7 मैच में सिर्फ 82 रन बनाकर भी समित द्रविड़ को क्यों मिली जगह? टीम इंडिया म… – भारत संपर्क

समित को पहली बार अंडर-19 टीम से बुलावा आया है.
भारत को टी20 वर्ल्ड कप जिताने के बाद पूर्व कोच राहुल द्रविड़ टीम इंडिया से अलग हो गए. उनके जाने के बाद अब फिर से भारतीय क्रिकेट में एक और द्रविड़ की एंट्री हो गई है. राहुल के ही बेटे समित द्रविड़ अब टीम इंडिया की नीली जर्सी में दिखने वाले हैं. अपने पिता की तरह दाएं हाथ से बल्लेबाजी करने वाले समित को भारत की अंडर-19 टीम में जगह मिली है, जो ऑस्ट्रेलिया का सामना करेगी. इस खबर से द्रविड़ परिवार और उनके फैंस तो खुश होंगे ही लेकिन इस सेलेक्शन से कुछ सवाल भी खड़े हो गए हैं और उसकी वजह समित का हालिया प्रदर्शन है.
7 मैचों में मिली नाकामी
18 साल के समित द्रविड़ पर पिछले 2 साल से हर किसी की नजर रही है. भारत के सबसे सफलतम बल्लेबाजों में से एक राहुल द्रविड़ का बेटा होने के कारण ऐसा होना लाजिमी है. फिर कूच बेहार ट्रॉफी जैसे जूनियर टूर्नामेंट में खेल कर अपनी पहचान बनाने वाले समित बल्लेबाजी के साथ ही गेंदबाजी भी कर सकते हैं. ऐसे में उम्मीद तो सबको यही थी कि वो भी धीरे-धीरे अंडर-19 टीम से होते हुए टीम इंडिया का दरवाजा खटखटाएंगे.
अब अंडर-19 टीम में समित द्रविड़ को जगह मिल गई है लेकिन इस सेलेक्शन से ठीक पहले जैसा प्रदर्शन उनका रहा है, उसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. समित इन दिनों कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन के टी20 टूर्नामेंट, महाराजा टी20 ट्रॉफी में खेल रहे हैं. यहां मैसूरू वॉरियर्स टीम की ओर से खेल रहे समित के लिए टूर्नामेंट अच्छा नहीं रहा है. उन्होंने टीम के लीग स्टेज में 10 में से 7 मैच खेले लेकिन इस दौरान उनके बल्ले से एक भी अर्धशतक नहीं निकला. इन 7 मैचों में वो सिर्फ 82 रन ही बना पाए. इसमें भी उनका बेस्ट स्कोर सिर्फ 33 रन ही रहा है.
फिर क्यों हुआ समित का सेलेक्शन?
सीनियर क्रिकेट में समित का ये पहला ही बड़ा टूर्नामेंट था और उसमें भी कोई असर नहीं डाल पाए और इसके बावजूद उन्हें अंडर-19 में सेलेक्ट किया गया है. जाहिर तौर पर ये सेलेक्शन सवालों के घेरे में है. तो फिर आखिर सेलेक्शन कमेटी ने इस युवा खिलाड़ी को क्यों चुना? इसकी भी वजह है. समित भले ही महाराजा ट्रॉफी में नाकाम हो गए लेकिन इससे पहले इसी साल जनवरी में अंडर-19 डॉमेस्टिक टूर्नामेंट कूच बेहार में उन्होंने जोरदार प्रदर्शन किया था.
तब समित ने कर्नाटक को चैंपियन बनवाने में मदद की थी. समित ने तब टूर्नामेंट के 8 मैचों में 362 रन बनाए थे और साथ ही अपनी मीडियम पेस बॉलिंग से 16 विकेट भी हासिल किए थे. उन्होंने सेमीफाइनल और फाइनल में 2-2 विकेट हासिल कर अपनी छाप छोड़ी थी. यानी इतना तो साफ है कि वो भले ही सीनियर स्तर पर अपने पहले टूर्नामेंट में नाकाम रहे हों लेकिन अंडर-19 स्तर पर वो दमदार प्रदर्शन की काबिलियत रखते हैं और इसलिए ही उन्हें चुना गया है.