मोदी सरकार की वो खास स्कीम्स जिनकी घोषणा बजट में हुई थी, अब क्या है उनकी हालत | Those…
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को लगातार छठे साल अपना बजट भाषण देने जा रही हैं. वैसे यह बजट केवल अंतरिम होगा, इसलिए इसमें कोई महत्वपूर्ण घोषणाएं होने की संभावना नहीं है. आगामी वित्तीय वर्ष का पूरा बजट लोकसभा चुनाव के बाद बनने वाली अगली सरकार पेश करेगी. 2014 के “अच्छे दिन” से लेकर “न्यू इंडिया 2022” तक – मोदी सरकार अपनी अलग—अलग योजनाओं के लिए मुहावरे गढ़ने के लिए जानी जाती है. विपक्ष ने कुछ प्रमुख बजट घोषणाओं को ‘मोदी का जुमला’ करार देते हुए सिरे से खारिज कर दिया है. आइए मोदी सरकार द्वारा की गई कुछ लोकप्रिय बजटीय घोषणाओं की बात करते हैं और समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर वह सभी योजनाएं कितनी ट्रैक पर हैं?
किसान रेल
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट 2020-21 भाषण में जल्द खराब होने वाले सामान के ट्रांसपोर्टेशन के लिए कोल्ड सप्लाई चेन तहत पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड के माध्यम से ‘किसान रेल’ स्थापित करने का प्रस्ताव रखा था. सरकार ने कृषि मंत्रालय के अंडर में इसके लिए एक कमेटी का भी गठन किया था. जिसमें ‘किसान रेल’ के तौर-तरीकों पर काम करने के लिए भारतीय रेलवे के प्रतिनिधि भी शामिल थे. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि किसान रेल ने 7 अगस्त, 2020 से 31 जनवरी, 2023 के बीच 7.9 लाख टन खराब होने वाली वस्तुओं का ट्रांसपोर्ट किया है.
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मंत्री ने आगे कहा कि कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय और राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों के परामर्श से किसान रेल की आवाजाही के लिए संभावित सर्किट की पहचान की गई है. उन्होंने जानकारी दी थी कि किसान रेल को चलाने के लिए प्राथमिकता के आधार पर रेक प्रोवाइड कराने के लिए लोकल बॉडीज और मंडियों जैसी एजेंसियों को भी इसमें शामिल किया गया.
टीबी हारेगा देश जीतेगा
अपने दूसरे बजट 2020-21 भाषण में, सीतारमण ने 2025 तक टीबी को खत्म करने के लिए ‘टीबी हारेगा, देश जीतेगा’ अभियान शुरू किया था. खास बात तो ये है कि ग्लोबली इस बीमारी को खत्म करने के लिए साल 2030 तक का टारगेट तय किया गया है. वहीं भारत सरकार ने इसे खत्म करने के लिए उनके टारगेट से भी 5 साल पहले का लक्ष्य रखा था. इस बीच कोविड महामारी ने कई रुकावटें खड़ी कर दीं.
डब्ल्यूएचओ ने एक बयान में कहा है कि टीबी से निपटने के वैश्विक प्रयासों ने वर्ष 2000 के बाद से अनुमानित 66 मिलियन लोगों की जान बचाई है. हालांकि, कोविड-19 महामारी ने टीबी को समाप्त करने की लड़ाई में वर्षों की प्रगति को उलट दिया है. एक दशक से अधिक समय में पहली बार 2020 में टीबी से होने वाली मौतों में वृद्धि हुई है.
भारत ने इस मोर्चे पर अच्छी प्रगति की है, और इसके प्रयासों को डब्ल्यूएचओ ने अपनी ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2023 में स्वीकार किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुमानित टीबी केसों के ट्रीटमेंट कवरेज में 80 फीसदी तक सुधार हुआ है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 19 फीसदी की वृद्धि है.
TB हारेगा, देश जीतेगा!
13.10 लाख मरीज प्रधानमंत्री टीबी (TB) मुक्त भारत अभियान के तहत लाभार्थी।
71 हजार से अधिक निक्षय मित्र 10 लाख से अधिक टीबी रोगियों की कर रहे सहायता।#WorldTBDay #TBMuktBharat pic.twitter.com/9ow6YzSJKl
— BJP (@BJP4India) March 24, 2023
भारत के प्रयासों की वजह से 2015 की तुलना में 2022 में टीबी केसों में 16 फीसदी की कमी आई है, जो कि ग्लोबल टीबी केसों में गिरावट की स्पीड से लगभग दोगुनी है (जो कि 8.7 फीसदी है).रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल लेवल पर टीबी से डेथ रेट में भी इजाफा देखने को मिला है, लेकिन भारत में इसी अवधि के दौरान 18 फीसदी की कमी आई है.
रिपोर्ट के अनुसार भारत की इंटेंसीफाइड केस डिडेक्शन स्ट्रैटिजी की वजह से साल 2022 में ऐसे मामने सबसे ज्यादा नोटिफाई हुए हैं. इस दौरान 24.22 लाख से ज्यादा टीबी के केस के नोटिफाइड किए गए जोकि प्री कोविड लेवल को भी पार कर गया.
नेशनल टेक्नीकल टेक्स्टाइल मिशन
केंद्रीय बजट 2020-21 में 1,480 करोड़ रुपए के आउटले के साथ नेशनल टेक्नीकल टेक्स्टाइल मिशन की घोषणा की गई थी, जिसका उद्देश्य भारत को टेक्नीकल टेक्स्टाइल में ग्लोबल लीडर के रूप में स्थापित करना था. रिसर्च, इनोवेशन और डेवलपमेंट, मार्केटिंग और मार्केट डेवलपमेंट, एक्सपोर्ट प्रमोशन और एजुकेशन, ट्रेनिंग और स्किल डेवलपमेंट मिशन के पिलर्स हैं. कपड़ा मंत्रालय के संयुक्त सचिव राजीव सक्सेना ने पिछले साल नवंबर में कहा था कि 2030 तक भारत में टेक्नीकल टेक्स्टाइल मार्केट 40 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. सक्सेना ने आगे कहा था कि भारत अगले सात सालों में टेक्नीकल टेक्स्टाइल प्रोडक्ट्स के निर्यात में अपनी हिस्सेदारी मौजूदा 2.5 अरब डॉलर से बढ़ाकर 10 अरब डॉलर करने का लक्ष्य बना रहा है. इसलिए, नेशनल टेक्नीकल टेक्स्टाइल मिशन को 2026 तक बढ़ा दिया गया है.
हिंदु की रिपोर्ट के अनुसार राजीव सक्सेना ने कहा था कि हमारे पास हाई परफॉर्मेंस फाइबर नहीं है. हम अपनी ज़रूरतें इंपोर्ट आयात करते हैं. उन्होंने आगे कहा था कि केंद्र ने आरएंडडी के लिए मिशन के तहत पहले ही 1,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, और अब तक 371 करोड़ रुपए की 126 परियोजनाओं को मंजूरी दी है. सक्सेना ने कहा था कि लेकिन उद्योग का और अधिक निवेश करने की जरूरत है.
‘विवाद से विश्वास’ योजना
विवाद से विश्वास योजना का उद्देश्य डायरेक्ट टैक्स पेमेंट में मुकदमेबाजी को कम करना है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने केंद्रीय बजट 2020-21 भाषण में इस योजना की घोषणा करते हुए कहा था कि जिन टैक्सपेयर्स के केसों में अपील किसी भी स्तर पर पेंडिंग है, वे इस योजना से लाभ उठा सकते हैं. उन्होंने कहा था कि टैक्सपेयर्स को केवल डिस्प्यूटिड टैक्स के अमाउंट का पेमेंट करना होगा. उसे ब्याज और जुर्माने से पूरी छूट मिलेगी, बशर्ते वह 31 मार्च, 2020 तक भुगतान कर दे. उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि टैक्सपेयर्स इस अवसर का उपयोग कष्टदायक लिटिगेशन प्रोसेस से राहत पाने के लिए करेंगे.
The Department of Expenditure @FinMinIndia launched #VivadSeVishwas Scheme to provide relief to MSMEs for settling pending disputes generated due to #COVID19 pandemic.#PromisesDelivered pic.twitter.com/yt1BjPYlmL
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) January 30, 2024
विवाद से विश्वास योजना ने सरकार को बढ़ते कर विवादों को निपटाने और लगभग 54,000 करोड़ रुपए इकट्ठा करने में मदद की है. यह इतना सफल हुआ कि सरकार ने सरकार और सरकारी उपक्रमों से जुड़े अनुबंध संबंधी विवादों के मामलों में समाधान देने के लिए के लिए पिछले साल “विवाद से विश्वास 2” स्कीम शुरू की.
वित्त मंत्रालय ने कहा कि इसके नए वर्जन के तहत, सरकार ने 2023 में 2,302 करोड़ रुपए के मामलों का निपटारा किया. केंद्र को कांट्रैक्टचुअल डिस्प्यूट के 20000 करोड़ रुपए के 900 से अधिक क्लेम मिले. जिसमें से 1,652 करोड़ रुपए के क्लेम को सेटर भी कर दिया गया. कोविड अवधि के दौरान कांट्रैक्टचुअल डिस्प्यूटके लिए, केंद्र ने एमएसएमई द्वारा 650 करोड़ रुपए से अधिक के क्लेम को सेटल किया. मंत्रालय ने कहा कि 1 दिसंबर, 2023 तक, एमएसएमई द्वारा 650 करोड़ रुपए से अधिक के 43,904 क्लेम का सरकार द्वारा सेटमेंट किया गया था.
प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना
वित्त वर्ष 2021-22 के अपने बजट भाषण में, सीतारमण ने छह वर्षों में (वित्त वर्ष 25-26 तक) लगभग 64,180 करोड़ रुपए के बजट के साथ ‘प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना’ (पीएमएएसबीवाई) योजना की घोषणा की थी. यह योजना राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से अलग है. पीएमएएसबीवाई का उद्देश्य पब्लिक हेल्थ इंफ्रा, स्पेशली शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में क्रिटिकल केयर फैसिलिटीज और प्राइमरी केयर के गैप को भरना है.
पिछले साल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि देश भर में 1.5 लाख हेल्थ और वेलफेयर सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा था कि इन सेंटर्स ने लोगों के घरों के नजदीक मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसी स्थितियों की जांच की सुविधा प्रदान की है. पीएमएएसबीवाई का लक्ष्य महानगरीय इलाकों में ब्लॉक, डिस्ट्रिक्ट, रीजनल और नेशनल लेवल पर सर्विलांस लैबोटरीज का एक नेटवर्क विकसित करके एक आईटी-बेस्ड डिजीज सर्विलांस सिस्टम का भी निर्माण करना है.
जल जीवन मिशन अर्बन
2021-22 में अपने बजट भाषण के दौरान, वित्त मंत्री ने जल जीवन मिशन (शहरी) की घोषणा की थी. जिसके तीत देश के 4,378 शहरों में रहने वाले लोगों के घरों में पानी पहुंचवाने की बात कही थी. सीतारमण ने अपने बजट भाषण में जल जीवन मिशन अर्बन के लिए 2.87 लाख करोड़ के बजट का ऐलान किया था. यह योजना पूरे देश में लागू की गई है और केंद्र, राज्यों और शहरी स्थानीय निकायों के बीच विभिन्न एमओयू पर साइन किए गए हैं.
प्रत्येक शहर के लिए शहरी जल संतुलन योजना के विकास के माध्यम से पानी की चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए भी काम चल रहा है. जहां तक इस महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन के ओवरऑल प्रोग्रेस का सवाल है, आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, लगभग 72 फीसदी ग्रामीण परिवारों के पास अब नल के पानी के कनेक्शन तक पहुंच है. 2024 में, जल शक्ति मंत्रालय को प्रत्येक ग्रामीण घर में नल के पानी के कनेक्शन की 100 फीसदी तक कवरेज हासिल करने का लक्ष्य दिया गया है, जो 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कमीटमेंट की थी.
व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी
केंद्रीय बजट 2021-22 में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रााइवेट और कमर्शियल व्हीकल के लिए व्हीकल वाहन स्क्रैपिंग पॉलिसी का प्रस्ताव रखा. इस पॉलिसी का मुख्य उद्देश्य वायु प्रदूषण और ऑयल इंपोर्ट बिल को कम करने के लिए इकोफ्रेंडली और फ्यूल-एफिशिएंट व्हीकल को प्रमोट करना था. पॉलिसी के तहत व्हीकल को फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा. 20 साल से अधिक पुराने प्राइवेट व्हीकल और 15 वर्ष से अधिक पुराने कमर्शियल व्हीकल को निश्चित रूप से फिटनेस टेस्टिंग से गुजरना चाहिए. जो ऑटोमेटिड फिटनेस सेंंटर्स कंडक्ट किया जाना है.
Union Minister @nitin_gadkari calls upon all stakeholders to come forward and support the Vehicle Scrapping policy, describing it is a win-win situation for all
Auto OEMs should work towards increasing their production capacity and support the nation to become the largest auto pic.twitter.com/tSeJBlOZ3u
— PIB India (@PIB_India) September 25, 2023
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने संसद में कहा है कि रजिस्टर्ड व्हीकल स्क्रैपिंग फैसिलिटीज द्वारा 31 मार्च 2023 तक कुल 11,025 वाहन (7,750 प्राइवेट और 3,275 सरकारी वाहन) स्क्रैप किए गए हैं. उन्होंने आगे कहा कि 24 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने पहले ही 15 साल से अधिक पुराने 2,56,935 सरकारी स्वामित्व वाले वाहनों की सूचना दी है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी के एग्जीक्यूशन के लिए राज्य सरकारों को इंसेटिव दे रही है.
वन स्टेशन वन प्रोडक्ट
केंद्र ने केंद्रीय बजट 2022-23 में अपनी महत्वाकांक्षी ‘वन स्टेशन वन प्रोडक्ट’ योजना शुरू की. यह सरकार के ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ प्रोग्राम का एक्सटेंशन है, और प्रत्येक रेलवे क्षेत्र में 25 मार्च, 2022 को एक पायलट परियोजना शुरू की गई थी. इस योजना का उद्देश्य स्वदेशी उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध कराना और समाज के हाशिए पर रहने वाले सेक्शंस के लिए अतिरिक्त आय के अवसर पैदा करना है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 30 नवंबर 2023 तक 1083 स्टेशनों पर 1189 ओएसओपी आउटलेट चालू थे. ये ओएसओपी आउटलेट स्थानीय लाभार्थियों को आवंटित किए गए हैं.