क्या 2025 में खत्म हो जाएगी बाजार की तेजी, 2008 से भी बुरा…- भारत संपर्क

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क्या 2025 में खत्म हो जाएगी बाजार की तेजी, 2008 से भी बुरा…- भारत संपर्क
क्या 2025 में खत्म हो जाएगी बाजार की तेजी, 2008 से भी बुरा होगा हाल, क्यों उठ रहे ये सवाल?

क्या बिखर जाएगा शेयर बाजार?

साल 2008, ऐसा साल जब दुनिया ने मंदी का वो दौर देखा, जो उससे पहले शायद 1930 के दशक में देखा था. अब 2025 में इससे भी बुरा नजारा देखने को मिल सकता है और शेयर बाजार की सारी रिकॉर्ड तेजी ध्वस्त हो सकती है. इस बात की तस्दीक अमेरिका के इकोनॉमिस्ट ने की है.

भारत का शेयर बाजार इस समय रिकॉर्ड ऊंचाई पर बना हुआ है. लेकिन इसके बारे में अधिकतर एक्सपर्ट का कहना है कि मार्केट ओवर वैल्यूड है और इसमें एक बबल बना हुआ है. ऐसे में 2025 में ये बबल फट सकता है. हाल में ऐसी तबाही का एक मंजर 4 जून को लोकसभा चुनावों के परिणाम के दिन देखने को मिला. मार्केट में इंवेस्टर्स के करीब 30 लाख करोड़ रुपए स्वाहा हो गए. इसी के बाद से निवेशकों में शेयर मार्केट की तेजी को लेकर एक संशय पैदा हो गया है.

क्या सच में शेयर मार्केट में आएगा क्रैश?

अमेरिका बेस्ड इकोनॉमिस्ट हेनरी डेन्ट ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि शेयर मार्केट में बहुत जल्द एक बड़ा क्रैश आ सकता है. ये 2008 के फाइनेंशियल संकट से अधिक बुरा हो सकता है.

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उनका कहना है, ‘ मार्केट का मौजूदा बबल काफी हद तक कृत्रिम तरीके से बनाया गया है. ये पिछले 14 साल से धीरे-धीरे बन रहा है. इसके लिए इकोनॉमी को बार-बार बूस्ट किया गया है, उसे कई अभूतपूर्व प्रोत्साहन दिए गए हैं. इस वजह से ही मार्केट का बबल कई साल से बन रहा है.’

हेनरी डेन्ट, अमेरिका में सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले इकोनॉमिस्ट में से एक हैं. हेनरी डेन्ट को अपने अनोखे मेथड और एनालिसिस स्किल की वजह से अमेरिका में काफी सम्मान मिलता है.

उनके हवाले ईटी ने एक खबर में लिखा है कि जब भी शेयर मार्केट में कोई बबल बनता है, तो 5 से 6 साल तक उसकी पहचान नहीं हो पाती. अबकी बार ये बबल कुछ ज्यादा लंबा हो गया है और ये लगभग 2008 से ही बन रहा है. इसलिए अबकी बार जो क्रैश होगा वह 2008-09 से बड़ा होगा.

80% तक टूट सकता है मार्केट

हेनरी डेन्ट ने अपने आकलन में फिलहाल अमेरिका के शेयर बाजारों को लेकर अनुमान जताया है, लेकिन ये दुनिया की ओवरऑल पिक्चर को दिखाते हैं. उनका कहना है कि एसएंडप 500 इंडेक्स में 80% तक क्रैश आ सकता है. जबकि नैस्डैक में ये गिरावट 90 प्रतिशत तक पहुंच सकती है.

उनका कहना है कि कोविड के असर से इकोनॉमी को बचाने के लिए अमेरिका समेत दुनिया के अधिकतर देशों ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं में पैसा झोंका है. इसके लिए ब्याज दरों को काफी निचले स्तर पर रखा गया, लेकिन इसने हालात को बद से बदतर ही किया.

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