नाजुक उम्र की परवरिश में कहां हो रही चूक, क्या मौजूदा समय की सबसे जरूरी सीरीज है… – भारत संपर्क


कैसी है एडोलसेंस वेब सीरीज?
OTT की दुनिया में एक नई वेब सीरीज ने दस्तक दी है. 13 मार्च 2025 को ये मिनी सीरीज एडोलसेंस रिलीज हुई है जो अब दुनियाभर में चर्चा का विषय बन चुकी है. वजह है इसका सब्जेक्ट. ये वेब सीरीज किशोर उम्र के बच्चों की मौजूदा परवरिश का आईना दिखाती है. एक 13 साल के बच्चे के एंगल से ये सीरीज बताती है कि आखिर जब सबकुछ ठीक है तो चूक कहां हो रही है?
क्या हम डिजिटल दौर की मूलभूत समस्याओं को समझ नहीं पा रहे हैं या फिर जानबूझ कर अनदेखा कर रहे हैं. आज से 20 साल पहले जीवन ऐसा नहीं था. मोबाइल फोन्स ने दस्तक देनी शुरू की. कम्प्यूटर काम में आना शुरू हुए. देश में अधिकांश लोगों के पास इन चीजों की एवेलिबिलिटी होने लगी. लेकिन जब ये सब नहीं था तो भी तो बचपन पलता था. तो भी तो चहल-पहल थी. लेकिन इन दो दशकों में बहुत कुछ बदला है. इंसान का रहने का ढंग बदला है. उसके तौर-तरीके बदले. साथ ही सोच-समझ के दायरे भी. आज डिजिटल युग में हम सभी इसके डिपेंडेंट हो चुके हैं. बिना फोन के एक दिन खुद की कल्पना कर के देखिए. शायद आप कल्पना भी नहीं कर पाएंगे.
यहां देखें एडोलसेंस का ट्रेलर-
आज के दौर में बिना फोन के रहना किसी के लिए संभव नहीं. हमने ऐसी व्यवस्था बना दी है कि हर आदमी की जरूरत है फोन. ऑफिस के लिए लैपटॉप चाहिए. स्कूल के लिए कम्प्यूटर चाहिए. टाइम पास के लिए क्या चाहिए? फोन चाहिए. जिस एज के बच्चे की सीरीज में कहानी बताई गई है आप खुद अपने आस-पास उन बच्चों के हाथ में फोन पाएंगे. वे भी सोशल मीडिया और वर्चुअल वर्ल्ड के आकर्षण से बचे नहीं है. बड़ों ने फोन के साथ ज्यादा टाइम स्पेंड करने को अपनी आदत बनाया तो इसका सीधा असर बच्चों पर पड़ा. उन्हें भी इसकी जरूरत महसूस करा दी गई.
नाजुक उम्र की कहानी
खासकर एडोलसेंस तो अपने आप में वो नाजुक उम्र होती है जब बच्चे एडल्टहुड की ओर बढ़ रहे होते हैं. इस उम्र में गाइडेंस और सही-गलत का फर्क उनके लिए समझना सबसे जरूरी है. इस सीरीज में जिस 13 साल के जैमी मिलर की कहानी दिखाई गई है उससे की गई इनवेस्टिगेशन के दौरान ये पता चलता है कि वो भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर एक्टिव था. वहां पर उसके पोस्ट उसकी उम्र के हिसाब से ज्यादा मैच्योर थे. उसी रिफ्ट की वजह से ये घटना हुई जिसने जैमी समेत उसके परिवार के जीवन को भी हमेशा के लिए अधूरा कर दिया.

जैमी मिलर के रोल में ओएन कूपर
किस बारे में है ये वेब सीरीज?
आज के दौर में सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों को ना समझने और आंक पाने का परिणाम कैसे हो सकते हैं ये इस वेब सीरीज में दिखाया गया है. एक पैरेंट्स अपने बच्चों पर कैसी नजर रख रहे हैं और खुद इस डिजिटल युग से कैसे डील कर रहे हैं ये दोनों समझना जरूरी है. इस इश्यू को जैमी मिलर के केस के जरिए सीरीज में समझाने की कोशिश की गई है. भले ही ये सीरीज फिक्शन हो लेकिन इसके बाद भी इसकी कहानी देखकर आपको यकीन होने लगेगा कि ये किसी भी दूसरे घर की कहानी हो सकती है. जो समाज का सच है उसे ज्यों का त्यों दिखा दिया गया है.
शायद इसलिए कहीं ना कहीं ये कहा जा सकता है कि ये मिनी सीरीज डार्क है. डीप है. इसके कई सीन आपको झकझोर कर रख देने वाले हैं. ये आगाह है. इसे एक अलॉर्म ही समझ लीजिए. इसलिए इस सीरीज की चर्चा हर तरफ देखने को मिल रही है. जो भी इसे देख रहा है वो दूसरों से इसे देखने को कह रहा है. ये परवरिश का नतीजा है या बदलते माहौल का इसपर बहस हो सकती है. फिलहाल हम इस सवाल पर गौर करते हैं कि क्या वाकई में मौजूदा समय में देखने वाली सबसे जरूरी सीरीज है एडोलसेंस?

एडोलसेंस सीरीज से स्टिल
13 साल के बच्चे की नादानी, जुर्म या बिगड़ी परवरिश?
इस सीरीज में 13 साल के जैमी मिलर की कहानी दिखाई गई है जो रोल ओएन कूपर ने प्ले किया है. जैमी अभी स्कूल में है और उसपर अपनी क्लासमेट के कत्ल का आरोप है. आमतौर पर इतनी कम उम्र में कोई ऐसा कदम नहीं उठाता. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इस तरह के मामले पहले आए नहीं हैं. मगर जब भी आते हैं संवेदना के स्तर पर परीक्षा ले जाते हैं. ये तय कर पाना मुश्किल हो जाता है कि किस ओर झुका जाए. बच्चे के प्रति संवेदना जताई जाए या उसे क्रूर दृष्टि से देखा जाए. इस सीरीज में भी जैमी मिलर के आसपास के सभी किरदारों को आप इसी कशमक में पाएंगे. सीरीज में कहीं ये नहीं दिखाया गया है कि जैमी ने कत्ल किया या नहीं, जबकी सीरीज में 13 साल के उस बच्चे की मानसिक स्थिति पर फोकस किया गया है जिस आगोश में उसने ये कदम उठाया.
जैमी पूरी सीरीज में बार-बार कहता रहा कि उसने कत्ल नहीं किया है लेकिन सारे प्रूफ ही उसके खिलाफ हैं. उसने कत्ल भी बेरहमी से किया है. लेकिन उसे इस बात का अफोसस भी नहीं है. उल्टा वो लाउड है, एग्रेसिव है. वो शायद इतना छोटा है कि उसे समझ नहीं है कि उसने क्या किया. लेकिन जब आप उसकी बातें सुनेंगे और हाव-भाव देखेंगे तो शायद पाएंगे कि वो अपनी उम्र से ज्यादा मैच्योर बिहेव कर रहा है. उसके साइकोलॉजिकल पहलू को सीरीज में बारीकी से दिखाया गया है. और ये एक सैंपल है. अगर ये जैमी के साथ हो सकता है तो किसी भा आम घर के किसी बच्चे के साथ हो सकता है. ये सीरीज अंत तक आपको इसी सवाल पर छोड़कर जाएगी कि 13 साल के बच्चे ने जो कत्ल किया वो नादानी थी, जुर्म, परिवरिश का नतीजा या फिर अधुनिक युक के रहन-सहन के दुष्प्रभाव का नतीजा.
क्या पैरेंट्स कर रहे नादानी या वे मजबूर हैं?
इस मिनी सीरीज के आखिरी एपिसोड में जैमी के माता-पिता के बीच की वार्तालाप दिखाई गई है. इस दौरान जैमी के पैरेंट्स कहते हैं कि मेरा बेटा इसी कमरे में तो रहता था. वो ज्यादा बाहर भी नहीं जाता था. वो जब ओके था तो वो कत्ल जैसा संगीन जुर्म कैसे कर सकता है. वे ये भी कहते हैं कि जैसे हमने जैमी की परवरिश की वैसे ही तो हमने अपनी बेटी की भी परवरिश की. दोनों इस बारे में सोचते हैं कि उनसे कहां चूक हुई, और अब जो हो गया है उसे बदला नहीं जा सकता. वे एक-दूसरे को थामकर रोने लग जाते हैं. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. उनके हाथ में कुछ नहीं रहता. शायद पहले से ही कुछ नहीं था. वे आपस में ये भी बात करते हैं कि कोई पैरेंट्स अपने बच्चों के साथ 24 घंटा कैसे रह सकते हैं. ऐसे में इस सीरीज में बच्चे के पहलू को भी दिखाया गया है और पैरेंट्स के भी.

एडोलसेंस के कैरेक्टर जैमी मिलर की काउंसलिंग के वक्त की फोटो
स्वाभाविक तौर पर आज सभी के पास इंटरनेट और सोशल मीडिया की एक्सेस आसानी से है. इसी के साथ अब आगे बढ़ना है. ये वर्चुअल वर्ल्ड अब हमारे जीवन का हिस्सा है. ऊपर से कोई रेगुलेशन है नहीं. और समझ बच्चों में खुद-ब-खुद कैसे पैदा हो? असल में ये किसी एक पैरेंट्स की गलती या नादानी की बात नहीं है. सीरीज भी किसी को दोषी ठहराने के मकसद से नहीं बनाई गई है. बस इसलिए बनाई गई है कि आप नादानी और मजबूरी के बीच के फर्क को समझें और वक्त की मांग के साथ आगे बढ़ें.
कैसे सबसे जरूरी सीरीज है एडोलसेंस?
ये सीरीज जरूरी इसलिए है क्योंकि ये उस वर्ग के बच्चों के बारे में बात कर रही है जो अपनी समझ विकसित कर रहे होते हैं. ऐसे में सोशल मीडिया का दौर उन्हें जल्दी मैच्योर बना रहा है और तभी ऐसे परिणाम सामने आ रहे हैं. बच्चों का बचपना जा रहा है. सोशल मीडिया पर सबकुछ है. ऐसे में एक उम्र तक पैरेंट्स को ये देखना चाहिए कि वे बच्चों तक इसे कितना सीमित रख सकते हैं और कैसे रेगुलेट कर सकते हैं. उन्हें सतर्क रहना होगा. कहीं अगला जैमी आपके आस-पड़ोस से ना निकले इसलिए जरूरी है ये वेब सीरीज देखना. बाकी इसके शानदार डायरेक्शन के पहलू की भी बहुत चर्चा हो रही है लेकिन यहां खबर केंद्रित सिर्फ इस सीरीज के विषय पर थी.