गजब! जेलर साहब तो बड़े एडवांस निकले, बिना तारीख बंदी को कोर्ट में कर दिया प… – भारत संपर्क

बरेली जेल (फाइल फोटो).
उत्तर प्रदेश के बरेली जिला जेल में तैनात जेलर सुशील वर्मा की लापरवाही ने सबको हैरान कर दिया है. हुआ कुछ यूं कि जेल में बंद आरोपी राजीव शर्मा को बिना कोर्ट की तारीख तय हुए ही 23 जून को शाहजहांपुर की अदालत भेज दिया गया, जबकि कोर्ट ने इस दिन कोई तारीख तय ही नहीं की थी. इस वजह से अब जेलर की मुश्किलें बढ़ गई हैं और पूरे मामले की मजिस्ट्रेट जांच शुरू हो गई है.
दरअसल, शाहजहांपुर के थाना कलान में दर्ज एक गंभीर मामले में आरोपी राजीव शर्मा को जलालाबाद की अदालत में पहले पेश किया गया था. वहां अदालत ने उसकी पुलिस रिमांड 29 मई तक मंजूर की थी. बाद में इसे बढ़ाकर 12 जून कर दिया गया.
12 जून को आरोपी की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी हुई, जिसमें अदालत ने अगली तारीख 26 जून दी थी. मतलब साफ है कि आरोपी को 26 जून को ही कोर्ट में पेश होना था, लेकिन हैरानी की बात ये है कि बरेली जेल प्रशासन ने उसे 26 जून का इंतजार किए बिना ही 23 जून को शाहजहांपुर भेज दिया. अब सवाल ये उठ रहा है कि जब कोर्ट ने कोई तारीख तय ही नहीं की तो जेलर ने किस आधार पर आरोपी को अदालत भेज दिया
बिना आदेश के कराई 200 किलोमीटर की यात्रा
बरेली जिला जेल से शाहजहांपुर की दूरी करीब 100 किलोमीटर है. ऐसे में आरोपी राजीव शर्मा ने बिना कोर्ट के आदेश के करीब 200 किलोमीटर की यात्रा कर डाली. यानि 100 किलोमीटर जाकर और 100 किलोमीटर वापस आ गया. कोर्ट में जब ये मामला सामने आया तो जेलर सुशील वर्मा ने माना कि उन्हें पेशी की तारीख की सही जानकारी नहीं थी. उन्होंने अपने स्तर से ही आरोपी को कोर्ट भेज दिया.
अब अदालत का सवाल है कि जेलर को किसने यह अधिकार दिया कि वो खुद ही तारीख तय कर बंदी को भेज दें. इसके अलावा इस दौरान आरोपी किन-किन लोगों से मिला, कहां-कहां रुका, इस पर भी जेल प्रशासन के पास कोई जवाब नहीं है.
अदालत ने जताई नाराजगी, डीएम ने कराई मजिस्ट्रेट जांच शुरू
कोर्ट ने जेलर की इस लापरवाही को बेहद गंभीर और संदेहास्पद मानते हुए सख्त टिप्पणी की है. अदालत ने कहा कि यह मामला जांच योग्य है कि आखिर इसके पीछे कोई गलत मंशा तो नहीं थी. इधर, बरेली के डीएम अविनाश सिंह ने भी पूरे मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं. नगर मजिस्ट्रेट अलंकार अग्निहोत्री को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है. मजिस्ट्रेट जांच दो जुलाई से शुरू हो चुकी है. डीएम ने बताया कि अगर किसी व्यक्ति या संस्था के पास इस मामले से जुड़ी कोई जानकारी या सबूत हैं तो वो 20 जुलाई को सुबह 11 बजे नगर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश होकर अपना बयान दर्ज करा सकते हैं.
अब जेलर की मुश्किलें बढ़ीं
जेल प्रशासन की इस बड़ी गलती से न केवल आरोपी को बेवजह अदालत का चक्कर लगाना पड़ा, बल्कि कानून-व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो गए, क्योंकि बिना कोर्ट के आदेश के बंदी को बाहर भेजना नियमों का सीधा उल्लंघन है. अब देखना होगा कि मजिस्ट्रेट जांच में क्या तथ्य सामने आते हैं और जेलर पर क्या कार्रवाई होती है.