ये कैसा नशा मुक्ति केंद्र! शराब छुड़वाने के लिए करते हैं पिटाई, दो मौत के ब… – भारत संपर्क

ग्वालियर में चल रहे नशा मुक्ति केंद्रों की होगी जांच
ग्वालियर में चल रहे नशा मुक्ति केंद्र, अब यातना केंद्रों में तब्दील होते जा रहे हैं. नशा छुड़ाने के लिए भर्ती कराए गए लोगों की अब जान पर बन आई है. अभी हाल ही में शहर के नशा मुक्ति केंद्र में एक मौत के मामले में हत्या का केस दर्ज किया गया है, जिसके बाद प्रशासन भी हरकत में आ गया है और अवैध रूप से संचालित नशा मुक्ति केंद्रों की कुंडली खंगालने का काम शुरू हो गया है.
इस तरह के नशा मुक्ति केंद्र पर लगाम कसने के लिए बाकायदा SDM स्तर के अधिकारियों के साथ पुलिस और नगर निगम के अधिकारी भी शामिल किए गए हैं. खास बात ये है कि सामाजिक न्याय विभाग में सिर्फ दो ही नशा मुक्ति केंद्र रजिस्टर्ड हैं बाकी करीब 10 से ज्यादा संस्थाओं ने अपने डॉक्यूमेंट तक जमा नहीं किए हैं. ऐसे में अवैध रूप से चल रहे सभी नशा मुक्ति केंद्र लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.
दरअसल बीते दिनों शहर में महाराजपुरा स्थित मिनी गोल्डन सोसायटी के संस्कार नशा मुक्ति केंद्र में एक बैंक के फील्ड अधिकारी पंकज शर्मा की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. केंद्र के बारे में मालूम चला था कि वह अवैध रूप से संचालित हो रहा है, जिसके बाद पुलिस ने पांच लोगों पर हत्या का मामला दर्ज किया था और बाद में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया. इस हत्याकांड के बाद शहर में चल रहे नशा मुक्ति केंद्र की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है.
बता दें कि पहले भी कई बार नशा मुक्ति केंद्रों पर मारपीट और जान लेने तक के आरोप लगे हैं लेकिन इस बार कलेक्टर रुचिका सिंह चौहान ने इसे गंभीरता से लिया है और जांच दल का गठन किया है. यह जांच दल महीने के आखिर तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी.
अवैध रूप से चल रहे संस्थान
सामाजिक न्याय विभाग, संस्थाओं को नशा मुक्ति केंद्र परामर्श और बोर्डिंग की अनुमति देने का काम करता है. सामाजिक न्याय विभाग के रिकॉर्ड की बात करें तो जब से नशा मुक्ति केंद्र में हत्या का मामला दर्ज हुआ है, तभी से जिले में चल रहे नशा मुक्ति केंद्रों को चिन्हित किया जा रहा है, क्योंकि सामाजिक न्याय विभाग के पास अभी तक डेढ़ दर्जन से ज्यादा संस्थाओं की जानकारी है, जिनमें से सिर्फ रमन और अहिंसा नाम की दो संस्थाएं केवल मरीज को परामर्श और प्रचार प्रसार के लिए रजिस्टर्ड हैं.
बाकी करीब 11 संस्थाएं अभी भी अपने दस्तावेज को लेकर सामाजिक न्याय विभाग नहीं पहुंची हैं. या यूं कहें कि अवैध रूप से शहर भर में संचालित हो रही हैं. सीएमएचओ डॉक्टर सचिन श्रीवास्तव का कहना है कि इसके बारे में भोपाल स्थित मेंटल हेल्थ सोसायटी ही जानकारी दे पाएगी. उनकी पास कोई भी आंकड़ा नहीं है.
पुलिस जवान की भी हो चुकी है मौत
ग्वालियर के बिजौली थाना क्षेत्र के मंथन नशा मुक्ति केंद्र में 23 अगस्त को कॉन्सटेबल अजय भदौरिया का भर्ती कराया था. अय भदौरिया भिंड का रहने वाला था और मंदसौर में पोस्टेड था. अजय शराब पीने का आदी था और उसकी इसी आदत को छुड़वाने के लिए परिवार के लोगों ने नशा मुक्ति केंद्र में उसे भर्ती कराया था. परिजनों का आरोप है कि केंद्र के कर्मचारियों ने अजय के साथ मारपीट की जिसके कारण उसकी मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कि नशा मुक्ति केंद्र के संचालक शव का पोस्टमार्टम तक नहीं करने दे रहे थे. पुलिस के आने के बाद शव का पोस्टमार्टम कराया गया, जिसमें उनके पूरे शरीर पर चोट के काफी निशान पाए गए. पोस्टमार्टम में खुलासा हुआ है कि मौत पिटाई की वजह से ही हुई है.