यहां के लोग कर रहे ‘मोबाइल उपवास’, ये है बड़ी वजह? | Balod District unique …

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यहां के लोग कर रहे ‘मोबाइल उपवास’, ये है बड़ी वजह? | Balod District unique …
यहां के लोग कर रहे 'मोबाइल उपवास', ये है बड़ी वजह?

जैन समुदाय का ई-उपवास

साल के 365 दिन में लोग तीज-त्योहारों में तरह-तरह के व्रत रखते हैं. कभी आपने ई-उपवास नाम सुना है. इसे डिजिटल उपवास भी कहा जाता है. छत्तीसगढ़ के बालोद जिला में जैन समाज के लोगों ने अनूठी पहल करते हुए एक ऐसा उपवास शुरू किया है. इसे ई-उपवास कहा गया है. इस अनोखे पहल की शुरुआत छत्तीसगढ़ के बालोद जिले से जैन समाज ने की है. बीते 7 दिनों करीबन 40 से अधिक जैन सामाज के लोगों ने मोबाइल का 12 घंटे से अधिक त्याग कर उपवास किया है.

जैन समाज ने इंटरनेट मुक्त उपवास रखकर एक अनोखी पहल की है. जैन समाज का कहना है कि ये इंटरनेट की लत छुड़ाने का एक तरीका है. जैन समाज इसे इंटरनेट मुक्त ‘उपवास’ कह रही है. यह उपवास 24 घंटे का इंटरनेट मुक्त उपवास है. आजकल के बच्चे, युवा, महिलाएं बिना मोबाइल के नहीं रह पाते हैं. अक्सर ही फोन पर इंटरनेट चलाते रहते हैं.

इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से दूर रहने का व्रत

बता दें कि मुनि समता सागर ने अपने प्रवचन में कहा था कि भारतीय संस्कृति भोगवादी नहीं बल्कि योग प्रधान और आध्यात्मिक है. जैन संस्कृति में साधन महत्वपूर्ण नहीं हैं. आज की संस्कृति पाश्चात्य संस्कृति में लिप्त होती जा रही है. भोग प्रधान संस्कृति को जन्म दे रही है. व्रत आदि की प्रेरणा देते हुए मुनिश्री ने कहा कि आपने अन्न-जल त्याग कर बहुत व्रत किया है. इस बार एक दिन विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से दूर रहकर इस प्रकार व्रत करना है, ताकि आप पूरे दिन तनावमुक्त रह सके.

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जैन समाज के अध्यक्ष डॉक्टर प्रदीप जैन ने बताया की जो मोबाइल उपवास है. उसमें हमारें हमारे जितने भी साधु संत हैं. उन लोगों को प्रेरणा दी जाती है. अभी बालोद में स्कूल की छुट्टियां होने के कारण बच्चों को और जितने भी समाज के बड़े-बुजुर्ग और महिलाएं हैं. करीबन 42 लोगों ने मोबाइल उपवास किया है.

मोबाइल के दुष्प्रभाव से बच्चों को बचाएं

इन्होंने सप्ताह में एक दिन यानी 24 घंटे में न मोबाइल को छुआ है. न ही फोन का उपयोग किया है. डॉक्टर प्रदीप ने बताया कि महासती मंजुलाश्री जी की प्रेरणा रही थी और उनके प्रेरणा से लोगों में ये कांफिडेंस आया की वो बिना मोबाइल के रह सकते हैं. मोबाइल से होने वाले दुष्प्रभाव को बच्चों से कैसे कम करें? इसको लेकर यह अभियान शुरू किया गया है. मोबाइल का 12 घंटे का त्याग करना, रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक के बाद मोबाइल का उपयोग न करना, अलग-अलग तरह से मोबाइल का उपयोग न किया जाए. लोग इससे दूर रह सकें. इसीलिए यह प्रयास किया गया है.

एकमात्र उद्देश्य मोबाइल की लत छुड़ाना

इस ई- उपवास की नगर में चर्चा हो रही है. कुछ लोग बोल रहे हैं कि अब हम भी महीने में एक बार ई- डिजिटल उपवास करेंगे. इस उपवास को डिजिटल फास्टिंग नाम दिया गया है. इस पर जैन समाज के ताराचंद सांखला कहते हैं कि युवाओं में या लोगों में जो लत लगी वो इतनी जल्दी नहीं जाएगी. इसीलिए यह पहल की गई है. इस आदत पर काबू पाने के लिए धीरे-धीरे इसे नियंत्रित करना होगा. इसके लिए लोगों को अपने मोबाइल उपवास की तरह 12 या 24 घंटे के लिए बंद करके छोड़ना होगा.

मोबाइल के साथ टीवी और लैपटॉप से भी बनाएं दूरी

उन्होंने आगे कहा कि आज के समय में ज्यादातर लोगों को सोशल मीडिया, ऑनलाइन गेमिंग की लत लगी हुई हैं. इसीलिए समाज ने यह पहल की हैं. इस उपवास के दौरान आपको मोबाइल फोन, लैपटॉप ओर टीवी जैसी चीजों से दूरी बनाकर असली दुनिया का अनुभव लेना होता है. इस अनोखे उपवास का एक मात्र उद्देश्य यही है कि लोग अपने मोबाइल की लत को कैसे छोड़ सकते हैं?

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