मरीज को सांस लेने में ज्यादा तकलीफ हो रही हो, उसके फेफड़े या रेसपिरेट्री सिस्टम इस तरह डैमेज्ड हों कि वो सांस न से सके तब उसे ऑक्सीजन सपोर्ट पर भी रखा जा सकता है।
ठीक होने में कितना वक्त लग सकता है? ( How long it takes to recover from Guillain-Barré Syndrome)
गुलियन-बेरी सिंड्रोम (Guillain-Barré Syndrome) से ठीक होने में समय लग सकता है। कुछ लोग जल्दी ठीक हो जाते हैं, जबकि कुछ को कई महीने या साल भी लग सकते हैं। इलाज के बाद अधिकतर लोग ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ लोगों को हल्की कमजोरी या दर्द जैसी समस्या रह सकती है।
![Guillain-Barré Syndrome](https://images.healthshots.com/healthshots/hi/uploads/2025/01/27134036/New-Project-88.jpg)
इस तरह की बीमारी में मरीज को हमेशा ये ध्यान रखना है कि लक्षण (gbs symptoms) दिखाई देते ही डॉक्टर से संपर्क किया जाए। वक्त पर इलाज ही इस बीमारी (Guillain-Barré Syndrome) से ठीक होने का एकमात्र उपाय है।
बचाव के उपाय ( Prevention from GBS)
1. हाथों को बार-बार धोएं और मास्क पहनें ताकि संक्रमण से बचाव हो सके।
2. फ्लू और अन्य वायरल संक्रमणों से बचने के लिए समय-समय पर टीके लगवाएं।
3. किसी भी वायरल इंफेक्शन के लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करें।
4. सही आहार, व्यायाम, और पर्याप्त नींद से अपने इम्यून सिस्टम को ठीक रखें ताकि वो बीमारियों और इन्फेक्शन से लड़ सके। को बढ़ाएं।
5. मानसिक तनाव से बचने के लिए ध्यान और योग करें।
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