एक साल के भीतर 6423 मानसिक मरीज आए सामने,जिले में तेजी से…- भारत संपर्क

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एक साल के भीतर 6423 मानसिक मरीज आए सामने,जिले में तेजी से बढ़ रही मानसिक रोगियों की संख्या

कोरबा। कोरबा जैसे औद्योगिक जिले में मेडिकल कॉलेज की स्थापना होने के बाद मनोचिकित्सा विभाग भी शुरू किया गया है, हालांकि विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी अब भी बनी हुई है। इसके बावजूद भी मनोचिकित्सा विभाग, उपलब्ध संसाधनों में लोगों को सुविधा उपलब्ध करा रहा है। अकेले मेडिकल कॉलेज अस्पताल कोरबा में मार्च 2023 से लेकर अप्रैल 2024 तक 6423 ऐसे मरीज सामने आए हैं, जिन्हें किसी न किसी तरह का मानसिक रोग है। वह बेचैनी, घबराहट, डिप्रेशन, अवसाद या फिर किसी बुरी लत के कारण मानसिक रोग की गिरफ्त में हैं। मेडिकल कॉलेज से उन्हें नियमित तौर पर इलाज भी दिया जा रहा है, जिससे वह अपने दिमाग का ख्याल रखें और एक अच्छा जीवन व्यतीत कर सकें। एक पखवाड़े में 164 नए मरीज सामने आए हैं, जबकि पुराने 340 मरीज ऐसे हैं, जो नियमित अंतरालों पर अस्पताल के टच में हैं और वह अपनी दवाइयां ले रहे हैं. गांजा पीने वाले 70 तो शराब की लत वाले 120 और अन्य तरह का नशा करने वाले 25 लोग मनोचिकित्सा विभाग से अपना इलाज कर रहे हैं ताकि वह नशे की गिरफ्त से बाहर निकल सकें। डॉक्टर कहते हैं कि अब भी हमारे समाज में मानसिक रोग को एक सामाजिक कलंक की तरह देखा जाता है. इस सोच को बदलना होगा। यदि कोई अवसाद से ग्रसित है, डिप्रेशन में है तो उसे तत्काल डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। कई बार लोग दवा शुरू तो करते हैं लेकिन इसे बीच में ही छोड़ देते हैं, जबकि मनोरोगों की दवा को असर करने में कम से कम 21 दिन का समय लगता है। इसके बाद आप देखेंगे कि यही किसी जादू की तरह असर करता है। यह ठीक उसी तरह है, जिस तरह से हम सामान्य तौर पर बीपी शुगर की दवा लेते हैं, लेकिन लोग संकोचवश सामने नहीं आते, इसलिए यदि इस तरह की कोई भी परेशानी है तो तत्काल मनोचिकित्सा विभाग में संपर्क करना चाहिए। दवाई लेनी चाहिए. इसके लिए विशेष दवाइयां आती हैं. यदि आप यहां आने में संकोच महसूस कर रहे हैं तो टोल फ्री नंबर भी है। वहां भी फोन करके आप मार्गदर्शन ले सकते हैं। अपने मन की बात बता सकते हैं, लेकिन हर हाल में इस विषय पर बात होनी चाहिए। आमतौर पर जब लोगों को अपने मन मुताबिक लक्ष्य हासिल नहीं होता। तब वह गलत दिशा में भटक जाते हैं। वह बुरी लत में पड़ जाते हैं।मॉडर्नाइजेशन के दौर में कई बार लोग मनमुताबिक रिजल्ट नहीं मिलने पर मानसिक रोग के शिकार हो जाते हैं।

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