84 साल बाद मिला उस जहाज़ का मलबा रहस्यों से भरी है जिसकी कहानी! | wreck of ship found… – भारत संपर्क

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84 साल बाद मिला उस जहाज़ का मलबा रहस्यों से भरी है जिसकी कहानी! | wreck of ship found… – भारत संपर्क
84 साल बाद मिला उस जहाज़ का मलबा रहस्यों से भरी है जिसकी कहानी!

आर्लिंगटन जहाज (1)

समंदर, झीलों में कुछ ठिकाने ऐसे होते हैं जो बेहद रहस्यमयी होते हैं. जहां जहाज़ बार-बार हादसे के शिकार होते हैं. इस तरह की जगहों के बारे में सोचने पर सबसे पहला नाम तो शायद आप कैरेबियन सागर में बरमूडा ट्रायंगल का लेंगे. इसके अलावा भी ऐसी कई जगहें हैं जहां पर कई जहाज़ रहस्यमयी तरीक़े से लापता हो गए. और फिर बरसों बाद जहाज के मलबे भी मिले. ऐसे ही रहस्यमयी कोने से निकला है 84 साल पहले डूबा एक जहाज का मलबा. अबतक इसका डूबना ही दुनिया के बड़े रहस्यों में से एक था. दुर्घटना हुई थी नॉर्थ अमेरिका में स्थित लेक सुपीरियर में.

साल था वो 1940 का और तारीख थी 1 मई की. एक कनाडाई जहाज जिसका नाम था- एस.एस. आर्लिंगटन, वो एक लेक सुपीरियर के बीच तूफानी मौसम में फंस गया और डूब गया था. अब लेक सुपीरियर के बारे में थोड़ा जान लीजिए. लेक सुपीरियर क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा ताजे पानी का झील है, मात्रा के हिसाब से तीसरी सबसे बड़ी झील. जिसमें समझिए दुनिया का 10% ताजा पानी मौजूद है.

झील सदियों से एक प्रमुख कमर्शियल शिपिंग गलियारे के रूप में काम करती रही है. लगभग 32,000 वर्ग में फैले इस झील में सैकड़ों मलबे होने का अनुमान है. 84 साल बाद जाकर अब इस जहाज के कुछ मलबे मिले है. इस मलबे का मिलना कोई आम बात नहीं है. इससे एक परिवार को कुछ हद तक उन सवालों के जवाब मिल जाएंगे जिनका वो बरसों से इंतजार कर रहे थे.

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जहाज पर हुई ये रहस्यमयी घटना!

दरअसल 1940 में जब यह जहाज डूबा था तो उसके साथ एक रहस्यमयी घटना हुई थी. अपनी जान पर बनता देख जहाज के चालक दल एक लाइफबोट में चढ़ गए. उनके साथ जहाज में उनका कैप्टन भी मौजूद था. नाम था फ्रेडरिक बर्क, जिन्हें टेटी बग के नाम से जाना जाता था. चालक दल ने लाइफबोट पर चढ़ने के बाद फ्रेडरिक बर्क के लिए मदद का हाथ बढ़ाया. पर उसी वक्त उन्होंने एक अजीब दृश्य देखा. फ्रेडरिक बर्क उन्हें हाथ हिला रहे थे. कुछ ही पल के अंदर कैप्टन और जहाज पानी के अंदर समा गए.

कैप्टन का अजीब व्यवहार आज भी एक रहस्य बना हुआ है. ग्रेट लेक्स शिपव्रेक हिस्टोरिकल सोसाइटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक संभावना है उस दिन जहाज में ऐसा क्या हुआ, स्पष्ट है कभी सामने नहीं आएगा. डैन फाउंटेन, जो कि हिस्टोरिकल सोसाइटी के एक शोधकर्ता हैं, उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि उस हादसे के दौरान कह क्या रहा था. क्या वो लाइफबोट पकड़ने की बात कह रहे थे या अलविदा.

कैसे मिला जहाज का मलबा?

आर्लिंगटन जहाज की खोज मिशिगन के नेगौनी के रहने वाले फाउंटेन नाम के व्यक्ति की बदौलत हुई. फाउंटेन लगभग एक दशक से जहाजों के मलबे की तलाश में लेक सुपीरियर में रिमोट सेंसिंग कर रहे हैं. फाउंटेन ने हिस्टोरिकल सोसाइटी से संपर्क किया और इस तरह अर्लिंगटन की खोज पिछले साल की गई थी.

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