ईरान और इजराइल की लड़ाई, क्या फिर से बढ़ जाएगी महंगाई? |…- भारत संपर्क

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ईरान और इजराइल की लड़ाई, क्या फिर से बढ़ जाएगी महंगाई? |…- भारत संपर्क
ईरान और इजराइल की लड़ाई, क्या फिर से बढ़ जाएगी महंगाई?

ईरान और इजराइल की वॉर से महंगाई में इजाफा देखने को मिल सकता है.

मिडिल ईस्ट की टेंशन में जिस बात का डर था, वो हो ही गया. ईरान की इजराइल के खिलाफ जंग में सीधी एंट्री हो चुकी है. दोनों ओर से ड्रोन हमलें चल रहे हैं. इस वॉर की वजह से दुनिया में एक बार फिर से स्टेबल होती इकोनॉमी के सामने मुश्किलें खड़ी हो गई हैं. सबसे बड़ा डर महंगाई का सताने लगा है. इस बार ये महंगाई और भी बड़ी देखने को मिल सकती है. जिसका प्रमुख कारण ओपेक के तीसरे सबसे बड़े ऑयल सप्लायर ईरान का इस जंग में कूदना है. साथ ही मिडिल ईस्ट के तमाम देशों से ऑयल सप्लाई डिस्टर्ब होना है. ऐसे में महंगाई का जोर पकड़ना लाजिमी है.

वैसे जानकार इस वॉर को 24 से 48 घंटे तक वॉच करने के बारे में बोल रहे हैं. जानकारों का कहना है कि ये वॉर ज्यादा दिनों तक चलने वाली नहीं है. दुनिया की बड़ी ताकतें फिर नहीं चाहेंगी कि दुनिया फिर से एक से दो साल के लिए महंगाई के गर्त में चली जाए और उबरती इकोनॉमी के डिरेल होने का खतरा पैदा हो जाए. अगर ये लड़ाई थोड़ी भी लंबी होती है तो भारत समेत दुनिया को अलग संकट में लेकर जा सकती है. आइए आपको भी बताते हैं कैसे?

तीसरा सबसे बड़ा ऑयल प्रोड्यूसर है ईरान

ईरान मिडिल ईस्ट ही नहीं बल्कि ओपेक का भी अहम हिस्सा है. जानकारी के मुताबिक, ईरान ओपेक का तीसरा सबसे बड़ा ऑयल प्रोड्यूसर भी है. इस लड़ाई की वजह से मिडिल ईस्ट से ऑयल सप्लाई होना काफी मुश्किल हो जाएगा. इसका प्रमुख कारण ये भी है कि ईरान के साथ सऊदी अरब, यूएई, इराक और बाकी मिडिल ईस्ट देशों की ओर से सप्लाई में कटौती के साथ ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट भी बढ़ जाएगा.

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मिडिल ईस्ट से जितनी ऑयल शिपमेंट होनी चाहिए वो कम हो जाएगी. जिसका असर कच्चे तेल की कीमतों में देखने को मिलेगा. नाम ना प्रकाशित करने की शर्त पर कमोडिटी जानकार ने कहा कि ईरान के युद्ध में उतरने के कारण आने वाले दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में बेहिसाब इजाफा होने जा रही है.

सोमवार को हो जाएगा 100 डॉलर

रविवार को इंटरनेशनल मार्केट बंद हैं. कच्चे तेल की कीमतों में सोमवार को असर देखने को मिलेगा. अनुमान है कि सोमवार को कच्चे तेल की कीमतें 10 फीसदी के उछाल के साथ शुरू हो सकती हैं. इसका मतलब है कि सोमवार को ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल क्रॉस कर सकती हैं. यानी दुनिया में फिर से कच्चे तेल के दाम रिकॉर्ड तोड़ने की ओर बढ़ जाएंगे.

सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या कच्चे तेल की कीमतें मार्च 2022 के लेवल को पार करेंगी. इसका जवाब देने से एक्सपर्ट कतरा रहे हैं. कोई भी इसपर खुलकर बोलने को तैयार नहीं है. दबी जुबां में यही कहा जा रहा है कि ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें शॉर्ट टर्म में 120 डॉलर प्रति बैरल को पार कर सकती है. बाकी सब इस बात पर डिपेंड करेगा कि ईरान इस युद्ध में कितने दिनों तक शामिल रहता है. साथ ही अमेरिकी सरकार और यूरोपियन यूनियन की ओर से कोई आर्थिक प्रतिबंध ईरान पर लगाया जाता है या नहीं.

ये लड़ाई एक साल और बढ़ाएगी महंगाई

नाम ना प्रकाशित करने की शर्त पर कमोडिटी जानकार ने कहा कि इस वॉर की वजह से महंगाई एक और साल के लिए बढ़ने की संभावना है. मिडिल ईस्ट से आने वाली महंगाई दुनिया के हर एक हिस्से को इंपैक्ट करेगी. खासकर उन देशों पर ज्यादा असर होगा, जो कच्चे तेल के लिए इंपोर्ट पर डिपेंड करते हैं.

ऐसे में इन देशों में महंगाई फिर से टारगेट से ऊपर पहुंच जाएगी. अमेरिका में हाल में आए महंगाई के आंकड़ों ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है कि जिससे वहां पर महंगाई कंट्रोल में है. क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी फ्यूल की कीमतों में इजाफा करेगी. जिसकी वजह से अमेरिका समेत यूरोप और एशियाई देशों में महंगाई बढ़ेंगी, जिसकी चपेट में भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देश भी आएंगे. मार्च के महीने में भारत की रिटेल महंगाई 10 महीने के निचले स्तर पर आ गई थी.

पिछली दो लड़ाईयों से क्यों अलग है ये वॉर?

बीते तीन साल में दुनिया ने दो लड़ाईयों को देखा है. जिसमें रूस—यूक्रेन वॉर सबसे अहम है. रूस दुनिया के बड़े ऑयल सप्लायर में से एक है तो युक्रेन अनाज का सप्लायर है. जब दोनों के बीच वॉर शुरू हुआ तो कच्चे तेल के दाम के साथ अनाज की कीमतें आसमान पर पहुंच गई थीं. उसके बाद कीमतें अपने आप एडजस्ट हो गई. ​फिर अक्टूबर 2023 में इजराइल और गाजा के बीच वॉर शुरू हुआ तो कच्चे तेल के दाम फिर बूस्ट हुए, लेकिन जल्द ही एडजस्ट हो गए.

इस बार वॉर में मिडिल ईस्ट आ गया है तो ईरान के हमले के बाद से कच्चे तेल की उपलब्धता कम होना तय है. जिसका असर अब लंबे समय तक दिखाई दे सकता है. ईरान के हमले का असर सऊदी अरब, यूएई, इराक और बाकी ओपेक और मिडिल सप्लायर पर भी पड़ेगा. जो दुनिया के बड़े हिस्से को कच्चा तेल सप्लाई करते हैं.

क्या कहते हैं जानकार

केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के अनुसार, ईरान और इजराइल की स्थिति को 24 घंटे देखने की जरुरत है. वैसे इस शुरुआती वॉर का असर सोमवार को कच्चे तेल की कीमतों में देखने को मिलेगा. लेकिन ये तेजी कितने दिनों तक रह सकती है, अभी ये कहना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि आने वाले महीने में दुनिया को फिर से महंगाई के लिए तैयार रहना होगा. अगर ईरान और इजराइल के बीच जल्द युद्ध समाप्त नहीं होता है तो ग्लोबल इकोनॉमी के साथ दुनिया के बड़े देशों में और इमर्जिंग देशों की रिकवर होती अर्थव्यवस्था डिरेल हो सकती है.

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