parkinson’s disease ka upchar karne wali latest therapy. पार्किंसंस डिजीज…

0
parkinson’s disease ka upchar karne wali latest therapy. पार्किंसंस डिजीज…

पार्किंसंस डिजीज के लिए जीन भी जिम्मेदार होते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि इन जीनों को पार्क जीन कहा गया है। इन जीनों की पहचान करने पर पार्किंसंस डिजीज के निदान और इलाज करने में सहूलियत होती है।

उम्र बढ़ने के साथ शरीर ही नहीं मस्तिष्क के नर्व भी प्रभावित होने लगते हैं। इनमें डीजेनरेशन होने लगता है। नर्व संबंधी समस्या में से एक है पार्किंसंस डिजीज। मगर अब भी बहुत सारे लोग इसके बारे में बहुत अधिक नहीं जानते। जिससे यह समस्या और भी गंभीर रूप धारण कर लेती है। इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए अप्रैल का महीना पार्किंसंस डिजीज अवेयरनेस मंथ (Parkinson’s Disease Awareness month-April) के रूप में मनाया जाता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि पार्किंसंस के लिए जीन भी जिम्मेदार (Parkinson’s gene) होते हैं। जानते हैं कैसे जीन पार्किंसंस डिजीज के इलाज (Parkinson’s disease treatment) में मददगार होते हैं।

क्या कहते हैं आंकड़े (data on Parkinson’s disease)

मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर में कंसल्टेंट पैथोलॉजिस्ट डॉ. लिंडा नाज़रेथ बताती हैं, ‘न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग पार्किंसंस को मोटर संबंधी समस्याओं से पहचाना जाता है। वैश्विक स्तर पर बीमारी का प्रसार पिछले 25 वर्षों में दोगुना हो गया है। 2019 में एक वैश्विक अनुमान के अनुसार, लगभग 85 लाख से अधिक लोग पार्किंसंस डिजीज से प्रभावित हैं।
पार्किंसंस डिजीज के लिए ज्ञात जोखिम कारक उम्र है। इसके अलावा, पार्किंसंस रोग से जुड़े कुछ अन्य बाहरी कारकों में सिर में चोट, कुछ दवाओं का परस्पर प्रभाव, डेयरी का सेवन और कीटनाशकों का जोखिम भी शामिल हैं।

आनुवंशिकी से प्रेरित (Parkinson’s gene) 

10-15% मामलों में फैमिली हिस्ट्री (family history) भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकती है। लगभग 5% मामले मेंडेलियन वंशानुक्रम (Mendelian inheritance) के कारण बनते हैं। इसी तरह पार्किंसंस रोग के जोखिम का एक बड़ा हिस्सा आनुवंशिकी (genetics) से प्रेरित होता है। जिन सामान्य जीनों को पार्किंसंस रोग के संभावित कारण के रूप में पहचाना गया है, उन्हें “पार्क जीन” (PARK” genes) कहा जाता है।’

क्या है पार्क जीन (PARK” genes)

डॉ. लिंडा नाज़रेथ बताती हैं, ’23 पार्क जीन (PARK” genes) की पहचान की गई है। इन जीनों में देखे गए म्यूटेशन को कई वर्गों में विभाजित किया गया है:
• ऑटोसोमल डॉमिनेंट इनहेरिटेंस (SCNA, LRRK2 और VPS32 जीन)
इनहेरिटेंस के इस रूप में माता-पिता में से एक से मयूटेशन वाले जीन की एक कॉपी जोखिम को बढ़ाने या विकार का कारण बनने के लिए पर्याप्त है।

Parkinson's ke liye jimmedar gene ki pehchan ki ja sakti hai.
इनहेरिटेंस के इस रूप में माता-पिता में से एक से मयूटेशन वाले जीन की एक कॉपी जोखिम को बढ़ाने या विकार का कारण बनने के लिए पर्याप्त है। चित्र : शटर स्टॉक

• ऑटोसोमल रिसेसिव इनहेरिटेंस ( PRKN, PINK1, DJ-1 जीन)
इस वंशानुक्रम पैटर्न के लिए आवश्यक है कि किसी व्यक्ति को बीमारी के जोखिम में रहने के लिए प्रत्येक माता-पिता से एक मयूटेशन वाले जीन की दो कॉपी विरासत में मिलें।
पार्किंसंस रोग में शामिल अन्य जीन CHHD2, GBA, PSAP, ATP13A2, GIGYF2, HTRA2, PLA2G6, FBXO7, EIF4G1, DNAJC6, SYNJ1 और DNAJC13 हैं।

जानिए मसालों में क्या है एथिलीन ऑक्साइड का काम, जिसकी अधिकता कैंसर कारक हो सकती है

पैथोफिज़ियोलॉजी में महत्वपूर्ण भूमिका (Pathophysiology of Parkinson’s) 

रोग प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले जेनेटिक फैक्टर का थॉरो नॉलेज होना जरूरी है। इससे रोग को डायग्नोज करने और देखभाल पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है। पिछले 30 वर्षों में लगातार प्रगति के साथ आनुवंशिकी विकसित हुई है। यह पार्किंसंस रोग के पैथोफिज़ियोलॉजी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका दिखाई है। इसके कारण जीन को चिह्नित करना आसान हुआ है। इससे रोग प्रक्रिया में प्रभावित होने वाले जैविक मार्गों (Pathophysiology) को समझने में सक्षम हुआ जा सका है। इस तरह से जेनेटिक्स रोग को पहचानने और आगे उपचार में मदद कर सकता है।

जीन थेरेपी से किया जा सकता है उपचार (Effective Gene therapy)

पार्किंसंस के उपचार में इन दिनों जीन थेरेपी की भी मदद ली जा रही है। यह सबसे सेफ थेरेपी हो सकती है। यह पार्किंसंस डिजीज के लिए इफेक्टिव भी है।इससे दोषपूर्ण जीन को एक अच्छे जीन से सायलेंस करना, उसे रिप्लेस करना या ठीक करना भी किया जा सकता है। इस थेरेपी में पारंपरिक उपचार की तुलना में बिना किसी प्रतिकूल प्रभाव के महत्वपूर्ण पार्किंसंस डिजीज के लक्षणों को खत्म किया जा सकता है। इन लक्ष्यों को डिजीज-मॉडिफाइंग या नॉन -डिजीज मॉडिफाइंग के लिए व्यवस्थित किया गया है।

gene therapy se Parkinson's disease ka upchar kiya ja sakta hai.
पार्किंसंस के उपचार में इन दिनों जीन थेरेपी की भी मदद ली जा रही है। चित्र : अडोबी स्टॉक

सबसे ज्यादा प्रचलित है लेवोडोपा थेरेपी (Levodopa therapy)

पार्किंसंस रोग से पीड़ित ज्यादातर लोगों को लेवोडोपा थेरेपी (Parkinson’s disease treatment) की जरूरत पड़ती है। लेवोडोपा मस्तिष्क के नर्व सेल द्वारा अवशोषित हो जाता है। यह डोपामाइन केमिकल में बदल जाता है। इसका उपयोग मस्तिष्क के हिस्सों और गति को नियंत्रित करने वाली नर्व्स के बीच संदेश प्रसारित करने के लिए किया जाता है।

यह भी पढ़ें :- Earth Day 2024 : फास्ट फूड पैकिंग में इस्तेमाल होने वाली बारीक प्लास्टिक कर सकती है ब्रेन और प्रजनन क्षमता को कमजोर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

भारी बारिश, सरकार की ‘तानाशाही’… जॉर्जिया में 50 हजार से अधिक लोग सड़कों पर क्यों… – भारत संपर्क| अक्षय तृतीया के बाद फिर रॉकेट हुए सोने के रेट, आपके शहर में…- भारत संपर्क| 8 साल से बदले की आग, 50 हजार दी सुपारी; इंफ्लुएंसर भूपेंद्र जोगी पर हमले की… – भारत संपर्क| CBSE 10th, 12th Result 2024 कब होगा घोषित? जानें पिछले साल कैसा रहा रिजल्ट |…| इंटरनेशनल कानून का सम्मान करे इजराइल, राफा खाली करने के आदेश पर बोले EU चीफ | Israel… – भारत संपर्क