क्या कम होगी आम लोगों की लोन EMI, आखिर क्या कर सकती है RBI?…- भारत संपर्क

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क्या कम होगी आम लोगों की लोन EMI, आखिर क्या कर सकती है RBI?…- भारत संपर्क

अंतरिम बजट के ठीक बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग होने वाली है. इस मीटिंग का देश के उन तमाम लोगों को बेसब्री से इंतजार हैं, जो हर महीने अपनी लोन ईएमआई का भुगतान कर रहे हैं. ये पॉलिसी की मीटिंग इसलिए भी अहम है क्योंकि चुनावी नोटिफिकेशन से पहले ये आखिरी मीटिंग होगी. साथ कैलेंडर ईयर की पहली और वित्त वर्ष की आखिरी मीटिंग होगी. पिछले साल इसी फरवरी में आरबीआई ने आखिरी बार रेपो रेट में बदलाव कर ब्याज दरों में 0.25 फीसदी का इजाफा किया था. उसके बाद से 5 मीटिंग हो चुकी है और रेपो दरों में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है.

इस बार आम लोगों को काफी उम्मीदें हैं. आम लोगों का मानना है कि चुनाव से पहले केंद्रीय बैंक सरकार के इशारे पर ब्याज दरों में बदलाव कर सकती है. वैसे अमेरिका के फेडरल बैंक ब्याज दरों में बदलाव ना करते हुए पूरी दुनिया को चौंका दिया है. क्योंकि पिछली बार फेड रिजर्व ब्याज दरों में 3 कटौती करने का वादा किया था. लोगों को उम्मीद थी कि अमेरिका में ब्याज दरें कम होते ही भारत केंद्रीय बैंक भी ब्याज दरों में कटौती करेगा. लेकिन अमेरिकी फेड के बाद भारत में भी इसकी संभावना कम होती नजर आ रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्रीय बैंक इस सप्ताह अपनी मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग में ब्याज दरों में कोई बदलाव शायद ही करे, क्योंकि खुदरा महंगाई अब भी टॉलरेंस लेवल के अपर लेवल के करीब है.

अगस्त के बाद कम होगी ईएमआई?

बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने अनुमान जताया कि एमपीसी दर और रुख, दोनों में यथास्थिति बनाए रखेगी. उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि दिसंबर के आंकड़ों के मुताबिक महंगाई अब भी ऊंची है और खाद्य पक्ष पर दबाव है. इक्रा की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में सीपीआई बेस्ड महंगाई कम होने का अनुमान है, हालांकि इसके लिए मानसून का रुख महत्वपूर्ण होगा. उन्होंने कहा कि हमें आगामी समीक्षा में दरों या रुख में कोई बदलाव की उम्मीद नहीं है. अगस्त, 2024 में जाकर ही दर में कटौती देखी जा सकती है.

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क्या है मौजूदा रेपो रेट?

रिजर्व बैंक ने लगभग एक साल से शॉर्ट टर्म लोन रेट या रेपो दर को 6.5 फीसदी पर स्थिर रखा है. इसे आखिरी बार फरवरी 2023 में 6.25 फीसदी से बढ़ाकर 6.5 फीसदी किया गया था. खुदरा महंगाई जुलाई, 2023 में 7.44 फीसदी के उच्चस्तर पर थी और उसके बाद इसमें गिरावट आई है. हालांकि, यह अब भी अधिक ही है. खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर, 2023 में 5.69 फीसदी थी. सरकार ने रिजर्व बैंक को महंगाई को दो फीसदी घट-बढ़ के साथ चार फीसदी के दायरे में रखने की जिम्मेदारी सौंपी है. आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक छह फरवरी को शुरू होगी. गवर्नर शक्तिकांत दास आठ फरवरी को समिति के फैसले की घोषणा करेंगे.

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