बजट से पहले आई खुशखबरी, भारत बना ग्लोबल इकोनॉमी का इंजन, चीन हुआ बेपटरी | IMF…
पूरी दुनिया भारत की रफ्तार से सन्न है. किसी को यकीन नहीं हो रहा, जहां चीन अमेरिका और यूरोप के देश अपनी इकोनॉमी को संभालने के लिए मशक्कत कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश इकोनॉमिक ग्रोथ के मामले में बड़े देशों के मुकाबले सबसे आगे है. साथ ही ग्लोबल इकोनॉमी का इंजन बना हुआ है. वहीं दूसरी ओर चीन की इकोनॉमी लगातार डिरेल हो रही है. अमेरिका के सामने में कई तरह की चिंताएं मंडरा रही हैं.
यूरोपीय देशों की इकोनॉमी भी डांवाडोल है. जिसका जीता जागता उदाहरण जर्मनी है. ये तमाम बातें इसलिए हो रही हैं क्योंकि दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक एजेंसी में से एक इंटरनेशल मॉनेटरी फंड ने भारत के इकोनॉमिक ग्रोथ अकाउलुक को बेहतर किया है. आसए आपको भी बताते हैं कि आखिर आईएमएफ ने किस तरह के आंकड़ें पेश किए हैं.
आईएमएफ ने जारी की रिपोर्ट
इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी आईएमएफ ने मंगलवार को कहा कि भारत का इकोनॉमिक ग्रोथ रेट मजबूत बने रहने की उम्मीद है और यह 2024 तथा 2025 में 6.5 फीसदी रहने की संभावना है. आईएमएफ ने वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक पर फ्रेश रिपोर्ट में ग्लोबल इकोनॉमी रेट 2024 में 3.1 फीसदी और 2025 में 3.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. रिपोर्ट के अनुसार, चीन की आर्थिक वृद्धि दर 2024 में 4.6 फीसदी और 2025 में 4.1 फीसदी रहने की संभावना है. अक्टूबर, 2023 के अनुमान के मुकाबले वृद्धि दर में 0.4 फीसदी की वृद्धि है.
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भारत के आउटलुक में किया सुधार
आईएमएफ ने कहा कि भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ मजबूत बनी हुई है और इसके 2024 और 2025 में 6.5 फीसदी रहने की उम्मीद है. यह पिछले साल अक्टूबर में जताए गए अनुमान के मुकाबले 0.2 फीसदी अधिक है. आईएमएफ की रिपोर्ट बताती है कि भारत उभरती अर्थव्यवस्थाओं में तीव्र आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने वाला देश बना हुआ है. आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गौरींचास ने एक ब्लॉग में लिखा है कि महंगाई में लगातार गिरावट और ग्रोथ रेट बढ़ने के साथ ग्लोबल इकोनॉमी सॉफ्ट लैंडिंग यानी अब चक्रीय नरमी से बाहर निकलने की ओर है. लेकिन विस्तार की गति धीमी बनी हुई है और आगे समस्या बनी रह सकती है. उन्होंने कहा कि कई अर्थव्यवस्थाओं में मजबूती दिख रही है. ब्राजील, भारत और दक्षिण पूर्व एशिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि दर में तेजी है.
आरबीआई ने क्या लगाया है अनुमान
वैसे फरवरी के पहले हफ्ते में देश की इकोनॉमी को लेकर आरबीआई का नया अनुमान आ ही जाएगा, लेकिन दिसंबर के महीने में आरबीआई ने मौजूदा वित्त वर्ष के इकोनॉमिक आउटलुक में इजाफा किया था. आरबीआई ने दिसंबर की पॉलिसी मीटिंग के बाद कहा था कि देश की ग्रोथ 7 फीसदी रह सकती है. जबकि इससे पहले यह अनुमान 6.5 फीसदी लगाया गया था. जबकि वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में यह आंकड़ां 6.7 फीसदी, दूसरी तिमाही में 6.5 फीसदी और 6.4 फीसदी रह सकता है. फरवरी में होने वाली मीटिंग में आरबीआई एमपीसी पूरे वित्त 2025 के इकोनॉमिक ग्रोथ का ऐलान कर सकती है.
दूसरी तिमाही में क्या थे आंकड़ें
वहीं बात दूसरी तिमही के जीडीपी के आंकड़ों की बात करें तो सभी अनुमानों को धराशाई कर दिया था. जिसकी वजह से आरबीआई को भी अपने आउटलुक में बदलाव किया था. एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में भारत की रियल जीडीपी 7.6 फीसदी की देखने को मिली थी. जबकि पहली तिमाही में यह आंकड़ां 7.8 फीसदी देखने को मिला था. वास्तव में दूसरी तिमाही में इस तरह के आंकड़ें आने की कोई उम्मीद नहीं थी.
सरकार का अनुमान
वहीं दूसरी ओर मौजूदा वित्त वर्ष के लिए जनवरी के महीने में अपनी ग्रोथ का अनुमान जारी कर दिया है. एनएसओ की रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष में देश की इकोनॉमिक ग्रोथ 7.3 फीसदी रह सकती है. यह सरकार का पहला एडवांस एस्टीमेट है. खास बात तो ये है कि वित्त वर्ष 2023 में भारत की ग्रोथ 7.2 फीसदी रही थी. जियो पॉलिटिकल टेंशन, मिडिल ईस्ट टेंशन की वजह से सप्लाई चेक में बाधा, एक्सपोर्ट और इंपोर्ट में गिरावट के बावजूद भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ 7 फीसदी से ऊपर रहने का अनुमान लगाया गया है जो काफी बड़ी बात है.