धरती नहीं स्पेस में भी मारेंगे बाजी… क्या अमेरिका को कहीं का नहीं छोड़ेंगे रूस चीन… – भारत संपर्क


पुतिन और चीन ने बड़ी प्लानिंंग कर ली है.
अमेरिका को धरती पर कड़ी टक्कर देने वाले रूस और चीन ने अब स्पेस में भी उसे मात देने की तैयारी कर ली है. बीजिंग में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग की मुलाकात के बाद ये तकरीबन साफ हो चुका है. अब रूसी अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख यूरी बोरिसोव ने भी इसकी पुष्टि कर दी है.
रूसी स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस के प्रमुख यूरी बोरिसोव ने कहा है कि मॉस्को को उम्मीद है कि वह चीन के साथ चंद्रमा के लिए एक संयुक्त मिशन लांच करेगा. यह एक ऐसा मिशन होगा जिसमें दोनों देश मिलकर चांद पर एक बेस बनाएंगे, जिसमें चंद्रमा के क्षेत्र में चल रहे रिसर्च में तेजी आएगी.
चीन दौरे पर हुई मिशन पर चर्चा
पांचवीं बार राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद चीन के राजकीय दौरे पर गए पुतिन ने जिनपिंग के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की. रोस्कोस्मोस के प्रमुख यूरी बोरिसोव के मुताबिक पुतिन के साथ गए वरिष्ठ रूसी अधिकारियों ने बीजिंग के साथ इस संयुक्त चंद्र मिशन की योजना पर विस्तार से चर्चा की. इस मिशन को इस तरह तैयार किया जाएगा ताकि चांद पर रूस और चीन की उपस्थिति हर समय बनी रहे. इसके लिए रूस एक छोटे आकार का परमाणु रिएक्टर विकसित कर रहा है. यह कम गुरुत्वाकर्षण में काम कर सकता है. यह परमाणु रिएक्टशर अगले एक दशक में तैयार होने की उम्मीद है.
अमेरिका के लिए झटका
चीन-रूस का स्पेस मिशन के लिए साथ आना अमेरिका के लिए एक बड़ा झटका है. इसलिए क्योंकि रूस पहले से ही नासा के अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से अलग होने का ऐलान कर चुका है और चीन अपना एक अलग स्पेस स्टेशन बना चुका है. इसका सीधा सा मतलब है कि अगर रूस और चीन स्पेस के क्षेत्र में एक-दूसरे का सहयोग आगे बढ़ाते हैं तो वह NASA को बहुत पीछे छोड़ सकते हैं. NASA के सामने मुसीबत इसलिए भी बड़ी है, क्योंकि पहले से ही वह बजट के संकट से जूझ रही है. अमेरिका ने पिछले साल भी नासा को कुल बजट का महज 0.4 प्रतिशत हिस्सा दिया था, जो नासा की ओर से मांगे गए बजट से कम था, जबकि 2004 की बात करें तो उस वक्त नासा को कुल बजट का तकरीबन 0.66 प्रतिशत हिस्सा मिलता था. बजट कम करने को लेकर नासा वैज्ञानिकों ने पिछले दिनों आपत्ति भी जताई थी. अब रूस और चीन का साथ आना नासा के लिए फिर एक बुरी खबर बन गया है.
कब लांच होगा मिशन
यूरी बोरिसोव ने बताया कि परमाणु रिएक्टर तैयार होने के बाद इसका धरती पर परीक्षण किया जाएगा. ऐसे में माना जा रहा है कि चीन और रूस का यह संयुक्त मिशन 2036 या उसके कुछ साल बाद लांच हो सकता है. उन्होंने बताया कि ये रिएक्शन ही रूस और चीन की उम्मीदों को चांद पर जीवित रखेगा. इससे चंद्रमा पर लैंड होने वाले रोवर को बिजली मिलेगी, जिससे वह चांद पर होने वाली लंबी रात में भी लगातार काम करता रहेगा. इससे पहले एक इंटरव्यू में बोरोसोव ने कहा था कि रूस चंद्रमा पर रोबोट भेजेगा.
चीन की यात्रा पर गए हैं पुतिन
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन चीन की यात्रा पर हैं. वह पांचवीं बार रूस के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद पहली बार किसी विदेशी दौरे पर गए हैं. पुतिन ने यूक्रेन मसले पर समर्थन को लेकर चीन का आभार जताया है. इसके अलावा एशिया प्रशांत क्षेत्र में नाटो के विस्तार की संभावनाओं पर नाराजगी जाहिर करते हुए चेतावनी दी है कि ऐसा नहीं होना चाहिए. इससे पहले जिनपिंग ने भी पिछले साल राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए रूस को चुना था.