40 की उम्र में क्यों जा रहीं नौकरी? इस बड़ी कंपनी के CEO ने बताया


शंतनु देशपांडे (फोटो: X @shantanukd)
आज के समय में 40 वर्ष की उम्र के बाद नौकरी चले जाना एक आम लेकिन गंभीर समस्या बनती जा रही है. इस मुद्दे पर बॉम्बे शेविंग कंपनी के सीईओ शंतनु देशपांडे ने सोशल मीडिया पर अपनी चिंता जाहिर की है.
उन्होंने इसे एक ग्लोबल प्रॉब्लम बताया है और कहा कि यह उम्र का वह दौर होता है जब व्यक्ति अपने करियर के सबसे स्थिर और सुनहरे समय की उम्मीद करता है, लेकिन उसी वक्त नौकरी से हाथ धोना एक इमोशनल और फाइनेंशियल झटका बन जाता है.
सीनियर पद और ज्यादा सैलरी बन रहे हैं वजह
शंतनु देशपांडे का कहना है कि 40 की उम्र के बाद कर्मचारी कंपनी में सीनियर पोजिशन पर पहुंच जाते हैं और उनकी तनख्वाह भी अधिक होती है. ऐसे में जब कंपनियों को बजट में कटौती करनी होती है, तो सबसे पहले इन कर्मचारियों को हटाया जाता है. यह पूरी तरह एक बजट आधारित फैसला होता है, लेकिन इसका असर उस व्यक्ति की जिंदगी पर बहुत गहरा पड़ता है.
घर की जिम्मेदारियां
इस उम्र में ज्यादातर लोग बच्चों की कॉलेज फीस, माता-पिता की देखभाल, होम लोन और अन्य किस्तों जैसी जिम्मेदारियों से घिरे रहते हैं. उनके पास आमतौर पर सीमित बचत होती है और वे हर महीने की EMI पर निर्भर होते हैं. ऐसे में अचानक नौकरी जाना न सिर्फ आर्थिक संकट लाता है बल्कि मेंटल स्ट्रेस और चिंता को भी बढ़ाता है
नई नौकरी पाना मुश्किल
इस उम्र में नई नौकरी तलाशना आसान नहीं होता, क्योंकि कंपनियों को लगता है कि ये लोग ज्यादा वेतन मांगेंगे और नए स्किल सीखने में समय लेंगे. साथ ही, कोई व्यक्ति जिसने 15-20 साल एक ही प्रोफेशन में काम किया हो, उसके लिए अचानक खुद को बदलना आसान नहीं होता. स्किल बदलने के लिए समय, पैसा और एनर्जी तीनों की जरूरत होती है, जो इस समय व्यक्ति के पास कम ही होती है.
समाधान क्या हो सकता है?
देशपांडे का सुझाव है कि इस स्थिति से निपटने के लिए लोगों को खुद को समय के अनुसार तैयार करना होगा. उन्होंने तीन मुख्य उपाय बताए, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी नई तकनीकों में खुद को अपडेट करना, बचत की आदत बढ़ाना और एंटरप्रेन्योरशिप की सोच अपनाना. इसके अलावा मानसिक रूप से मजबूत रहना और करियर में लचीलापन लाना भी जरूरी है.
समाज और परिवार पर असर
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, 40% नौकरी गंवाने वाले कर्मचारी भारी मानसिक तनाव से गुजरते हैं. खासकर भारत जैसे देश में, जहां घर की आर्थिक जिम्मेदारी आमतौर पर पुरुषों पर होती है, वहां यह असर और भी गहरा होता है. नौकरी जाना सिर्फ एक इंसान की समस्या नहीं, पूरे परिवार और समाज के लिए चिंता का विषय है.
40 की उम्र में नौकरी का चला जाना आज एक बड़ी चुनौती है, लेकिन यह अंत नहीं है. समय के साथ खुद को बदलना, लगातार सीखते रहना और मानसिक रूप से मजबूत बने रहना इस चुनौती से बाहर निकलने का रास्ता बन सकता है. यह दौर कठिन जरूर है, लेकिन इससे निपटा जा सकता है अगर पहले से तैयारी हो और सोच में बदलाव लाया जाए.
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