अजरबैजान को क्यों कहते हैं ‘धधकती आग की धरती’, जहां से लौट रहे थे ईरान के राष्ट्रपति?… – भारत संपर्क

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अजरबैजान को क्यों कहते हैं ‘धधकती आग की धरती’, जहां से लौट रहे थे ईरान के राष्ट्रपति?… – भारत संपर्क
अजरबैजान को क्यों कहते हैं 'धधकती आग की धरती', जहां से लौट रहे थे ईरान के राष्ट्रपति?

अजरबैजान को आग की धरती के नाम जाना जाता है. Image Credit source: Getty Images

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई थी. इस हादसे में राष्ट्रपति के साथ ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीराब्दुल्लाहियन समेत 9 लोग सवार थे. वह रविवार को अजरबैजान की यात्रा पर निकले थे. अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव के साथ एक डैम का उद्घाटन करने के लिए वहां पहुंचे थे.यहां से लौटते के दौरान उनका हैलिकॉप्टर क्रैश हो गया. जिस अजरबैजान से लौटते हुए यह घटना हुर्ह उसे धधकती आग की धरती कहा जाता है.

अजरबैजान की धरती 4 हजार सालों से धधक रही है. जब भी इस देश के बारे में चर्चा होती है तो इसका जिक्र जरूर होता है. ऐसा क्यों हो रहा है, अब इसे जान लेते हैं.

क्यों कहते हैं आग की धरती?

बारिश हो या बर्फबारी या फिर तेज हवाएं, यहां की आग नहीं बुझती. गर्मियों के दिनों में यह आग तापमान को और बढ़ाने का काम करती है. सीएनएन की रिपोर्ट कहती है, जमीन की दरारों से लगातार निकलने वाली आग की लपटों के कारण इसे ‘लैंड ऑफ फायर’ कहते हैं. इसे आग की धरती का नाम देने की वजह रही है कि प्राकृतिक गैसों का भंडार. जिस हिस्से में गैस लीक होती है वहां अक्सर आग लग जाती है.

यहां काम करने वाले एक टूर गाइड का कहना है, देश के प्रचुर प्राकृतिक गैस भंडार का एक दुष्प्रभाव है, जो कभी-कभी सतह पर लीक हो जाता है. इस आग ने अजरबैजान आने वाले पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित भी किया गया है और भयभीत भी.

वेनिस के खोजकर्ता मार्को पोलो 13वीं शताब्दी में जब वेनिस से होकर गुजरे तो उन्होंने रहस्यमयी घटनाओं के बारे में लिखा. इसके अलावा यहां से गुजरने वाले दूसरे व्यापारियों ने भी अपने संस्मरण में यहां की आग का जिक्र किया.देशों की यात्रा के अनुभव में आग की लपटों के बारे में जानकारी दी. यही वजह है कि अजरबैजान को “धधकते आग की धरती” नाम दिया गया.

Land Of Fire

प्राकृतिक गैस के लीक होने से जमीन से निकलतीं आग की लपटें. फोटो- Getty Images

आग को माना ज्ञान के प्रकाश का प्रतीक

अजरबैजान के शुरुआती दौर के लोग इन आग की लपटों को ज्ञान के प्रकाश का प्रतीक मानते थे. हालांकि, वैज्ञानिक तेल और गैस भंडार के आसपास लगी आग के अधिक भयावह मानते आए हैं.एक समय ऐसा था जब अजरबैजान में बड़े दायरे में आग लगती थी, लेकिन धीरे-धीरे भूमिगत गैस का दबाव कम हो गया. इसके सबके ज्यादा मामले यानार डाग में देखने को मिलते हैं. यनार डाग में प्राकृतिक गैस से आग धधकती है, जो अजरबैजान की राजधानी बाकू के पास में स्थित है.

आतेशगाह मंदिर को कहते हैं फायर टेम्पल

अजरबैजान मेंआतेशगाह मंदिर भी दर्शनीय स्थल है. यहां आने वाले पर्यटक अग्नि पूजा के लिए राजधानी बाकू के पूर्व में बने अतेशगाह अग्नि मंदिर पहुंचते हैं. इसे फायर टेम्पल के नाम से भी जानते हैं. यहां के लोगों में मान्यता है कि उनके भगवान यहां हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, इस मंदिर को 17वीं शताब्दी में बाकू में भारतीय निवासियों ने बनाया था.

Ateshgah Fire Temple

आतेशगाह को फायर टेम्पल भी कहते हैं. फोटो: Getty Images

यहां पर अग्नि अनुष्ठान के प्रमाण 10वीं शताब्दी या उससे पहले के हैं. अतेशगाह नाम फ़ारसी से “आग का घर से आया है. इस परिसर का केंद्र बिंदु एक गुंबद-शीर्ष वाला मंदिर है, जो एक प्राकृतिक गैस के भंडार पर बनाया गया है. 1969 तक यहां की वेदी पर एक प्राकृतिक लौ जलती थी, लेकिन इन दिनों आग बाकू की मुख्य गैस आपूर्ति से जलती है और केवल पर्यटकों के लिए जलाई जाती है. यह मंदिर पारसी धर्म से जुड़ा है लेकिन एक हिंदू पूजा स्थल के रूप में इसका इतिहास दर्ज है.

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