चुनावी मौसम में भी नहीं बढ़ रही डीजल की खपत, ये है कारण |…- भारत संपर्क

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चुनावी मौसम में भी नहीं बढ़ रही डीजल की खपत, ये है कारण |…- भारत संपर्क
चुनावी मौसम में भी नहीं बढ़ रही डीजल की खपत, ये है कारण

अप्रैल के पहले 15 दिनों में पेट्रोल की सेल्स में इजाफा, डीजल की मांग घट गइ है.

देश में पहले फेज के मतदान होने को हैं. अप्रैल के महीने के शुरुआत से ही चुनावी सरगर्मियां तेजी हो गई थी. पॉलिटिकल पार्टियां और उनके नेता सड़कों पर थे. उसके बाद भी अप्रैल महीने के पहले 15 दिनों में डीजल की खपत में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है. सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों के आंकड़ों के अनुसार देश में पेट्रोल की खपत अप्रैल के पहले पखवाड़े में सात फीसदी का इजाफा देखने को मिला है.

वहीं इसके विपरीत डीजल की सेल में 9.5 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. भीषण गर्मी के मौसम की शुरुआत से पहले पेट्रोल और डीजल बिक्री के संबंध में परस्पर विरोधी आंकड़े सामने आए हैं. तीनों सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों का फ्यूल मार्केट के 90 फीसदी हिस्से पर कंट्रोल है.

पेट्रोल और डिजल की डिमांड

आंकड़ों से पता चलता है कि एक से 15 अप्रैल के दौरान पेट्रोल की सेल्स बढ़कर 12.2 लाख टन हो गई, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 11.4 लाख टन थी. वहीं इस अवधि में डीजल की मांग 9.5 प्रतिशत घटकर 31.4 लाख टन रह गई. पेट्रोल की कीमतों में आंशिक कटौती की वजह से पर्सनल व्हीकल का इस्तेमाल बढ़ने के कारण बिक्री बढ़ गई.

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लेकिन फसल कटाई के मौसम के साथ गर्मी बढ़ने पर कारों में एयर कंडीशनिंग की डिमांड बढ़ने पर आगे चलकर डीजल की मांग बढ़ने का अनुमान है. पिछले महीने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में दो-दो रुपये प्रति लीटर की कटौती की गई थी. इससे पहले दो साल तक फ्यूल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ था.

डीजल भारत में सबसे अधिक खपत वाला फ्यूल है, जो सभी पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की कंजंप्शन का लगभग 40 फीसदी है. देश में कुल डीजल बिक्री में ट्रांसेपोर्ट सेक्टर की हिस्सेदारी 70 फीसदी है. यह हार्वेस्टर और ट्रैक्टर सहित एग्रीकल्चर सेक्टर में किया जाने वाला प्रमुख फ्यूल है. पेट्रोल के कंजंप्शन में लगातार साल-दर-साल वृद्धि देखी जा रही है जबकि डीजल की खपत में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है.

एटीएफ और गैस सिलेंडर की डिमांड में इजाफा

इसी दौरान विमानों में इस्तेमाल होने वाले फ्यूल यानी एयर टर्बाइन फ्यूल की बिक्री सालाना आधार पर 10.4 प्रतिशत बढ़कर 3,35,700 टन हो गई. पेट्रोल और डीजल की तरह, एटीएफ की मांग भी अब पूर्व-कोविड लेवल से अधिक हो चुकी है. अप्रैल के पहले पखवाड़े में रसोई गैस एलपीजी की बिक्री सालाना आधार पर 8.8 फीसदी बढ़कर 12 लाख टन हो गई. हालांकि, मासिक आधार पर एलपीजी की मांग 11.6 फीसदी घटी है.

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