बंकर से निकलने के बाद क्या इस मौलवी को ईरान के सुप्रीम लीडर की कुर्सी सौंप देंगे… – भारत संपर्क

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बंकर से निकलने के बाद क्या इस मौलवी को ईरान के सुप्रीम लीडर की कुर्सी सौंप देंगे… – भारत संपर्क

ईरान की इजराइल के साथ लड़ाई खत्म हो चुकी है, लेकिन तनाव अभी भी बना हुआ है. ईरान के इस्लामी शासन के लिए इस जंग से भी बढ़ी चिंता सुप्रीम लीडर अली खामेनेई के बाद ईरान के नए सुप्रीम लीडर का चयन करना है. इस समय ईरान के सुप्रीम लीडर की उम्र 86 साल हो चुकी है और उनके उत्तराधिकारी का मुद्दा ईरान में महीनों से बना हुआ है.

अली खामेनेई ने हाल ही में अपनी हत्या की योजना की अटकलों के बीच तीन उत्तराधिकारियों के नाम घोषित किए थे, लेकिन रॉयटर्स की रिपोर्ट में ईरान के अगले सुप्रीम लीडर के नाम का खुलासा हुआ है. पांच सूत्रों के हवाले से रॉयटर्स की रिपोर्ट में दावा किया है कि अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी के 53 साल के पोते हसन खुमैनी, ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई के उत्तराधिकारी के रूप में तेजी से प्रमुखता प्राप्त कर रहे हैं.

86 साल के खामेनेई 1989 में अपने बड़े भाई खोमेनी की मौत के बाद से ईरान पर शासन कर रहे हैं. अमेरिका और इजराइल की ओर से हाल ही में किए गए हवाई हमलों ने भी शासन की कमज़ोरियों को उजागर किया है, जिससे उत्तराधिकार को लेकर अटकलें और तेज हो गई हैं.

कौन हैं हसन खुमैनी?

ईरान के पहले सुप्रीम लीडर रूहोल्लाह खोमैनी के सात बच्चे थे, जिनमें से उनके दूसरे बेटे अहमद खोमैनी इस्लामी क्रांति में करीब से शामिल थे. अहमद को एक बार संभावित उत्तराधिकारी के रूप में देखा गया था, लेकिन 1995 में 49 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई. उनके बेटे हसन, जो अब एक प्रमुख मौलवी हैं, परिवार की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं.

हसन खोमैनी को व्यापक रूप से एक उदारवादी व्यक्ति के रूप में माना जाता है जो सुधारवादी और रूढ़िवादी दोनों हलकों के साथ रिश्ते बनाए रखते हैं. उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए समर्थन व्यक्त किया है और कथित तौर पर पूर्व राष्ट्रपति हसन रूहानी के करीबी हैं, जो एक प्रमुख उदारवादी हैं.

उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद जैसे कट्टरपंथियों से भी अपनी दूरी बनाए रखी है और अहमदीनेजाद की जुझारू विदेश नीति और परमाणु विकास पर ध्यान केंद्रित करने का विरोध किया.

कैसे होता सुप्रीम लीडर का चयन?

ईरान में सुप्रीम लीडर का चुनाव इस्लामी मौलवियों की एक शूरा से किया जाता है, हालांकि, इस चयन में खामेनेई की प्राथमिकता को सबसे ज्यादा महत्व दिए जाने की उम्मीद है.

खामेनेई के दूसरे बेटे, मोजतबा भी एक मौलवी हैं और उन्हें एक समय में एक प्रमुख दावेदार के रूप में देखा जाता था. लेकिन उनका चयन परिवारवाद को बढ़ावा देने वाला हो सकता है. 1979 की इस्लामी क्रांति के मुख्य लक्ष्यों में से एक राजशाही को खत्म करना और पहलवी राजवंश के राजवंशीय शासन को खत्म करना था. कई ईरानियों के लिए, पिता से बेटे को सत्ता सौंपना उसी व्यवस्था में वापस जाना होगा.

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