पीडब्ल्यूडी बच्चों के लिए रोजगार का मौका दे रहा अमेजन का ये…- भारत संपर्क
ट्रैफिक सिग्नल पर जब कोई गरीब भीख मांगते हुए दिखता है तो कई बार हम यह कहने से पीछे नहीं हटते हैं कि भगवान ने दो पैर-दो हाथ दिए हैं. कहीं काम क्यों नहीं करते हो. जरा सोचिए जिस व्यक्ति के पास इनमें से कुछ नहीं होता होगा. वह अपनी जिंदगी कैसे व्यतीत करता होगा. पहले के जमाने में लोग डिसेबल होने पर खुद को समाज से छंटा हुआ महसूस करते थे, लेकिन अब समय के साथ चीजें बदल गई हैं. नई टेक्नोलॉजी के आने से वे लोग भी अब खुद को मुख्यधारा से जोड़ पा रहे हैं. दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन इंडिया में इस पहल को बढ़ावा देने और दिव्यांग लोगों को ट्रेंड करने और उन्हें नौकरी दिलाने के लिए तेजी से काम कर रहा है.
इस कड़ी में अमेजन इंडिया ने गुरुग्राम में ग्लोबल रिसोर्स सेंटर (GRC) की नई तरीके से शुरुआत की गई है, जहां देश के 20 अलग-अलग राज्यों के बच्चों को ट्रेंड करने का काम किया जाएगा. इसका उद्घाटन दिसंबर 2023 में देश के राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा किया गया था.
कैसे मिल रहा मौका?
जीआरसी वधिर, नेत्रहीन और लोकोमोटर विकलांगता वाले व्यक्तियों की सेवा करता है. वहां अमेज़न की टेक टीम बच्चों को इस तरीके से ट्रेंड करती है, जिससे उसे नौकरी करने का अवसर मिल सके. बता दें कि रोज़गारार्थी ऐप इस कार्यक्रम का एक प्रमुख हिस्सा है और पीडब्ल्यूडी उम्मीदवारों को अमेज़न और अन्य संगठनों में रोज़गार के अवसरों से जोड़ता है. अमेजन प्रतिभागियों को अंग्रेज़ी भाषा से लैस करती है, मोबाइल डिवाइस प्रदान करती है, 20,000 रुपए तक का मासिक वेतन भी प्रदान करती है, और साथ में यात्रा और आवास में मदद करती है.
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एक बच्चे को तैयार करने में कितना आता है खर्च?
अमेजन की सीएसआर लीड मनीषा पाटिल से जब हमने पूछा कि यह प्रोग्राम शहर के साथ गांवों में भी संचालित किया जाता है? उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि 700 से अधिक पिन कोड लोकेशन पर अभी हम काम कर रहे हैं. जिनमें से 500 पिन कोड लोकेशन गांव को कनेक्ट करते हैं. उन्होंने बताया कि एक बच्चे को ट्रेंड करने में औसतन 16,500 रुपए का खर्च आता है. अभी तक 70 हजार से अधिक बच्चों को ट्रेंड किया जा चुका है. उनकी कोशिश अब हर साल 7 हजार नए बच्चों को ट्रेंड करने की है.
सरकार कर रही मदद
उन्होंने बताया कि अब कंपनियां पीडब्ल्यूडी उम्मीदवारों की डिमांड कर रही हैं, लेकिन उस संख्या में ट्रेंड बच्चे अभी नहीं हैं. यानी अगर बच्चे ट्रेंड हो जाते हैं तो उन्हें रोजगार से जुड़े मौकों की कमी नहीं होती है. वह बताती हैं कि सरकार की योजनाओं से काफी मदद मिलती है, जिससे बच्चों को अलग-अलग डिवाइस खरीद कर दिया जाता है.