कौन हैं जेपी सिंह? जिनके ऊपर बनी जॉन इब्राहिम की ‘द डिप्लोमेट’ मूवी


आईएफएस अधिकारी जेपी सिंह पर बनी है ‘द डिप्लोमेट’ मूवी
कुछ दिन पहले ही रिलीज हुई जॉन इब्राहिम की मूवी ‘द डिप्लोमेट’ आईएफएस अधिकारी जेपी सिंह पर बनी है. जी हां, आईएफएस अधिकारी जेपी सिंह भारतीय नागरिक उज्मा अहमद को सुरक्षित पाकिस्तान से भारत लाने में सफल हुए थे. इस दौरान उन्होंने गजब का साहस दिखाया था. यह फिल्म उनके इसी कारनामे पर बनी है. चलिए आज आपको बताते हैं कि आखिर आईएफएस अधिकारी जेपी सिंह यानी IFS जितेंदर पाल सिंह कौन हैं?
जेपी सिंह 2002 बैच के इंडियन फोरेन सर्विस अफसर हैं. उन्हें बतौर डिप्लोमेट कई सालों का एक्सपीरियंस है. जेपी सिंह को उनके गजब के टैलेंट को देखकर विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावासों में कई जगह अलग-अलग जिम्मेदारियां दी गईं. जेपी सिंह 2014 से लेकर 2019 तक पाकिस्तान में भारत के डिप्टी हाई कमिश्नर के पद पर रहे हैं. इसी दौरान उज्मा अहमद का मामला सामने आया था जिसमें पाकिस्तान में बवाल मचा कर रख दिया था. हालांकि जेपी सिंह के सख्त फैसलों के आगे पाकिस्तानी सरकार को भी हार माननी पड़ी थी.
उज्मा अहमद को बचाने के बाद जेपी सिंह को विदेश मंत्रालय में अहम भूमिका दी गई थी. इस दौरान उन्होंने अफगानिस्तान में तालिबान के साथ बैक चैनल वार्ता शुरू की. फिलहाल उन्हें इजराइल में भारत की ओर से राजदूत नियुक्त किया गया है.
क्या है उज्मा की पूरी कहानी?
उज्मा की पाकिस्तान जाने की कहानी 2017 की शुरुआत में सामने आई जब उज्मा को सोशल मीडिया पर मिले एक शख्स से बेइंतहा प्यार हो गया. इस दौरान उज्मा ने उसके साथ शादी करने का प्लान बनाया और वह पाकिस्तान चलीं गईं. पाकिस्तान जाने के बाद जब वह अपने आशिक ताहिर अली से मिली तब उन्हें पता चला कि उनके साथ धोखा हुआ है. ताहिर अली पहले से ही शादीशुदा था. उज्मा ने ताहिर पर आरोप लगाया था कि ताहिर ने उनके साथ बंदूक की नोक पर निकाह किया और निकाह के बाद कई प्रताड़नाएं दी.
कैसे हुआ उज्मा का रेस्क्यू
उज्मा जैसे तैसे अपने पति ताहिर की कैद से भागीं और सीधे इस्लामाबाद पहुंच गईं. वहां पर उन्होंने भारतीय दूतावास में खुद को बचाने की गुहार लगाई. उज्मा ने बताया कि उनके साथ धोखा हुआ है और उनका पति उन्हें कैद करके रखे हुए है. कैद में रखकर उनका पति उन्हें तरह-तरह की नशीली दवाएं देता है. उस समय पाकिस्तान में भारतीय उप उच्चायुक्त जेपी सिंह ही थी. उन्होंने उज्मा की बात सुनी और उसे राजनीतिक संरक्षण दे दिया. उन्होंने इस बात का भी ध्यान रखा कि उज्मा को सुरक्षा और कानूनी सहायता दोनों मिले.
कानूनी जंग में हुई जीत
उज्मा को वापस अपने घर ले जाने के लिए ताहिर अली ने इस्लामाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी. वहीं उज्मा ने भी भारत लौटने के लिए याचिका दायर की. इस दौरान जेपी सिंह ने उज्मा की कानूनी मदद की और पाकिस्तानी वकीलों की टीम भी उनके लिए उपलब्ध कराई. जेपी सिंह के साहसिक फैसलों की वजह से यह मामला न सिर्फ पाकिस्तान और भारत बल्कि इंटरनेशनल मीडिया में भी सुर्खियों में रहा. पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा जिसके बाद कई हफ्तों की कानूनी जंग के बाद उज्मा को इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने भारत लौटने की अनुमति दे दी. 25 मई 2017 को उज्मा बाघा बॉर्डर से भारत लौटीं थीं.