पिछले साल हुए दंगे, अब जागा पाकिस्तान… सेना करेगी जांच, जानें क्या कहा विशेषज्ञों… – भारत संपर्क

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पिछले साल हुए दंगे, अब जागा पाकिस्तान… सेना करेगी जांच, जानें क्या कहा विशेषज्ञों… – भारत संपर्क

9 मई 2023 को PTI नेता इमरान खान को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के परिसर से गिरफ्तार किए जाने के बाद पाकिस्तान में दंगे भड़क उठे. दुनियाभर ने पाकिस्तान के तब हालात देखे जब पार्टी कार्यकर्ताओं ने जिन्ना हाउस, लाहौर कोर कमांडर हाउस, मियांवाली एयर बेस और फैसलाबाद में आईएसआई भवन सहित एक दर्जन सैन्य बेस में तोड़फोड़ की.

यहां तक कि रावलपिंडी में सेना मुख्यालय पर भी पहली बार हमला हुआ. सेना द्वारा ‘काला दिवस’ घोषित किए जाने के एक साल बाद अब सेना 2023 में जो हुआ उसकी जांच के लिए एक न्यायिक आयोग बनाने पर सहमत हुई है.

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राजनीतिक विश्लेषक का क्या कहना है?

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक जुल्करनैन ताहिर ने न्यूज9 से बात करते हुए कहते हैं कि पाकिस्तान सेना के खिलाफ लोगों के गुस्से के कारण 9 मई 2023 को दंगे भड़क उठे थे. उन्होंने कहा कि 9 मई को जो हुआ उससे पता चलता है कि पाकिस्तान के लोगों ने कहा कि बहुत हो गया. आप पिछले 75 वर्षों से जो कर रहे हैं, वह अब नहीं होना चाहिए. बाद में, इमरान खान की पीटीआई ने अपनी राजनीतिक जरूरतों के कारण खुद को अलग करने की कोशिश की, लेकिन लोगों में उस तरह की पीड़ा, उस तरह का गुस्सा था जो 9 मई को सामने आया था.

इमरान के लिए सहानुभूति लहर

विदेशी मामलों के विशेषज्ञ पथिकृत पायने का कहना है कि पाकिस्तानी सेना द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद इमरान खान और अधिक लोकप्रिय हो गए हैं. उन्होंने कहा अभी तक एक भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नहीं है जिसने प्रधानमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया हो. इसलिए यह संभव है कि इमरान खान किसी दिन पाकिस्तानी सेना की बुरी किताबों में होंगे. पायने ने कहा कि पाकिस्तान की सेना ही बटी हुई है. एक हिस्सा अमेरिका समर्थक है और दूसरा हिस्सा तालिबानीकरण का शिकार है.

पाक का कर्ज जाल

पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर चर्चा करते हुए पथिकृत पायने ने कहा, “किसी भी देश के लिए, जहां आप पर सेनाओं का दबदबा है, उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके आर्थिक पहलुओं का ध्यान रखा जाए. ऐसा इसलिए ताकि लोगों की बुनियादी बातें पूरी हो सके. ऐसा होने पर लोग विद्रोह नहीं करेंगे.

पाकिस्तान एक ऐसा देश है जिस पर बहुत कर्ज है, आंतरिक ऋण संकट और भारी मुद्रास्फीति है. जब तक पाकिस्तानी सेना यह सुनिश्चित नहीं कर लेती कि इसके आर्थिक पहलू का ध्यान रखा जा सकता है, यह और भी बदतर होता जाएगा.”

विशेषज्ञ का मानना है कि 9 मई की घटना के बाद, पीटीआई की हरकतों को देखते हुए, यह साफ पता चल रहा है कि न्यायिक आयोग के पास जाने का कोई मतलब नहीं है. पाकिस्तानी सेना को इस मुद्दे को अदालत में या इस मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग जैसी किसी स्वतंत्र संस्था के पास नहीं ले जाना चाहेगी.

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