Google में क्यों मचा है बवाल? इजराइल को AI सर्विस देना पड़ा…- भारत संपर्क

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Google में क्यों मचा है बवाल? इजराइल को AI सर्विस देना पड़ा…- भारत संपर्क
Google में क्यों मचा है बवाल? इजराइल को AI सर्विस देना पड़ा भारी, समझिए पूरी कहानी

गूगल ने 28 कर्मचारियों को किया बाहर (फाइल फोटो)

अगर इस समय दुनिया में एक नजर घुमा कर देखें, तो एक से बढ़कर एक बवाल आपको देखने को मिलेंगे. चीन में कोरोना और उसके बाद कंपनियों के वहां से बाहर निकलने का बवाल, रूस और यूक्रेन के युद्ध का बवाल, अमेरिका में बढ़ते कर्ज, फेल होते बैंक और बढ़ती महंगाई का बवाल, पाकिस्तान में तंगी का बवाल और इजराइल-हमास संघर्ष की आंच ईरान तक पहुंचने का बवाल, अब इसी कड़ी में एक नया बवाल गूगल के अंदर भी हो गया है, जिसकी शुरुआत 28 कर्मचारियों को नौकरी से निकाले जाने के बाद शुरू हुई है. आखिर क्या है ये पूरा मामला?

दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन में से एक गूगल ने अपने उन 28 कर्मचारियों को बाहर कर दिया है, जो प्रोजेक्ट निम्बस का विरोध कर रहे थे. अल्फाबेट इंक (गूगल की पेरेंट कंपनी) और अमेजन डॉट कॉम ने इजराइल को एआई और क्लाउड सर्विस उपलब्ध कराने के लिए एक जॉइंट कॉन्ट्रैक्ट पर साइन किए थे. यही प्रोजेक्ट निम्बस है जो 1.2 अरब डॉलर मूल्य का है. इसके विरोध में आवाज उठाने वाले कर्मचारियों कंपनी से बाहर करने को लेकर अब गूगल के ‘वर्क कल्चर’ पर सवाल उठने लगे हैं.

धरने पर क्यों बैठे गूगल के कर्मचारी?

मंगलवार को गूगल के कई ऑफिस में कर्मचारियों ने धरना प्रदर्शन (Sit-in Protest) किया. इस सामूहिक प्रदर्शन का नेतृत्व ऐसे संगठन कर रहे थे जो ‘नरसंहार के लिए कोई प्रौद्योगिकी नहीं’ (No Tech for Genocide) के विचार का समर्थन करते हैं. गूगल के न्यूयॉर्क सिटी, सियाटेल और सनीवेल, कैलिफोर्निया दफ्तरों में कर्मचारियों ने करीब 10 घंटे लंबा धरना प्रदर्शन किया. इसे लाइव स्ट्रीम भी किया गया. जबकि कुछ कर्मचारी इसमें सीधे तौर पर शामिल नहीं हुए, उल्टा इस घटना को डॉक्युमेंट करने का काम करने लगे.

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कंपनी ने कर्मचारियों के इसी एक्टिविज्म पर कार्रवाई करते हुए पहले उन्हें लीव पर भेजा. वहीं इस धरने में शामिल नहीं हुए कर्मचारियों को इस घटना को ‘गोपनीय’ रखने के लिए मेल किया गया. वहीं बुधवार शाम तक ये खबर आई कि गूगल ने 28 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है.

इसके पीछे गूगल ने वजह बताई है कि वे कंपनी की पॉलिसीज का उल्लंघन कर रहे थे. वहीं दूसरे कर्मचारियों को उनका काम करने से रोक रहे थे. ये कंपनी में बरदाश्त के बाहर है. विरोध प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों को कई बार परिसर से बाहर जाने की अपील की गई, लेकिन वो नहीं माने, इसके लिए कानूनी एजेंसियों की मदद लेनी पड़ी. इसके बाद इंटरनल जांच की गई और 28 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया. कंपनी आगे भी मामले की जांच कर रही है.

टेक कर्मचारियों को मिला है विशेष अधिकार

अमेरिका के लेबर कानून वहां काम करने वाले टेक लेबर्स को एक विशेष अधिकार देते हैं. वहां कर्मचारी इस बात को लेकर सवाल खड़े कर सकता है कि उसके द्वारा डेवलप की गई तकनीक का इस्तेमाल कहां हो रहा है. क्या वह सही जगह इस्तेमाल हो रहा है या नहीं? इस बारे में सैन फ्रांसिस्को स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन लोगन के हवाले से ईटी ने खबर दी है कि अमेरिका में कर्मचारियों को ऑफिस में वर्किंग कंडीशंस बेहतर नहीं होने की स्थिति में कलेक्टिव एक्शन यानी विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है.

उन्होंने कहा कि टेक वर्कर्स अमेरिका में अन्य कर्मचारियों से अलग होते हैं. उनके पास ये अधिकार है कि उनके टेक प्रोडक्ट को किस तरह इस्तेमाल किया जा रहा है, उसे नियंत्रित कर सकें और उसके गलत इस्तेमाल को लेकर विरोध कर सकें.

उठ रहे गूगल के वर्क कल्चर पर सवाल

इस पूरे घटनाक्रम के बाद गूगल के वर्क कल्चर पर भी सवाल उठने लगे हैं. गूगल हमेशा से कॉस्मोपॉलिटन वर्क कल्चर और खुली बहस को बढ़ावा देने वाला रहा है, लेकिन जब भी विरोध की आवाज उसके अपने दफ्तर में आती है, तो उसका यही रवैया देखने को मिलता है. साल 2018 में भी जब कुछ कर्मचारियों ने सेक्सुअल असॉल्ट के मामले हैंडल करने को लेकर गूगल के तौर तरीकों पर सवाल उठाया था. तब भी उसने ऐसे ही प्रतिक्रिया दी थी.

इस घटना के बाद गूगल के दफ्तरों में कर्मचारियों के बीच दो धड़े देखने को मिल रहे हैं. कुछ उसमें फिलिस्तीन के पक्ष में है तो कुछ इजराइल का समर्थन कर रहे हैं.

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