क्या मुंगेली भाजपा अध्यक्ष प्रत्याशी के नाम में होगा फेरबदल…- भारत संपर्क
आकाश मिश्रा
टिकट बंटवारे के बाद अब रूठने- मनाने का दौर शुरू हो गया है। पार्षद और अध्यक्ष की दौड़ में शामिल जिन दावेदारों का टिकट कटा है , वे और उनके समर्थक गहरी नाराजगी जता रहे हैं। यह नाराजगी पार्टी के लिए मुसीबत का सबब बन सकती है।
इसी अंदर खाने की लड़ाई से मुंगेली भारतीय जनता पार्टी को भी जूझना पड़ रहा है ।दरअसल यहां से कद्दावर नेता अमितेश विज्जु आर्य मुंगेली नगर पालिका परिषद अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार थे। लंबे समय से इसे लेकर उनकी तैयारी भी थी और गाहे बगाहे उन्होंने दावा भी किया था कि ऊपर तक उनकी बात भी हो चुकी है और उन्हें अध्यक्ष पद के लिए तैयारी करने का संकेत दिया गया है।
भारतीय जनता पार्टी से शंकर नगर वार्ड के पूर्व पार्षद अमितेश आर्य के पिता प्रेम आर्य भी भाजपा के वरिष्ठ और प्रभावशाली नेताओं में से एक है, लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी ने मुंगेली से शैलेश पाठक को अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाया है, जिससे अमितेश आर्य तो हैरान है ही उनके सर्वार्थकों में भारी रोष है। साथ ही भीतर खाने में इसकी सुगबुगाहट देखी जा रही है। पूरे मुंगेली में यह चर्चा का विषय है जो धीरे-धीरे भाजपा प्रदेश कार्यालय तक भी पहुंच गई है। बताया जा रहा है कि इसी मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं की राजधानी रायपुर में सोमवार शाम को अहम बैठक है। खास बात यह है कि इस बैठक में भाग लेने प्रेम आर्य भी जा रहे हैं।
आपको बता दे कि प्रेम आर्य भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता बृजमोहन अग्रवाल के बेहद करीबी माने जाते हैं। इसके बावजूद उनके बेटे को टिकट न मिलने से सभी हैरान है । जाहिर है इस वजह से मुंगेली में भारतीय जनता पार्टी की राह मुश्किल हो सकती है। शायद यही वजह है कि भीतर खाने में जारी विरोध और अंतर्कलह से बचने के लिए भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता कोई अहम फैसला ले सकते हैं। इसमें प्रत्याशी बदले जाने की संभावनाओ से भी इनकार नहीं किया जा सकता। इसलिए पूरे मुंगेली की नजर सोमवार की बैठक पर है।
लोग हैरान है कि अध्यक्ष पद की रेस में चल रहे अमितेश आर्य को अध्यक्ष तो दूर पार्षद तक का टिकट नहीं दिया गया। टिकट बंटवारे में अजीबोगरीब फैसले को लेकर भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता और समर्थक भी नाराज है। शायद यही कारण है कि इस नाराजगी को दूर करने के लिए वरिष्ठ नेताओं को आपात बैठक बुलानी पड़ी है।
नामांकन भरने के लिए केवल एक ही दिन शेष है। ऐसे में त्वरित फैसले की आवश्यकता है। यह भी आशंका जताई जा रही है कि कहीं बागी उम्मीदवार पार्टी के ही खिलाफ मैदान में न उतर जाए। अगर ऐसा हुआ तो फिर वोटों के बंटवारे का सीधा नुकसान भारतीय जनता पार्टी को ही हो सकता है। इधर मुंगेली में कांग्रेस के कमजोर हो जाने के बाद से यह दावा किया जा रहा था कि भारतीय जनता पार्टी को आसान जीत मिलेगी लेकिन जिस तरह से प्रत्याशियों का चयन हुआ है और उसके बाद पार्टी को ही अंतर विरोध का सामना करना पड़ रहा है उससे लगता है कि एक बार फिर से पार्टी के लिए मुश्किल के बदले घिरने वाले हैं।
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