कमर्शियल पायलट बनने के लिए मैथ्स और साइंस क्यों था जरूरी? जानें ट्रेनिंग में…


कमर्शियल पायलट बनने की योग्यता में बदलाव किया जा सकता है. Image Credit source: Meta AI
डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) कमर्शियल पायलट बनने की योग्यता में बदलाव करने पर विचार कर रहा है, जिसके तहत आर्ट्स और काॅमर्स स्ट्रीम से 12वीं पास छात्र भी कॉमर्शियल पायलट बन सकेंगे. अभी कमर्शियल पायलट बनने के लिए कैंडिडेट का साइंस और मैथ्स स्ट्रीम के साथ 12वींं पास होना अनिवार्य है. आइए जानते हैं कि कमर्शियल पायलट की ट्रेनिंग प्रोग्राम में क्या पढ़ाया जाता है, जिसके लिए 12वीं में साइंस और मैथ्स अनिवार्य किया गया था.
देश में 1990 के दशक के मध्य से केवल विज्ञान और गणित से 12वीं पास छात्रों को ही कमर्शियल पायलट बनने की अनुमति है. इससे पहले कमर्शियल पायलट लाइसेंस प्राप्त करने की 10वीं पास ही एकमात्र शैक्षिक आवश्यकता थी. अगर बदलाव होता है, तो केवल शैक्षणिक योग्यता में किया जाएगा. फिटेनेस आदि योग्यता पहले की तरह ही बरकरार रहेगी.
कमर्शियल पायलट बनने के लिए क्यों जरूरी किया गया था मैथ्स?
पायलट को उड़ान भरते समय बहुत सारी गणनाएं करनी होती हैं. स्पीड, टाइम और डिस्टेंस का हिसाब लगाना होता है. फ्यूल की खपत (कितना फ्यूल लगेगा, कौन-सी स्पीड पर कितना बचेगा), नेविगेशन (जैसे एंगल, ट्रैकिंग, कोऑर्डिनेट्स को समझना), त्रिकोणमिति टर्न, क्लाइम्ब/डिसेंट एंगल्स के लिए. ये सब मैथ्स या डिजिटल कंप्यूटर के जरिए भी करना पड़ता है. इसलिए मैथ्स की बेसिक समझ जरूरी है.
कमर्शियल पायलट बनने के लिए क्यों जरूरी किया गया था साइंस?
फ्लाइंग का पूरा साइंस फिजिक्स पर आधारित है.लिफ्ट, जोर, खिंचाव, गुरुत्वाकर्षण ये चार फोर्स एक प्लेन को उड़ने में मदद करते हैं. साथ ही एयरप्रेशर और विंड डायरेक्शन को समझना जरूरी होता है. जाइरोस्कोप, कम्पास, अल्टीमीटर जैसे इंस्ट्रूमेंट्स कैसे काम करते हैं. ये सब फिजिक्स पर आधारित हैं. फिजिक्स की बेसिक नॉलेज पायलट को फ्लाइट को सेफ और कुशलता से उड़ाने में मदद करती है. इसलिए मैथ्स के साथ फिजिक्स को भी अनिवार्य किया गया था.
कमर्शियल पायलट में किसकी होती है पढ़ाई?
कमर्शियल पायलट लाइसेंस कोर्स में ग्राउंड ट्रेनिंग, सिम्युलेटर ट्रेनिंग और फ्लाइंग ट्रेनिंग की थ्योरी पढ़ाई जाती है. साथ ही प्रैक्किल भी कराया जाता है. ग्राउंड ट्रेनिंग में विमानन के सिद्धांतों, नियमों और विनियमों को सिखाता और पढ़ाया जाता है. वहीं सिम्युलेटर ट्रेनिंग में वास्तविक उड़ान के अनुभव के बिना विमान के विभिन्न पहलुओं की समझ और ट्रेनिंग कराई जाती है. फ्लाइंग ट्रेनिंग में एक वास्तविक विमान में उड़ान भरने का अनुभव कराया जाता है, जिसमें विमान को नियंत्रित करना सीखाया जाता है.
कैसे मिलता है कमर्शियल पायलट का लाइसेंस?
भारत में कमर्शियल पायलट बनने के लिए DGCA से सर्टिफाइड संस्थान से सीपीएल कोर्स कोर्स पूरा करने होता है. उससे बाद डीजीसीए में लाइसेंस के लिए आवेदन करना होता है. लाइसेंस के लिए फिटेनेस योग्यता भी पूरी करनी होती है. बिना फिनेटस योग्यता पूरी किए लाइसेंस नहीं मिलता है.
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