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ग्रेजुएशन व पोस्टग्रेजुएशन में दो बार ले सकेंगे एडमिशन, गाइडलाइन का ड्राफ्ट तैयार, मांगी गई प्रतिक्रिया

कोरबा। छात्रों को अब यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएशन (यूजी) व पोस्टग्रेजुएशन (पीजी) में दो बार एडमिशन ले सकेंगे। साथ मल्टीपल एंट्री और एग्जिट का विकल्प होगा। छात्र अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ने पर भी एलिजिबिलीटी सर्टिफिकेट ले सकते हैं। यूजीसी ने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री के लिए न्यूनतम मानक निर्देश 2024 के लिए गाइडलाइन का ड्राफ्ट तैयार किया है। जिसका उद्देश्य अधिक फ्लेक्सिबिलिटी, मल्टीडिस्पिलनरी लर्निंग को बढ़ावा देना और नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (एनईपी) 2020 के दृष्टिकोण के साथ एकेडमिक फ्रेमवर्क को तैयार करना है। इस नियम के तहत अब संस्थान अब किसी भी छात्र को साल में दो बार एक बार जुलाई-अगस्त में और दूसरी बार जनवरी-फरवरी में यूजी व पीजी कोर्स में एडमिशन दे सकेंगे।यूजीसी की ओर से जारी इस ड्राफ्ट पर लोगों को प्रतिक्रिया देने के लिए कहा गया है। गूगल फॉर्म पर यूजीसी ने 23 दिसंबर तक अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं। यूजीसी की ओर से कहा गया है कि यह नियम सभी केंद्रीय, राज्य और प्रांतीय कानूनों के विश्वविद्यालय, मान्यता प्राप्त कॉलेजों पर लागू होंगे। जिन छात्रों को डिग्री पूरा करने के लिए समय चाहिए, वे अपनी डिग्री की अवधि बढ़ा सकते हैं। अधिक समय के बावजूद छात्रों को वही कोर्स और क्रेडिट पूरे करने होंगे। विषयों की बाध्यता खत्म होने से छात्र अपनी रुचि के अनुसार पढ़ाई कर सकते हैं। मल्टीपल एंट्री और एग्जिट से छात्रों का समय बर्बाद नहीं होगा, हर छात्र अपनी जरूरत के हिसाब से शिक्षा की अवधि तय कर सकता है। वह बीच में पढ़ाई छोड़कर बाद में उसे फिर से शुरू कर सकेगा। नए नियम के अनुसार दो डिग्री भी एक साथ करने का प्रावधान होगा। छात्रों को विषय चुनने की आजादी मिलेगी, 12वीं या स्नातक में पढ़े विषयों की बाध्यता नहीं रहेगी। अब छात्र किसी 12वीं में चाहे कॉमर्स का ही क्यों न हो वह इंजीनियरिंग में भी विषय में स्नातक या पीजी कर सकते हैं। लेकिन उन्हें राष्ट्रीय या विवि स्तर की प्रवेश परीक्षा पास करना होगा। न्यूनतम उपस्थिति के मानकों को तय करने का अधिकार अब संस्थानों को होगा। एनईपी 2020 के तहत बहु-विषयक शिक्षा और ऑनलाइन-हाइब्रिड लर्निंग को ध्यान में रखकर किया गया है।
क्रेडिट का 50 फीसदी अंक करना होगा हासिल
छात्रों को डिग्री में किसी एक विषय में कुल क्रेडिट का 50 फीसदी हासिल करना होगा। बाकी क्रेडिट स्किल कोर्स, इंटर्नशिप और अन्य विषयों से लिए जा सकते हैं। ग्रेजुएशन डिग्री का समय तीन या चार साल और मास्टर्स डिग्री का समय एक या दो साल होगा। योग्य छात्र कम समय में डिग्री पूरी कर सकते हैं। पहली या दूसरी सेमेस्टर की परफॉर्मेंस के आधार पर यह विकल्प चुन सकते हैं। डिग्री में यह स्पष्ट लिखा जाएगा कि इसे सामान्य अवधि से पहले पूरा किया गया है।

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