मरे हुए सूअर सुलझा रहे हत्या की गुत्थी, कहां और कैसे किया जा रहा है ये? – भारत संपर्क

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मरे हुए सूअर सुलझा रहे हत्या की गुत्थी, कहां और कैसे किया जा रहा है ये? – भारत संपर्क
मरे हुए सूअर सुलझा रहे हत्या की गुत्थी, कहां और कैसे किया जा रहा है ये?

सूअरों के शरीर पर अध्ययन

मेक्सिको में 2006 से रहस्यमय तरीके से करीब एक लाख से ज्यादा लोग गायब हो चुके हैं. मेक्सिको में जलिस्को नुएवा जेनरेशन कार्टेल पर हजारों लोगों की हत्या का आरोप है. इन अपराधों के बावजूद पीड़ितों के अवशेष पुलिस को अक्सर नहीं मिलते. जांचकर्ता अब सड़ी-गली लाशों की पहचान के लिए मर चुके सूअरों का इस्तेमाल कर रहे हैं. जानकारी के अनुसार इन्हें कार्टेल ने मारा है. मार्च 2025 में करीब 15500 लोगों के लापता होने की सूचना मिली. गुएरेरोस बुस्काडोरेस ग्रुप के मेंबर इन्हें ढूंढने के लिए सालों से काम कर रहे हैं. इस ग्रुप को कुछ जले हुए अवशेष और कपड़ों के टुकड़े मिले हैं, लेकिन इनकी पहचान कर पाना मुश्किल रहा.

संघीय अनुसंधान संस्थान सेंट्रोजियो कार्टेल द्वारा मारे गए लोगों की कब्रों को खोजने के लिए अब तक ड्रोन और स्कैनिंग जैसी तकनीक का इस्तेमाल करता रहा है. लेकिन अब जलिस्को खोज आयोग ने एक नया और अनोखा तरीका अपनाया है. वो मृत सूअरों को इंसानों के कपड़े पहनाकर जमीन में दफना रहे हैं. पहले तो ये सुनने में काफी अजीब लग सकता है, लेकिन इसके पीछे एक ठोस वैज्ञानिक वजह है. इसका उद्देश्य यह जानना है कि जमीन में दफनाई गईं सड़ी-गली इंसानों की लाशें कैसी होगी. इंसान और सूअर का DNA 98 प्रतिशत तक एक जैसा होता है. साइज, बनावट और स्किन की मोटाई में भी समानता होती है.

मौत के बाद कीड़ों और सड़न प्रक्रियाओं का वैज्ञानिक अध्ययन

एक्सपर्टस मौत के बाद कीड़ों गतिविधियों और सड़न प्रक्रियाओं की स्टडी के लिए इसका उपयोग कर रहे हैं. खोज आयोग के केंद्र में जहां एक सूअर को दफनाया गया था. वैज्ञानिकों ने पाया कि वहां पर तो पीले फूल खिल गए हैं. यह सब इंसानी शरीर से निकलने वाले द्रव्य पदार्थों (liquids substances) की वजह से मिट्टी में फ़ॉस्फोरस पहुंचने के कारण हुआ था. एक और प्रयोग के जरिए वैज्ञानिकों ने देखा कि जब कोई चीज सड़ती है तो उससे मिट्टी में फॉस्फोरस बढ़ जाता है. पीले फूलों का खिलना यह दिखाता है कि वहां कि मिट्टी में फॉस्फोरस है. इसलिए वैज्ञानिक समझ गए कि जहां पर ये फूल खिले हैं वहां इंसान की कब्र हो हो सकती है.

कब्रों का पता लगाने के लिए ड्रोन और खास कैमरों का उपयोग

कब्रों का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने ऐसे ड्रोन का इस्तेमाल किया जिनमें खास कैमरे लगे थे. ये कैमरे जमीन से आने वाले रोशनी के संकेतों को मापते हैं. इससे यह पता चलता है कि जमीन में कौन-कौन से तत्व हैं. कब्रों वाली जगहों पर आमतौर पर नाइट्रोजन और पोटेशियम जैसे तत्व ज्यादा पाए जाते हैं. जब कवक और छोटे-छोटे कीड़ों से अपघटन होता है. इस दौरान नाइट्रोजन मिट्टी में अमोनिया बनकर वापस मिल जाती है. और पोटेशियम बहुत जल्दी, मतलब अपघटन की शुरुआत में ही मिट्टी में पहुंच जाता है. वैज्ञानिक इस प्रक्रिया का इस्तेमाल लापता या मारे गए लोगों के अवशेष को खोजने के लिए करते हैं.

सूअरों और इंसानों की कब्र वाली मिट्टी की तुलना

मैपिंग प्रोजेक्ट के समन्वयक जोस लुइस सिल्वान इस पूरे काम की निगरानी करते हैं. उनकी टीम मर चुके सूअरों के शरीर के सड़ने की प्रक्रिया का अध्ययन करती है. वो सूअरों को दफनाने के बाद की मिट्टी की तुलना इंसानों को दफनाने के बाद की मिट्टी से भी करते हैं.

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