AI का कमाल, 2000 पहले दफन हो चुकी लिपियों को पढ़ने में कामयाब हुए वैज्ञानिक |… – भारत संपर्क

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AI का कमाल, 2000 पहले दफन हो चुकी लिपियों को पढ़ने में कामयाब हुए वैज्ञानिक |… – भारत संपर्क
AI का कमाल, 2000 पहले दफन हो चुकी लिपियों को पढ़ने में कामयाब हुए वैज्ञानिक

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस & हरकुलेनियम Image Credit source: Antonio Masiello/Getty Images

इस दुनिया में जितनी किताबें हम पढ़ते हैं, पढ़ने लिखने के जितने प्लेटफॉर्म्स हमारे पास हैं, फिर भी बहुत कुछ ऐसा है जो इतनी वैज्ञानिक प्रगति के बाद पढ़ा नहीं जा सका है. बहुत सारी प्राचीन लीपियां, शिलालेख और तमाम वॉल राइटिंग्स. इन्हें अगर पढ़ने में कामयाबी मिल जाए, तो दुनिया और प्राचीन सभ्यताओं को देखने समझने का पूरा नज़रिया बदल जाएगा.

इसमें एक चीज मददगार हो सकती है. और वो है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई तकनीक. हालांकि इसके विकास और इस्तेमाल को लेकर तमाम आशंकाए जाहिर की जा रही हैं. लेकिन वैज्ञानिकों ने दावा किया है, एआई की मदद से लगभग 2,000 साल पहले दफन हो गए प्राचीन लीपियां और लेख पढ़ने में कामयाब हुए हैं.

जल कर खाक हो चुकी थीं लिपियां

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2,000 साल पहले दफन हो गई ये प्राचीन लीपियां हैं रोमन साम्राज्य के समय की. हरकुलेनियम नाम का शहर रोमन साम्राज्य का हिस्सा था. जो इटली के कैम्पानिया में स्थित था. 79 ईस्वी में माउंट वेसुवियस में एक विस्फोट हुआ. हरकुलेनियम शहर इस ज्वालामुखी के फटने से पूरी तरह जल कर राख हो गया. शहर के ही एक विला में लाइब्रेरी भी थी. जिसमें कई सौ पपीरस स्क्रॉल रखे गए थे. पपीरस मोटे कागज जैसा था जिसका इस्तेमाल लिखने के लिए किया जाता था. इसे पपीरस नाम के पौधे के गूदे से बनाया गया था. जब विस्फोट हुआ तो उसकी वजह से पूरे शहर के साथ ये भी जल गए.

दिलचस्प बात यह है कि इस क्षेत्र में खुदाई 18वीं सदी के अंत में शुरू हुई. हवेली से 1,000 से ज्यादा कुछ टूटे बिखरे स्क्रॉल निकाल लिए गए थे. माना जाता है कि ये जूलियस सीज़र के ससुर ने लिखे थे. खुदाई के बाद सबसे बड़ा चैलेंज था स्क्रॉल पर लिखे गए टेक्स्ट को पढ़ना. क्योंकि ये सभी कार्बोनाइज्ड थे यानी जलकर खाक हो चुके थे. और तो और, जब शोधकर्ताओं ने उन्हें उठाने की कोशिश भी की तो स्क्रॉल के टुकड़े-टुकड़े हो गए.

AI का इस्तेमाल करके लिपियों को कैसे समझा गया?

वैज्ञानिकों ने इसे पढ़ने की ठान ली. टीम को लीड कर रहे थे अमेरिका के कंप्यूटर वैज्ञानिक ब्रेंट सील्स. स्क्रॉल पर की गई खोजों में तेजी लाने के लिए, इनकी टीम ने एक प्रतियोगिता शुरू की. नाम दिया वेसुवियस चैलेंज. इसके तहत स्क्रॉल को हाई-रिज़ॉल्यूशन सीटी स्कैन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से समझने की कोशिश की. प्रतियोगिता में कई लोगों ने भाग लिया. कई वर्षों बाद जाकर एक लेटेर को पढ़ने में कामयाबी मिली. शब्द था “πορφυρας” या “पोर्फिरास” जिसका ग्रीक तर्जुमा बैंगनी रंग होता है.

अमेरिका स्थित कार्यकारी नैट फ्रीडमैन ने एक दिन घोषणा की कि तीन छात्रों ने 2,000 से ज्यादा अक्षरों को समझ लिया है. इन तीनों के नाम हैं- जर्मनी से यूसुफ नादर, अमेरिका से ल्यूक फर्रिटर और स्विट्जरलैंड से जूलियन शिलिगर. दुनिया के कई हलकों में इस सफलता को ऐतिहासिक माना जा रहा है और सराहना भी की जा रही है. क्योंकि शोधकर्ताओं ने एक ऐसा काम कर दिया है जिससे रोमन साम्राज्य के इतिहास को समझने में और मदद मिलेगी.

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