यूक्रेन का दिल क्यों लेना चाहते हैं रूसी राष्ट्रपति पुतिन? डोनबास दोनों देशों के लिए… – भारत संपर्क


जेलेंस्की और पुतिन.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शांति समझौते के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को जो प्रस्ताव दिया है, उसमें डोनबास इलाका मांगा गया है. डोनबास को यूक्रेन का इंडस्ट्रियल हार्ट कहा जाता है. यह कोयला और भारी उद्योग के लिए मशहूर है. यह इलाका मिलते ही ब्लैक सी और अजोव सागर में रूस का दबदबा बढ़ जाएगा. डोनबास में प्राकृतिक गैस और तेल का भंडार है.
यह इलाका यूक्रेन की GDP में सबसे बड़ा योगदान देता है. पुतिन ने अलास्का समिट के दौरान ट्रंप से कहा कि अगर यूक्रेन डोनेट्स्क और लुहांस्क को सौंप दे, तो रूस दक्षिणी यूक्रेन के खेरसॉन और जपोरिजिया में हमले रोक देगा.
अलास्का समिट के बाद से ट्रंप के रुख में बदलाव
भले ही अलास्का समिट किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई, लेकिन पुतिन से मुलाकात के बाद ट्रंप के रुख में बदलाव हुआ है. अलास्का समिट के बाद ट्रंप ने यूरोपीय नेताओं से कहा कि वह डोनबास को रूस को सौंपने के प्लान का समर्थन करते हैं.
माना जा रहा है कि ट्रंप वाशिंगटन में आज की मीटिंग के दौरान जेलेंस्की के सामने यह प्रस्ताव रखेंगे. हालांकि जेलेंस्की बार-बार यह बात दोहरा चुके हैं कि यूक्रेन डोनबास को कभी नहीं छोड़ेगा. लुहांस्क लगभग पूरी तरह से रूसी नियंत्रण में है, लेकिन डोनेट्स्क के कुछ हिस्सों पर अभी भी यूक्रेन का नियंत्रण हैं. इनमें क्रामाटोर्स्क और स्लोवियास्क जैसे रणनीतिक शहर शामिल हैं. ये बेहद सुरक्षित इलाके हैं, जिनकी रक्षा के लिए हजारों यूक्रेनी सैनिकों की कुर्बानी दी है.
डोनबास पुतिन के लिए क्यों मायने रखता है?
डोनेट्स बेसिन को छोटे शब्द में डोनबास कहा जाता है. ये इलाका यूक्रेन का इंडस्ट्रियल हब है. यह रूस की सीमा से लगे डोनेट्स्क और लुहांस्क तक फैला हुआ है. कोयले और भारी उद्योग की मौजूदगी की वजह से यह इलाका यूक्रेन की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है. डोनबास पर नियंत्रण से रूस को पूर्वी यूक्रेन पर लगभग पूरी पकड़ मिल जाएगी. साथ ही यूक्रेन कमजोर पड़ जाएगा.
रणनीतिक लिहाज से भी इस इलाके की काफी अहमियत है. इस क्षेत्र का गहरा सामरिक महत्व भी है. वॉर एनालिस्ट्स के मुताबिक, डोनेट्स्क एक किले जैसा इलाका है. यहां यूक्रेनी सेना ने 2014 से कई स्तरीय सुरक्षा घेरा बनाया है. इनमें खाइयां, बंकर, बारूदी सुरंगें और किलेबंद शहरी इलाके शामिल हैं. इनकी वजह से एक दशक से भी ज्यादा यूक्रेन पर रूस की बढ़त धीमी रही है.
सेंटर फॉर यूरोपियन पॉलिसी एनालिसिस की एलिना बेकेटोवा के मुताबिक, डोनबास को खोना यूक्रेन के लिए विनाशकारी होगा. इससे मोर्चा 80 किमी पश्चिम की ओर शिफ्ट हो सकता है. अगर ऐसा हुआ तो रूस के लिए खार्किव, पोल्टावा और नीप्रो की ओर बढ़ने का सीधा रास्ता खुल सकता है.
2014 से डोनबास पर हमले जारी हैं
डोनबास की लड़ाई कोई नई बात नहीं है. रूस ने क्रीमिया पर कब्जा करने के बाद 2014 में पहली बार इस क्षेत्र में कदम रखा था. मास्को समर्थित अलगाववादियों ने डोनेट्स्क और लुहांस्क पीपुल्स रिपब्लिक की घोषणा कर दी. 2022 में रूस के हमले से पहले तक मॉस्को ने पूर्वी यूक्रेन के एक तिहाई से ज्यादा हिस्से पर नियंत्रण हासिल कर लिया था.
फिलहाल ने लगभग पूरे लुहांस्क और 75% डोनेट्स्क पर कब्जा कर रखा है. यूक्रेनी सेना डोनेट्स्क में करीब 6,600 वर्ग किमी इलाके पर नियंत्रण बनाए हुए है, जहां लड़ाई अभी भी जारी है. रूस की बढ़त के बावजूद यूक्रेन ने रूसी आर्मी को रोकने के लिए किलेबंद शहरों का इस्तेमाल किया है.