ethylene oxide ke swasthya jokhim,- एथिलीन ऑक्साइड के स्वास्थ्य जोखिम

0
ethylene oxide ke swasthya jokhim,- एथिलीन ऑक्साइड के स्वास्थ्य जोखिम

हाल ही में दो बड़े भारतीय ब्रांड के कुछ मसालों में एक ऐसा खतरनाक रासायनिक तत्व पाया गया है, जो कैंसर का कारण बन सकता है। क्या है यह और आखिर मसालों में इसका क्या काम? आइए जानते हैं विस्तार से।

किसी भी व्यंजन का स्वाद मसालों से ही बढ़ाया जाता है। फिर चाहें वह कोई भी व्यंजन हो। हर क्षेत्र के अपने कुछ खास व्यंजन और उसके कुुछ सीक्रेट मसाले होते हैं। भारतीय मसाले तो इतने खास हैं कि दुनिया भर में उनका एक्सपोर्ट किया जाता है। पर हाल ही में आई एक खबर से सभी के होश उड़ा दिए। वास्तव में हॉन्गकॉन्ग में दो बड़े भारतीय ब्रांड्स के मसालों में एथिलीन ऑक्साइड पाया गया, जिसकी अधिकता कैंसर का भी कारण बन सकती है। आइए जानते हैं क्या है यह और क्यों इसे मसालों में मिलाया जाता है। साथ ही इसके स्वास्थ्य जोखिम भी।

क्या है मसालों में कार्सिजोनिक का पूरा मामला

हाल ही में आई सेंटर फॉर फूड सेफ्टी ऑफ गर्वनमेंट ऑफ हॉन्ग कॉन्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में दो जाने माने मसाला ब्राण्ड्स के कुल चार प्रोड्क्ट्स में एथिलीन ऑक्साइड की ज्यादा मात्रा की जानकारी मिली है। एमडीएच से तीन जिसमें मद्रास करी पाउडर, सांबर मसाला पाउडर और करी पाउडर में एथिलीन ऑक्साइड का स्तर अधिक है। वहीं एवरेस्ट के एक मसाले, फिश करी मसाले में इसकी अधिकता बताई जा रही है।

सेंटर फॉर फूड सेफ्टी ने रेगुलर फूड मॉनिटरिंग के तहत तीन रिटेल आउटलेट से सेंपल लेकर उनकी जांच करवाई। सभी सेंपल्स में एथिलीन ऑक्साइड की मौजूदगी दर्ज की गई। सिंगापुर फूड एजेंसी के अनुसार एथिलीन ऑक्साइड का प्रयोग माइक्रोबियल कंटेमिनेशन के लिए किया जाता है।

masale ke istemaal se bachein
कार्सिनोजेनिक गुणों से भरपूर एथिलीन ऑक्साइड को पेस्टिसाइड के रूप में मसालों में प्रयोग किया जाता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

जानिए क्या है एथिलीन ऑक्साइड और मसालों में क्यों है

यूएस एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी यानि ईपीए के अनुसार कार्सिनोजेनिक गुणों से भरपूर एथिलीन ऑक्साइड को पेस्टिसाइड के रूप में मसालों में प्रयोग किया जाता है। मसालों में इसकी अधिकता ब्रेस्ट कैंसर के खतरे का कारण बनने लगती है और डीएनए को भी डैमेज करती है। इसका अत्यधिक सेवन ब्रेन और नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचाने लगता है।

खासतौर पर इस केमिकल का प्रयोग चिकित्सा उपकरणों को स्टरलाइज़ करने और मसालों में माइक्रोबियल कंटेमिनेशन को कम करने के लिए किया जाता है। नेचुरल रिसोर्स से क्रिएट करने के अलावा इसे पानी से भरी मिट्टी और खाद से भी उत्पन्न किया जा सकता है। मिनिस्टरी ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के तहत आने वाले मसाला बोर्ड के अनुसार एथिलीन ऑक्साइड 10.7 सेल्सियस से ऊपर के तापमान पर रहने वाली ज्वलनशील और रंगहीन गैस है।

Earth Day 2024 : फास्ट फूड पैकिंग में इस्तेमाल होने वाली बारीक प्लास्टिक कर सकती है ब्रेन और प्रजनन क्षमता को  कमजोर

यहां जानिए एथिलीन ऑक्साइड के स्वास्थ्य जोखिम

इस बारे में डॉ विनीत बंगा का कहना हैं कि एथिलीन ऑक्साइड एक कार्सिनोजेनिक तत्व है, जो कैंसर एजेंट के रूप में कार्य करता है। बहुत से खाद्य पदार्थ रिकमेंटिडट डाइटरी अलाउऐंस यानि आरडीए के तहत लिए जाते हैं, मगर एथिलीन ऑक्साइड कैंसर एजेंट है, जो शरीर को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है और इसका सेवन शरीर में कैंसर समेत कई बीमारियों के खतरों को बढ़ा सकता है।

वहीं डॉ अवि कुमार बताते हैं कि एथिलीन ऑक्साइड एक गैस है, जिसे केमिकल फॉर्म में लिए जाने से कई नुकसान होते हैं। इसे चाहे इनहेलेशन मैंथड से लिया जाए या किसी पदार्थ में मिलाकर खाया जाए, इससे शरीर में कई समस्याओं का खतरा बढ़ने लगता है। इस गैस के पर्मिसिबल लेवल होते हैं। उससे ज्यादा इस्तेमाल नुकसान पहुंचाता है। वैसे इसका सेवन शरीर में कई समस्याओं का कारण बनता है।

1. यह कैंसर का कारण बन सकता है

हॉन्ग कॉन्ग सेंटर फॉर फूड सेफ्टी के अनुसार एथिलीन ऑक्साइड कैंसर कॉजिंग एजेंट हैं, जिससे शरीर में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर ने एथिलीन ऑक्साइड को समूह 1 कार्सिनोजेन के रूप में वर्गीकृत किया है। दरअसल, कार्सिनोजेन प्रकार का एजेंट और ऑर्गेनिज्म है, जो कैंसर का कारण साबित होता है।

पेस्टीसाइड रिसीड्यूज़ इन फूड रेगुलेशन के अनुसार ह्यूमन कंजप्शन के लिए कीटनाशक अवशेष युक्त भोजन तभी बेचा जा सकता है जब भोजन की खपत स्वास्थ्य के लिए खतरनाक या प्रतिकूल न हो।

Masale se kaise badhta hai breast cancer ka khatra
एथिलीन ऑक्साइड कैंसर एजेंट है, जो शरीर को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है चित्र : शटरस्टॉक

2. इसे फूड पॉइज़निंग हाे सकती है

यूएस फूड एन्ड ड्रग एडमिनीस्ट्रेशन यानि एफडीए के एक अन्य रिसर्च के अनुसार बीते वर्ष एवरेस्ट फूड प्रोडक्ट्स के कुछ खाद्य पदार्थों में साल्मोनेला बैक्टीरिया की आंशका जताइ गई थी, जो फूड बॉर्न डिजीज़ का मुख्य कारण बन सकता है।

ये कुछ ऐसे खाद्य पदाथ होते हैं, जो बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और पेस्टीसाइड से ग्रस्त होते हैं, उन्हे खाने से फूड पॉइज़निंग का खतरा बना रहता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार विश्व भर में 10 में से 1 व्यक्ति को हर साल फूडबॉर्न डिजीज़ का सामना करना पड़ता है।

3. त्वचा व आंखों में इरिटेशन हो सकती है

यूएस एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी के अनुसार एथिलीन ऑक्साइड के संपर्क में आने वाले लोगों को सिरदर्द, जी मचलाना समेत आंखों और त्वचा पर इचिंग और जलन का सामना करना पड़ता है। इससे ब्रोंकाइटिस और पुलमोनरी एडिमा का खतरा भी बढ़ने लगता है। एथिलीन ऑक्साइड से मेमोरी लॉस और हाथों पैरों में नंबनेस बनी रहती है।

ये भी पढ़ें- आपके डीएनए को भी खराब कर सकता है खराब आहार, बढ़ जाता है कैंसर का जोखिम : शोध

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RPSC Recruitment 2024: असिस्टेंट प्रोफेसर के 500 से अधिक पदों पर भर्ती, 10 फरवरी…| गाजीपुर: नौकरी दिलाने के नाम पर फूफा ने ठगे 4 लाख, भतीजे ने दर्ज कराई रिपोर… – भारत संपर्क| बिहार: बीपीएससी परीक्षा केंद्र पर अधिकारी की मौत, हत्या का मुकदमा दर्ज करने…| शानो शौकत से निकली बरात… घोड़ी पर बैठे दूल्हे राजा और मचा बवाल, चलने लगे ल… – भारत संपर्क| IND vs AUS: ब्रिसबेन में भी तय हो गई टीम इंडिया की हार, गाबा टेस्ट के दूसरे… – भारत संपर्क