भारत से थाईलैंड क्यों भेजी जा रही भगवान बुद्ध की निशानी? दिल्ली यूपी से है रिश्ता |… – भारत संपर्क

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भारत से थाईलैंड क्यों भेजी जा रही भगवान बुद्ध की निशानी? दिल्ली यूपी से है रिश्ता |… – भारत संपर्क
भारत से थाईलैंड क्यों भेजी जा रही भगवान बुद्ध की निशानी? दिल्ली-यूपी से है रिश्ता

भगवान बुद्ध से जुड़े निशान

आज गुरुवार और भारत-थाइलैंड के संबंधों के लिहाज से एक खास दिन है. बुद्ध से जुड़ी कई निशानी आज भारत से थाइलैंड जाएगी. इनमें चार तो अकेले दिल्ली के नेशनल म्यूजियम के हैं. ये चारों निशान दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय के कलेक्शन में रखे हुए हैं. इन सभी निशानों को अगले 26 दिनों तक थाईलैंड में सार्वजनिक तौर पर लोगों के लिए रखा जाएगा.

ये सभी निशान भगवान बुद्ध के अलावा उनके दो शिष्य सारिपुत्त और महा मोग्गलाना के हैं और लोगों के आकर्षण का केंद्र बनने को तैयार हैं. उत्तर प्रदेश में जिला सिद्धार्थनगर है. यहीं के पिपरहवा गांव में खुदाई के दौरान ये निशान मिले थे. इन अवशेषों की दुनियाभर के बौद्ध समुदाय में अच्छा-खासा महत्त्व है.

बिहार के राज्यपाल भी जा रहें

हालांकि, यहीं ये नोट किया जाना चाहिए कि यह पहला मौका होगा जब बुद्ध और उनके शिष्यों की निशानी एक साथ दिखाई जाएगी. बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर और केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार के नेतृत्व में 22 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल इन निशान को लेकर थाईलैंड जा रहा है.

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वायुसेना के विमान से ले जाए जाएंगे

ये सभी पवित्र कलाकृतियों को एक भारतीय वायु सेना के एक विशेष विमान के जरिये ले जाया जाएगा. जो इस कार्यक्रम को लेकर पूरी तैयारी है, उसके मुताबिक थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक पहुंचने पर सभी निशान को बैंकॉक के नेशनल म्यूजियम में सुरक्षित तौर पर रखा जाएगा और यहीं भव्य स्वागत भी होगा.

भगवान बुद्ध ने जो अपने शिष्यों को शिक्षा दी, बौद्ध समुदाय के लोग उसी की याद में ‘माखा बुचा दिवस’ मनाते हैं. इसी दिन से थाईलैंड में भगवान बुद्ध से जुड़ी निशानी को प्रदर्शित किया जाएगा जहां लोग अपनी तरफ से इनके प्रति सम्मान का भाव जताएंगे. ये यात्रा 19 मार्च तक चलेगी. इसके बाद ये सभी निशान वापस से भारत आ जायेंगे.

थाईलैंड, लोग और बौद्ध धर्म

थाईलैंड वैसे तो पर्यटन के कारण लोगों की जुबान पर होता है मगर ये दक्षिण पूर्व भारत का इकलौता ऐसा देश है जो गुलाम नहीं हुआ. बौद्ध धर्म के अलावा राजशाही और सेना ने यहां के समाज और लोगो के जीवन को गढ़ा है. 1947 के बाद देश में ज्यादातर समय सैन्य शासन रहें. हां, बीच में कुछ वक्त के लिए लोकतांत्रिक तौर पर चुनी हुई सरकारें आईं मगर ये काफी छोटा समय रहा.

लगभग 7 करोड़ी की आबादी वाले थाईलैंड का हर सांतवा शख्स राजधानी बैंकॉक में रहता है. देश की सबसे बड़ी आबादी बौद्ध धर्म को मानती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक आबादी की तकरीबन 94 फीसदी जनसंख्या बौद्ध धर्म में यकीन रखती है और ये उनके रीति-रिवाजों का हिस्सा भी है. हालांकि थाई संविधान बौद्ध या किसी और धर्म को देश का धर्म नहीं बताती मगर वह बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार पर खासा जोर देती है.

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