Explained : सरकारी कंपनियों से भर रहा सरकार का खजाना, आम…- भारत संपर्क

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Explained : सरकारी कंपनियों से भर रहा सरकार का खजाना, आम…- भारत संपर्क
Explained : सरकारी कंपनियों से भर रहा सरकार का खजाना, आम आदमी भी ऐसे हो रहा मालामाल

शेयर बाजार से सरकार हुई मालामाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार अपने संसदीय भाषण में कहा था कि आने वाले सालों में सरकारी कंपनियां लोगों को भरपूर कमाई कराकर देंगी. अगर बीते कुछ सालों के आंकड़ों को देखें तो उनकी ये बात शत-प्रतिशत सही साबित होती है. बीते कुछ सालों में शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों ने जहां आम आदमी की कमाई करवाई, वहीं सरकार का खजाना भी भरा है. आइए जानते हैं कैसे…

अगर शेयर बाजार में किसी लिस्टेड कंपनी का शेयर चढ़ता है, तो उसका मार्केट वैल्यूएशन बढ़ता है. किसी कंपनी का मार्केट वैल्यूएशन बाजार में मौजूद उसके कुल शेयर कैपिटल का मूल्य होता है. यही मार्केट वैल्यूएशन (एमकैप) असल में उस कंपनी के शेयर होल्डर्स की संपत्ति में बढ़ोतरी होती है. इसे उदाहरण एक से समझ सकते हैं.

मान लीजिए आपने ‘A’ नाम की कंपनी का शेयर खरीदा. आज आपने इसे महज 10 रुपए के भाव पर खरीदा हो, लेकिन अगले कुछ साल में इसका भाव 20 रुपए हो गया. ऐसे में एक रिटेल इंवेस्टर के तौर पर आपके शेयर की वैल्यू दोगुनी हो गई और कंपनी का मार्केट वैल्यूएशन भी उसके बाजार में मौजूद कुल शेयरों के हिसाब से दोगुना हो गया. अब चूंकि आप तो रिटेल इंवेस्टर थे, तो आपको इसका कम फायदा मिला. लेकिन सोचिए कंपनी के मालिक के पास उसके 50 प्रतिशत शेयर हों, तो उसकी संपत्ति में कितना इजाफा हुआ. कुछ ऐसा ही पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (PSU) कंपनियों ने सरकार के लिए किया है.

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मार्केट कैपिटलाइजेशन पहुंचा 60 लाख करोड़ के पार

अगर हम शेयर बाजार में लिस्टेड सरकारी कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइजेशन को देखें तो पिछले 3 साल में इसमें 43 लाख करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है. 31 मार्च 2024 को ये 61.22 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया. सरकार ने इन 3 सालों में भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (IREDA) जैसी 6 पीएसयू को शेयर बाजार में लिस्ट कराया है और इसने मार्केट कैपिटलाइजेशन में 6.4 लाख करोड़ रुपए जोड़े हैं.

सरकार ने बनाया 7 साल का रिकॉर्ड

अगर एक और रिकॉर्ड को देखें तो शेयर बाजार में लिस्टेड इन सरकारी कंपनियों में सरकार की कुल हिस्सेदारी की वैल्यू उनके कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन के 10.38 प्रतिशत पर पहुंच गई. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि मान लीजिए शेयर बाजार में कुल 100 सरकारी कंपनिया लिस्ट हैं, उनका टोटल मार्केट कैपिटलाइजेशन 10,000 रुपए है, तो सरकार के शेयर्स की वैल्यू इसके 10.38 प्रतिशत के बराबर है, जो बीते 7 साल का उच्च स्तर है.

इससे पहले 2009 में ये 22 प्रतिशत के हाई लेवल तक गया था, फिर 2020 में ये स्तर 5.1 प्रतिशत के निचले स्तर तक आ गया. उसके बाद अब ये लगभग दोगुना हो चुका है.

नेशनल स्टॉक एक्सचेंच पर लिस्ट सरकारी कंपनियों का इंडेक्स बीते 3 साल में 326 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि सरकारी बैंकों का इंडेक्स 493 प्रतिशत बढ़ा है. जबकि इस दौरान ओवरऑल निफ्टी महज 142 प्रतिशत ही बढ़ा है. सरकारी कंपनियों के स्टॉक्स को लेकर ‘प्राइम डेटाबेस ग्रुप’ ने एक डिटेल एनालिसिस किया है. इसके हिसाब से प्राइवेट प्रमोटर्स की कंपनियों में उनकी शेयर होल्डिंग का एवरेज वैल्यूएशन 31 मार्च 2024 तक 5 साल के निचले स्तर पर यानी 41 प्रतिशत पर आ गया है.

प्राइम डेटाबेस ग्रुप की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार के पब्लिक सेक्टर के बैंकों को रीस्ट्रक्चर करने और सुनियोजित विनिवेश नीति अपनाने से पब्लिक सेक्टर कंपनियों की ऑर्डर बुक, बैलेंस शीट और शेयर प्राइस रिटर्न बेहतर हुआ है.

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