छिंदवाड़ा कैसे बना कमलनाथ और कांग्रेस का किला… 4 दशक पहले क्या था हाल? | … – भारत संपर्क

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छिंदवाड़ा कैसे बना कमलनाथ और कांग्रेस का किला… 4 दशक पहले क्या था हाल? | … – भारत संपर्क

मध्यप्रदेश की जमीन कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी लेकिन पहले सुंदरलाल पटवा, बाबूलाल गौर और उनके बाद फिर शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में प्रदेश की सियासत में धीरे-धीरे बीजेपी की पैठ बढ़ती चली गई और कांग्रेस का आधार खिसकता गया. लेकिन इसके बावजूद छिंदवाड़ा एक ऐसा कांग्रेस का किला था जिसे बीजेपी जीत नहीं पाई. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रदेश की 29 में से 28 सीटों पर जीत हासिल कर ली लेकिन छिंदवाड़ा की सीट फिर भी कांग्रेस के पाले में ही रही. छिंदवाड़ा से कांग्रेस के उम्मीदवार नकुलनाथ करीब 37 हजार वोटों से जीते थे.
साल 2014 के आम चुनाव को देखें तो बीजेपी को प्रदेश में 29 में से 27 सीटें मिली थीं, जिनमें एक सीट गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया के खाते में गई थी जो कि अब बीजेपी के साथ हैं, लेकिन उस साल भी छिंदवाड़ा से कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ ने जीत हासिल की थी. तब कमलनाथ ने 1 लाख 16 हजार मतों से चुनाव जीता था. ये आंकड़ा दर्शाता है कि छिंदवाड़ा में कांग्रेस का वोट प्रतिशत धीरे-धीरे घटता जा रहा है. यह अंतर इस बात को जाहिर करता है कि जो छिंदवाड़ा कभी कांग्रेस के मजबूत किले के तौर पर ख्यात रहा वहां भी बीजेपी की पैठ बढ़ती जा रही है.
चार दशक से कैसा रहा है रिश्ता?
अब जबकि कमलनाथ और उनके सांसद बेटे नकुलनाथ के बीजेपी में जाने की अटकलें लग रही हैं तो छिंदवाड़ा में कांग्रेस पार्टी का क्या होगा, ये एक बड़ा सवाल है लेकिन ये तो फिलहाल तय है कि छिंदवाड़ा से कमलनाथ का रिश्ता वैसा ही बना रहेगा जैसा कि चार दशक पहले से रहा है. मतलब कांग्रेस में रहते भी कमलनाथ का छिंदवाड़ा से अटूट संबंध रहा तो बीजेपी में जाने पर उनका छिंदवाड़ा से रिश्ता बना रहने वाला है. यानी छिंदवाड़ा को जीतना है तो कमलनाथ को साथ लेना जरूरी है. कमलनाथ का छिंदवाड़ा से ये रिश्ता यूं ही नहीं बना. इसकी लंबी कहानी है.
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कमलनाथ की मातृभूमि वैसे तो उत्तर प्रदेश का कानपुर है लेकिन उनकी व्यावसायिक और राजनीतिक जमीन छिंदवाड़ा है. यहां से वो लगातार चुनाव जीतते आए हैं. केवल एक बार साल 1993 के उपचुनाव में सुंदरलाल पटवा ने उनको पराजित किया था लेकिन अगली बार के चुनाव में वो फिर वहां से जीतकर सांसद बन गए तो इसके बाद जीत का ये सिलसिला चलता ही रहा. कभी हारे नहीं.
छिंदवाड़ा में हर क्षेत्र में किया विकास
देखें तो छिंदवाड़ा में कमलनाथ की जीत का एक राज है. पिछले दिनों की ही बात है. छिंदवाड़ा में एक भाषण में जनता को संबोधित करते हुए कमलनाथ भावुक हो गये थे. उन्होंने कहा कि अस्सी के दशक में छिंदवाड़ा देश का सबसे पिछड़ा इलाका हुआ करता था. लोगों को एक जगह से दूसरी जगह जाने में लंबा पैदल चलना पड़ता था. बहुत सारे सामान नागपुर से मंगवाने पड़ते थे. सड़कों पर थूल उड़ती थीं लेकिन आज छिंदवाड़ा की तस्वीर बदल चुकी है. उन्होंने कहा था कि छिंदवाड़ा में हमने ने वो सब कर दिखाया जिससे आम लोगों की जिंदगी में परिवर्तन आए. आरामदेह जीवन जीने में सुविधा हासिल हो.
इस दौरान कमलनाथ के बेटे और क्षेत्र के कांग्रेस सांसद नकुलनाथ ने कहा कि छिंदवाड़ा से हमारे परिवार का 42 साल का मजबूत संबंध है. इन सालों के दौरान इलाके में दो पीढ़ियों ने विकास के हर चरण को देखा है. हाईवे, रिंग रोड, गांव गांव तक बनी सड़कें, पीने के पानी, तालाब, खेती, बाजार, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल वगैरह हर तरह का विकास को अंजाम दिया. और आने वाले सालों में ये विकास का सिलसिला जारी रहेगा.
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