बढ़े किसानों की आमदनी, दुनिया को मिले खाद्य सुरक्षा, WTO में…- भारत संपर्क

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बढ़े किसानों की आमदनी, दुनिया को मिले खाद्य सुरक्षा, WTO में…- भारत संपर्क
बढ़े किसानों की आमदनी, दुनिया को मिले खाद्य सुरक्षा, WTO में होगा भारत का यही रुख

भारत खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर किसी तरह के समझौता के पक्ष में नहीं है.Image Credit source: PTI

अंशुमान तिवारी / भारत में इस समय पंजाब-हरियाणा की सीमा पर किसान डटे हुए हैं. वह फसलों की खरीद के लिए ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ की कानूनी गारंटी चाहते हैं. इस आंदोलन में एक आवाज ये भी उठी कि अगर भारत को इसमें दिक्कत है, तो वह वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) की सदस्यता छोड़ दे.

अब इसका दूसरा पहलू देखते हैं, भारत इस समय अबू धाबी में डब्ल्यूटीओ की बैठक में हिस्सा लेने गया है. दुनिया की 61 प्रतिशत आबादी की भूख की चिंता लेकर वह यहां आया है. वह चाहता है कि किसानों से अनाज खरीदने के मामले में कोई रोक-टोक ना हो. ऐसे में इस बार डब्ल्यूटीओ की बैठक में क्या होगा, ये काफी रोचक हो गया है. वहीं भारत के आक्रामक तेवर की वजह से डब्ल्यूटीओ में बेचैनी भी बढ़ गई है.

भारत खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर किसी तरह का समझौता करने के पक्ष में नहीं है. इसलिए वह ‘अनाज खरीद कार्यक्रम’ के लिए डब्ल्यूटीओ से स्थाई सुरक्षा चाहता है. उसकी इस मांग का 80 देश समर्थन कर रहे हैं, जिनमें दुनिया की करीब 80 प्रतिशत आबादी बसती है. पिछली बार जून 2022 में भी जब जेनेवा में डब्ल्यूटीओ की बैठक हुई थी, तब फिशिंग पर सब्सिडी को लेकर मामला अटक गया था. आखिर में भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ‘डील मेकर’ बनकर उभरे और भारत की अगुवाई में विकासशील देशों को कई रियायतें मिली. तब इन शर्तों पर चीन को भी सहमत होना पड़ा था.

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फिशिंग के मामले में भारत चाहता है कि बड़े देश अपने एक्लूसिव इकोनॉमिक जोन से बाहर फिशिंग रोकें. वहीं सब्सिडी को भी कम से कम 25 साल के प्रतिबंधित करें. इसी तरह अनाज खरीद कार्यक्रम को लेकर भारत का तर्क साफ है कि विकसित देश 11 साल से टल रहे कृषि अनाज भंडारण पर सहमत नहीं हो रहे हैं और इसकी जगह अपनी प्रायोरिटी के हिसाब से डब्ल्यूटीओ में गैर व्यापारिक मुद्दों को ला रहे हैं, जो स्वीकार्य नहीं है.

अबू धाबी की बैठक में भारत अनाज भंडार के लिए समर्थन मूल्य और सब्सिडी पर डब्लूटीओ के नियमों में बदलाव चाहता है, ताकि किसानों से अधिकतम अनाज खरीदा जा सके. इससे भारत में किसान आंदोलन की चिंताओं को भी दूर करने में मदद मिलेगी. वहीं भारत खाद्य सुरक्षा की शर्तों को उदार बनाने के पक्ष में है. डब्ल्यूटीओ की बैठक में अभी सहमति की ठोस उम्मीद नहीं बनी है. जेनेवा की खींचतान की रोशनी में वार्ताकारों ने खासी तैयारी भी है. यहां तगड़ी सौदेबाजी होने के आसार है. आमतौर पर डब्ल्यूटीओ वार्ताओं में आखिरी दिन ही तस्वीर साफ होती है.

पीएम नरेंद्र मोदी ने डब्ल्यूटीओ को दिए बड़े संदेश

यह संयोग नहीं है कि डब्लूटीओ की बैठक से ठीक पहले सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में दुनिया का सबसे बड़ा अनाज भंडार बनाने का ऐलान किया है. यह संदेश सीधे तौर पर डब्लूटीओ लिए है. भारत के वार्ताकार दल की तैयारियों और अनौपचारिक चर्चाओं से समझा जा सकता है कि किसान आंदोलन के बीच भारत खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर कोई समझौता करने की स्थिति में नहीं होगा.

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