कर्ज में डूबे महानदी थर्मल पावर को खरीदने की क्यों लगी…- भारत संपर्क

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कर्ज में डूबे महानदी थर्मल पावर को खरीदने की क्यों लगी…- भारत संपर्क
कर्ज में डूबे महानदी थर्मल पावर को खरीदने की क्यों लगी होड़... जिंदल, अडानी से लेकर सरकारी कंपनियां भी रेस में

कर्ज में डूबे महानदी थर्मल पावर को खरीदने की क्यों लगी होड़?

कर्ज में डूबी 1,800 मेगावाट की केएसके महानदी थर्मल पावर को खरीदने के लिए 26 कंपनियां लाइन में लगी हैं. इनमें जिंदल, अडानी से लेकर स्वान एनर्जी, वेदांता, कोल इंडिया और NTPC भी शामिल हैं. बता दें, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने हाल ही में थर्मल पावर की नीलामी पर से लगी रोक हटा दी है. जिससे बोली के नए दौर का रास्ता साफ हो गया है. परियोजना पर ऋणदाताओं का कुल दावा लगभग 32,000 करोड़ रुपये आंका गया है.

यह प्रोजेक्ट इनसॉल्वेंसी प्रोसेस के तहत नीलामी के फ्रेश राउंड से गुजर रहा है. NCLT ने एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट सौंपने के लिए 26 अप्रैल तक का समय दिया था लेकिन इसके लिए 18 जून तक रिजॉल्यूशन प्लान सौंपा जा सकता है.

कंपनियां पहले भी लगा चुकी हैं बोली

इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बारे में अडानी पावर, एनटीपीसी, कोल इंडिया, जेएसडब्ल्यू एनर्जी, वेदांता और स्वान एनर्जी ने ईमेल का जवाब नहीं दिया. जिंदल पावर के एमडी के मुताबिक, जिंदल पावर लिमिटेड बिजली क्षेत्र में संकटग्रस्त एसेट्स को खरीदने के अवसर तलाश रही है. छत्तीसगढ़ में स्थित 1,800 मेगावाट क्षमता वाला केएसके महानदी ऐसा ही एक प्लांट है, जिसे वो खरीदना चाहते हैं. एनसीएलटी ने केएसके महानदी और उसकी दो सहायक कंपनियों की बिक्री पर जून 2022 में रोक लगा दी थी. इंडस्ट्री के सूत्रों ने बताया कि इस दौर में प्रोजेक्ट को बेहतर वैल्यू मिलने की उम्मीद है. अडानी पावर, जिंदल पावर और वेदांता समेत कई कंपनियों ने पहले दौर की नीलामी में भी बोली लगाई थी.

क्यों मची है होड़?

जानकारी के मुताबिक, KSK महानदी का पावर प्लांट चालू है और हाल में देश में थर्मल पावर कैपेसिटी को रिवाइव करने के प्रयास किए जा रहे हैं. यही कारण है कि कंपनियां ऐसे प्रोजेक्ट्स के लिए बोली लगाने में रुचि दिखा रही हैं. प्रोजेक्ट के स्टेकहोल्डर्स चाहते थे कि प्रोजेक्ट से जुड़ी दो कंपनियों केएसके महानदी वॉटर और रायगढ़ चंपा रेल को कंसोलिडेट किया जाए. केएसके महानदी वॉटर इस प्रोजेक्ट तक पानी की एक पाइपलाइन ऑपरेट करती है जबकि रायगढ़ चंपा रेल प्रोजेक्ट तक कच्चा माल ले जाती है. लेकिन देरी होने के कारण NCLT ने ने केएसके महानदी प्रोजेक्ट को स्टैंडअलोन बेसिस पर इनसॉल्वेंसी में भेजने पर सहमति जताई है.

इनके पास भी है हिस्सेदारी

जब इस कंपनी को पहली बार नीलामी के लिए रखा गया था, तो पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन और इसकी सहायक कंपनी आरईसी ने तकनीकी भागीदार के रूप में एनटीपीसी के साथ मिलकर इन्सॉल्वेंसी रेजोल्यूशन पेश किया था. हालांकि, उनके इस प्रस्ताव को निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग ने खारिज कर दिया था. फिर भी इन्हे एनटीपीसी से बोली लगाने के लिए हरी झंडी मिल गई.

SBI ने दिया था लोन

SBI इस प्रोजेक्ट को लोन देने वाला सबसे बड़ा बैंक था. मार्च में छह एसेट कंस्ट्रक्शन कंपनियों (ARC) ने 55 फीसदी कर्ज ले लिया था. इसमें आदित्य बिड़ला और कोटक महिंद्रा समर्थित एआरसी शामिल हैं. एआरसी की बात करें तो आदित्य बिड़ला एआरसी के पास केएसके महानदी पावर से प्राप्त दावों में सबसे अधिक 33.38% हिस्सा है. एएसआरईसी (इंडिया) लिमिटेड की हिस्सेदारी 11.98% है. सूत्रों के मुताबिक, लेंडर्स के कुल 32,000 करोड़ रुपये के दावे में से पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन और आरईसी का दावा 5,500 करोड़ रुपये का है.

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